essay on recent earthquake in hindi

भूंकप पर निबंध – Essay on Earthquake in Hindi

Essay on Earthquake

भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जो कि जीव-जन्तु, जलवायु, पेड़-पौधे, वनस्पति, पर्यावरण समेत समस्त मानव जीवन के लिए किसी बड़े संकट से कम नहीं है। भूकंप, जब भी आता है, धरती पर इतनी तेज कंपन होता है कि पल-भर में ही सब-कुछ तहस-नहस हो जाता है और तमाम मानव जिंदगियों एक झटके में बर्बाद हो जाती हैं।

अक्सर स्कूल के बच्चों को भूंकप पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है, इसी दिशा में हम अपने इस पोस्ट में आपको भूकंप जैसी विनाशकारी आपदा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसमें भूकंप से संबंधित सभी मुख्य तथ्य शामिल किए गए हैं, इस निबंध को आप अपनी जरुरत के मुताबिक इस्तेमाल कर सकते हैं –

Essay on Earthquake in Hindi

भूकंप, जैसी अत्यंत विध्वंशकारी और भयावह आपदा जब भी आती है, धरती पर इतनी तेज कंपन हो उठता है कि पल भर में ही सब-कुछ नष्ट हो जाता है। भूकंप आने पर न सिर्फ सैकड़ों जिंदगियों का पल भर में विनाश हो जाता है, बल्कि करोड़ों-अरबों रुपए की संपत्ति भी एक ही झटके में मलबे का ढेर बन जाती है।

तेज भूकंप आने पर न जाने कितनी इमारतें ढह जाती हैं, नदियों, जलाशयों में उफान आ जाता हैं, धरती फट जाती है और सुनामी का खतरा बढ़ जाता है, भूकंप को तत्काल प्रभाव से नहीं रोका जा सकता है।

भूकंप क्या है – What is the Earthquake

भूकंप शब्द – दो अक्षरों से मिलकर बना है- भू+कंप अर्थात, भू का अर्थ है भूमि, और कंप का मतलब कंपन से है तो इस तरह भूमि पर कंपन को ही भूकंप कहते हैं।

वहीं अगर भूकंप को परिभाषित किया जाए तो – भूकंप एक अत्यंत विध्वंशकारी प्राकृतिक आपदाओं में से है, जिसमें अचानक से धरती सतह पर तेजी से कंपन होना लगता है, अर्थात धरती बुरी तरह हिलने-डुलने लगती है।

वहीं जब भूकंप की तीव्रता की गति अत्यंत तेज होती है, तो यह उस भयावह स्थिति को उत्पन्न करता है, जिसमें धरती फटने लगती हैं, नदियों, जलाशयों में तेजी से उफान आता है, जिससे भूस्खलन और सुनामी जैसे संकट का खतरा पैदा हो जाता है, और इससे बड़े स्तर पर जान-माल की हानि होती है, और इसके तत्काल प्रभाव पर काबू नहीं पाया जा सकता है।

भूकंप आने के कारण – Causes of Earthquake

प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों कारणों से भूकंप आ सकता है-

भूकंप आने के प्राकृतिक कारण – Natural Causes of Earthquake

क्रस्टल, मेनटल, इनर कोर और आउट कोर इन चार परतों से मिलकर धरती बनी हैं, इन परतों को टेक्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है, वहीं जब ये प्लेट्स अपने स्थान से खिसकती हैं अर्थात हिलती-डुलती हैं तो भूकंप की स्थिति पैदा हो जाती है। इसके साथ ही जब धरती की निचली सतह में तरंगें उत्पन्न होती हैं, तो भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा जन्म लेती हैं

धरती का तापमान बढ़ने से ज्वालामुखी फटते हैं, जिसके कारण भूकंप जैसी विनाशकारी आपदा आती है।

धरती के अंदर की चट्टानों के खिसकने की वजह से भी भूकंप आते हैं, इसलिए धऱती पर दवाब होने की वजह से पहाड़ वाले स्थान पर भूकंप ज्यादा आते हैं।

भूकंप पर वैज्ञानिकों की आधुनिक शोध के तहत प्लेट टेक्टोनिस्क भी भूकंप का कारण हैं, इसके तहत जब पहाड़ों, महासागरों, मरुभूमियों और महाद्धीपों की अलग-अलग प्लेटें होती हैं, जो कि लगातार खिसकती रहती हैं, वहीं ऐसी प्लेटों के आपस में टकराने से या फिर अलग होने पर भी भूंकप आता है।

भूकंप आने के मानव निर्मित कारण – Man-made Causes of Earthquake

  • परमाणु परीक्षण।
  • नाभिकीय और खदानों के विस्फोट।
  • गहरे कुओं से तेल निकालना या फिर किसी तरह का अपशिष्ट या तरल पदार्थ भरना।
  • विशाल बांध का निर्माण।

रिक्टर स्केल से मापी जाती है भूकंप की तीव्रता:

रिक्टर स्केल से भूकंप की तीव्रता मापी जाती है। आपको बता दें कि सिसमोमीटर द्धारा रिएक्टर स्केल में मापी गई भूकंप की तीव्रता 2-3 रिएक्टर में आती है, तो इसे सामान्य माना जाता है ,यानि कि इसके तहत हल्के झटकों का एहसास होता है।

इसमें ज्यादा नुकसान नहीं होता है, वहीं जब यह तीव्रता 7 से ज्यादा होती है, तो इस तीव्रता वाले भूकंप, बेहद खतरनाक और विनाशकारी होते हैं और सब-कुछ तहस नहस कर देते हैं।

भूकंप से नुकसान – Effects of Earthquake

  • भूकंप से कई जिंदगियां तबाह हो जाती हैं।
  • भीड़-भाड़ वाले इलाके में भूकंप से काफी नुकसान होता है, कई बड़ी इमारते पल भर में ढह जाती हैं, वहीं मलबों के नीचे भी कई लोग दब कर मर जाते हैं।
  • भूकंप से नदियों, जलाशयों के जल में उफान आ जाता है, जिससे सुनामी और बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।
  • अत्याधिक तेज कंपन से धरती फंटना शुरु हो जाती है, अर्थात भूस्खलन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

भूकंप आने पर अपनी सुरक्षा कैसे करें:

  • भूकंप जैसी भयावह आपदा पर काबू पाना तो मुमकिन नहीं है, लेकिन भूकंप आने पर घबराने की बजाय अगर समझदारी के साथ नीचे लिखी कुछ बातों पर ध्यान दिया जाए तो आप अपना बचाव कर सकते हैं –
  • ऐसे मकानों का निर्माण करवाना चाहिए जो कि भूकंप रोधी हों।
  • भूकंप के झटकों का एहसास होते ही, तुरंत घर से निकलकर खुले स्थानों पर जाएं, वहीं अगर घर से बाहर निकलने में टाइम लगे तो कमरे के कोने में या फिर किसी मजबूत फर्नीचर के नीचे जाकर छिप जाएं।
  • भूकंप के दौरान लिफ्ट का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें।
  • घर में उपलब्ध बिजली के सारे उपकरण को बंद कर दें, और बिजली का मेन स्विच बंद कर दें।
  • कार चलाते वक्त तुरंत कार से बाहर निकलें।

भूकंप से बचने के उपाय:

भूकंप जैसी भयावह आपदा के प्रभाव को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन अगर सही दिशा में प्रयास किए जाएं तो इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है, भूकंप से बचना तो मुमकिन नहीं है, लेकिन अगर पहले से ही कुछ भूकंप मापने वाले यंत्र लगा दिए जाएं तो, पहले से ही भूकंप आने की जानकारी मिल सकेगी, जिससे लोगों को पहले से ही आगाह किया जा सकेगा।

अब तक आए सबसे बड़े भूकंप:

  • वाल्डिविया, चिली में 22 मई, 1960 को 9.5 की तीव्रता वाला भयंकर भूकंप आया था, जिसमें चिली समेत न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस ने भारी तबाही मचाई थी और लाखों जिंदगियां इस भूंकप से बर्बाद हो गईं थी।
  • दक्षिण भारत में 9.2 की तीव्रता वाला भूकंप 26 दिसंबर, साल 2004 में आया था, जिसमें कई हजार लोगों की जान चली गई थी।
  • गुजरात के भुज में 26 जनवरी, 2001 में 7.7 की तीव्रता वाला विध्वंशकारी भूकंप आया था, जिसमें करीब 30 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी, और करोड़ों-अरबों रुपए की संपत्ति का नुकसान हुआ था।
  • हैती में 12 जनवरी, 2010 में 7 रिएक्टर की तीव्रता वाला भूकंप आया था, जिसमें करीब 1 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे।

भूकंप, जैसी भयावह और विध्वंशकारी आपदा को रोका तो नहीं जा सकता, लेकिन आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर इसका पूर्वानुमान लगाकर, इससे प्रभाव को कम जरूर किया जा सकता है।

  • Water is Life Essay
  • Essay on Water Pollution
  • Essay on Science
  • Essay on Disaster Management

Hope you find this post about “Essay on Earthquake in Hindi“ useful. if you like this Article please share on Facebook & Whatsapp.

1 thought on “भूंकप पर निबंध – Essay on Earthquake in Hindi”

' src=

11 बड़े भूकंप कब आए और कहाँ आए?

Leave a Comment Cancel Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Gyan ki anmol dhara

Grow with confidence...

  • Computer Courses
  • Programming
  • Competitive
  • AI proficiency
  • Blog English
  • Calculators
  • Work With Us
  • Hire From GyaniPandit

Other Links

  • Terms & Conditions
  • Privacy Policy
  • Refund Policy

भूकंप पर निबंध – 10 lines (Earthquake Essay in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों में

essay on recent earthquake in hindi

Earthquake Essay in Hindi – भूकंप सबसे भयानक प्राकृतिक आपदाओं में से एक है। इसके स्रोत का पता पृथ्वी के निर्माण के शुरुआती दिनों में लगाया जा सकता है। यह जीवन और संपत्ति के बड़े नुकसान के लिए जिम्मेदार है। इसलिए, यह मानव जाति के लिए एक बड़ी समस्या है। भूकंप शब्द ग्रीक शब्दों से बना है, ‘पृथ्वी’ का अर्थ है जमीन और ‘भूकंप’ का अर्थ है हिलना या कांपना। इसलिए, भूकंप पृथ्वी का हिलना या कांपना है।

भूकंप पृथ्वी की सतह के नीचे स्थित टेक्टोनिक प्लेटों में गड़बड़ी के कारण होता है। भूकंप संक्षिप्त और हल्के या बड़े और विनाशकारी हो सकते हैं। हमारे ग्रह ने सदियों से कई गंभीर और हल्के भूकंपों का सामना किया है। भूकंप ज्यादातर संक्षिप्त होते हैं लेकिन सेकंड के भीतर बड़े पैमाने पर विनाश का कारण बन सकते हैं। अतीत में भूकंपों के कारण दुनिया भर के लोगों को अत्यधिक नुकसान उठाना पड़ा है।

बच्चों के लिए भूकंप पर 10 लाइनें (10 Lines On Earthquake For Kids in Hindi)

  • भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है।
  • वे तब होते हैं जब कुछ तरकीबें पृथ्वी की सतह के नीचे चलती हैं, जिससे कंपन या भूकंपीय तरंगें पैदा होती हैं।
  • इससे हम अपने पैरों के नीचे से पूरी जमीन हिलती हुई महसूस कर सकते हैं। इससे इमारतें, पेड़ और अन्य ऊंची संरचनाएं टूट कर गिर सकती हैं।
  • भूकंप की तीव्रता या तीव्रता को उसका परिमाण कहते हैं और इसे रिक्टर स्केल पर 1 से 10 तक मापा जाता है।
  • भूकंप को सिस्मोग्राफ से मापा जा सकता है।
  • 6 या 7 परिमाण के भूकंप बहुत शक्तिशाली होते हैं और इससे बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान हो सकता है।
  • जिस स्थान पर भूकंप की उत्पत्ति होती है, उसे उसका अधिकेंद्र कहा जाता है। यह स्थान आपदा के अधिकतम प्रभाव का सामना करता है।
  • भूकंप-प्रवण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को हमेशा खतरे का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए और आपदा प्रबंधन रणनीति बनानी चाहिए क्योंकि भूकंप की भविष्यवाणी करना मुश्किल है।
  • भूकंप के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने का सबसे अच्छा तरीका खुले मैदान में दौड़ना है।
  • यदि आस-पास कोई खुली जगह नहीं है, तो आप एक मजबूत और मजबूत टेबल के नीचे झुक सकते हैं।

भूकंप पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay on Earthquake in Hindi)

भूकंप दुनिया में कहीं भी आ सकते हैं, और हालांकि उनकी घटना का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है, कुछ चीजें हैं जो आप अपने आप को और अधिक तैयार करने के लिए कर सकते हैं यदि कोई हमला करता है। इसमें जाने के लिए एक भूकंप किट तैयार होना, यह जानना कि कैसे गिरना, ढकना और रुकना है, और अपने क्षेत्र में किसी भी संभावित जोखिम के बारे में सूचित रहना शामिल है। सुनिश्चित करें कि आपके पास भोजन, पानी और अन्य आपूर्तियों के साथ एक आपातकालीन किट है, और जानें कि भूकंप आने पर क्या करना चाहिए। यदि आप सुनिश्चित नहीं हैं कि क्या करना है, तो खिड़कियों और अन्य वस्तुओं से दूर रहना सबसे अच्छा है जो आप पर गिर सकते हैं और सुरक्षित स्थान पर जा सकते हैं।

भूकंप पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay on Earthquake in Hindi)

भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है जो अपने साथ कई खतरे लेकर आती है। पृथ्वी के हिलने और हिलने से इमारतें गिर सकती हैं, जिससे लोग अंदर फंस सकते हैं। इस तरह के अचानक परिवर्तन के कारण होने वाला कंपन आमतौर पर बहुत मामूली होता है, लेकिन बड़े भूकंप कभी-कभी भूमि के बहुत बड़े झटकों का कारण बनते हैं। हिलती हुई लहरें उस स्थान से फैलती हैं जहां पहली बार चट्टान टूटना शुरू होती है; इस स्थान को भूकंप का केंद्र या हाइपोसेंटर कहा जाता है।

अगर भूकंप शुरू होने पर आप अंदर हों, तो जमीन पर लेट जाएं और अपने सिर को ढक लें। भूकंप का परिमाण एक भूकंपीय घटना में जारी भूकंपीय ऊर्जा की मात्रा से संबंधित है।

विभिन्न प्रकार के भूकंप

भूकंप तीन प्रकार के होते हैं:

उथला | उथला भूकंप तब होता है जब भूकंप का फोकस पृथ्वी की सतह के करीब होता है। ये भूकंप आमतौर पर अन्य दो प्रकारों की तुलना में कम शक्तिशाली होते हैं, लेकिन फिर भी बहुत अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं।

मध्यम | मध्यवर्ती भूकंपों का एक फोकस होता है जो सतह और पृथ्वी के आवरण के बीच स्थित होता है, और आमतौर पर उथले भूकंपों की तुलना में अधिक शक्तिशाली होता है।

दीप | गहरे भूकंपों का फोकस मेंटल में स्थित होता है, जो क्रस्ट के नीचे पृथ्वी की परत है। वे सबसे शक्तिशाली प्रकार के भूकंप हैं, और यहां तक ​​कि सतह पर नुकसान भी पहुंचा सकते हैं।

भूकंप पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay on Earthquake in Hindi)

भूकंप और ज्वालामुखी दो प्राकृतिक आपदाएं हैं जो पृथ्वी की सतह में परिवर्तन के कारण होती हैं। इन प्राकृतिक आपदाओं को लाने में मनुष्य की बहुत कम या कोई भूमिका नहीं है। भूकंप और ज्वालामुखियों का परस्पर संबंध कहा जाता है। यह देखा गया है कि ज्वालामुखी क्षेत्र भूकंप के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं जो अक्सर आसन्न ज्वालामुखी के चेतावनी संकेत के रूप में काम करते हैं।

भूकंप मूल रूप से पृथ्वी का हिलना है। भूकंप या तो पृथ्वी की सतह के नीचे टेक्टोनिक प्लेटों की गति के कारण या ज्वालामुखियों में मैग्मा की गति के कारण आते हैं। ज्वालामुखीय विस्फोट मैग्मा आंदोलनों के कारण हो सकते हैं। भूकंप कमजोर होने के साथ-साथ हिंसक भी हो सकते हैं। जबकि कमजोर ज्वालामुखियों को शायद ही महसूस किया जाता है, हिंसक लोगों के परिणामस्वरूप बड़ी इमारतों की तबाही और जीवन की भारी हानि हो सकती है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कई भूकंप आए हैं जिससे गंभीर विनाश हुआ है।

ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह से गर्म लावा का विस्फोट है। यह तब होता है जब पृथ्वी की पपड़ी फट जाती है। गर्म लावा, जहरीली गैसें और ज्वालामुखीय राख ज्वालामुखी विस्फोटों के माध्यम से निकलती हैं और विशाल विनाश का कारण बन सकती हैं। विभिन्न प्रकार के ज्वालामुखियों में सुपर ज्वालामुखी, उप-हिमनद ज्वालामुखी, पानी के नीचे के ज्वालामुखी और मिट्टी के ज्वालामुखी शामिल हैं।

ज्वालामुखीय भूकंप क्या है?

ज्वालामुखीय भूकंप जिसे ज्वालामुखी टेक्टोनिक भूकंप भी कहा जाता है, मैग्मा की गति के कारण होता है। यह आंदोलन दबाव डालता है और मैग्मा के चारों ओर चट्टान में परिवर्तन का कारण बनता है और यह अंततः ज्वालामुखीय भूकंप का कारण बनता है। इन भूकंपों को बड़े विनाश का कारण माना जाता है जिसमें जमीन की विकृति, इमारतों का उखड़ना और जमीन की दरारें शामिल हो सकती हैं।

भूकंप और ज्वालामुखी दोनों से मानव जाति को भारी नुकसान हो सकता है। जबकि वैज्ञानिक इन दोनों की भविष्यवाणी करने की पूरी कोशिश करते हैं, वे इन प्राकृतिक आपदाओं के समय और तारीख का निर्धारण करने में सफल नहीं हुए हैं। भूकंप और ज्वालामुखी प्रवण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहना चाहिए और इनका सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए और ऐसी समस्या होने पर शांति और समझदारी से काम लेना चाहिए।

भूकंप पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay on Earthquake in Hindi)

सीधे शब्दों में कहें तो भूकंप का अर्थ है पृथ्वी की सतह का हिलना। यह पृथ्वी की सतह का अचानक कांपना है। भूकंप निश्चित रूप से एक भयानक प्राकृतिक आपदा है। इसके अलावा, भूकंप जीवन और संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। कुछ भूकंप प्रकृति में कमजोर होते हैं और संभवत: उन पर किसी का ध्यान नहीं जाता है। इसके विपरीत, कुछ भूकंप बड़े और हिंसक होते हैं। प्रमुख भूकंप प्रकृति में लगभग हमेशा विनाशकारी होते हैं। सबसे उल्लेखनीय, भूकंप की घटना काफी अप्रत्याशित है। यही बात उन्हें इतना खतरनाक बनाती है।

भूकंप के प्रकार

टेक्टोनिक भूकंप : पृथ्वी की पपड़ी में असमान आकार की चट्टानों के स्लैब शामिल हैं। चट्टानों के ये स्लैब टेक्टोनिक प्लेट्स हैं। इसके अलावा, यहां ऊर्जा संग्रहित है। यह ऊर्जा टेक्टोनिक प्लेटों को एक दूसरे से दूर या एक दूसरे की ओर धकेलने का कारण बनती है। जैसे-जैसे समय बीतता है, ऊर्जा और गति दो प्लेटों के बीच दबाव बनाती है।

इसलिए, यह भारी दबाव फॉल्ट लाइन बनाने का कारण बनता है। साथ ही, इस गड़बड़ी का केंद्र बिंदु भूकंप का फोकस है। नतीजतन, ऊर्जा की तरंगें फोकस से सतह तक यात्रा करती हैं। इससे सतह का हिलना शुरू हो जाता है।

ज्वालामुखीय भूकंप : यह भूकंप ज्वालामुखी गतिविधि से संबंधित है। इन सबसे ऊपर, ऐसे भूकंपों की तीव्रता कमजोर होती है। ये भूकंप दो प्रकार के होते हैं। पहला प्रकार ज्वालामुखी-विवर्तनिक भूकंप है। यहां इंजेक्शन लगाने या मैग्मा निकालने से झटके आते हैं। इसके विपरीत दूसरा प्रकार दीर्घकालीन भूकंप है। यहाँ भूकंप पृथ्वी की परतों के बीच दबाव परिवर्तन के कारण होता है।

पतन भूकंप: ये भूकंप गुफाओं और खानों में होते हैं। इसके अलावा, ये भूकंप कमजोर परिमाण के हैं। खदानों के ढहने का कारण संभवत: भूमिगत विस्फोट हैं। इन सबसे ऊपर, खदानों के ढहने से भूकंपीय तरंगें उत्पन्न होती हैं। नतीजतन, ये भूकंपीय तरंगें भूकंप का कारण बनती हैं।

विस्फोटक भूकंप: ये भूकंप लगभग हमेशा परमाणु हथियारों के परीक्षण के कारण आते हैं। जब कोई परमाणु हथियार फटता है तो बड़ा धमाका होता है। इसके परिणामस्वरूप भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है। यह संभवतः भूकंप का परिणाम है।

भूकंप के प्रभाव

सबसे पहले, जमीन का हिलना भूकंप का सबसे उल्लेखनीय प्रभाव है। इसके अलावा, कंपन के साथ-साथ जमीन का फटना भी होता है। इससे आधारभूत सुविधाओं को भारी नुकसान होता है। भूकंप की गंभीरता भूकंप के परिमाण और अधिकेंद्र से दूरी पर निर्भर करती है। साथ ही, गंभीरता को निर्धारित करने में स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियां एक भूमिका निभाती हैं। भूभंग पृथ्वी की सतह के दृश्य विखंडन को संदर्भित करता है।

भूकंप का एक अन्य महत्वपूर्ण प्रभाव भूस्खलन है। ढलान की अस्थिरता के कारण भूस्खलन होता है। यह ढलान अस्थिरता भूकंप के कारण होती है।

भूकंप मिट्टी के द्रवीकरण का कारण बन सकता है। यह तब होता है जब जल-संतृप्त दानेदार सामग्री अपनी ताकत खो देती है। इसलिए, यह ठोस से तरल में बदल जाता है। नतीजतन, कठोर संरचनाएं तरलीकृत जमा में डूब जाती हैं।

भूकंप के परिणामस्वरूप आग लग सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि भूकंप से बिजली और गैस की लाइनें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। सबसे बढ़कर, आग लगने के बाद उसे रोकना बेहद मुश्किल हो जाता है।

भूकंप कुख्यात सुनामी भी पैदा कर सकते हैं। सुनामी लंबी तरंगदैर्घ्य वाली समुद्री लहरें हैं। ये समुद्री लहरें बड़ी मात्रा में पानी की अचानक या अचानक गति के कारण होती हैं। यह समुद्र में भूकंप के कारण है। इन सबसे ऊपर, सुनामी 600-800 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से यात्रा कर सकती है। समुद्री तट से टकराने पर ये सूनामी भारी तबाही मचा सकती हैं।

अंत में, भूकंप पृथ्वी की एक महान और भयानक घटना है। यह प्रकृति के विरुद्ध मनुष्य की दुर्बलता को दर्शाता है। यह एक जबरदस्त घटना है जो निश्चित रूप से सभी को झकझोर कर रख देती है। इन सबसे ऊपर, भूकंप केवल कुछ सेकंड के लिए ही रहता है, लेकिन इससे अकल्पनीय क्षति हो सकती है।

भूकंप पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1 विस्फोटक भूकंप क्यों आता है.

A1 परमाणु हथियारों के परीक्षण के कारण एक विस्फोटक भूकंप आता है।

Q2 भूकंप के कारण भूस्खलन क्यों होते हैं?

A2 भूस्खलन ढलान की अस्थिरता के कारण होता है। सबसे उल्लेखनीय, यह ढलान अस्थिरता भूकंप के कारण होती है।

Hindi Fly

भूकंप पर निबंध | Essay on Earthquake in Hindi

हेलो दोस्तों, आज हमलोग इस लेख में भूकंप पर निबंध के बारे में पड़ेंगे जो कि आपको क्लास 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 व अन्य competitive examination जैसे कि SSC, UPSC, BPSC जैसे उच्चाधिकारी वाले एग्जाम में अत्यंत लाभकारी साबित होंगे। भूकंप पर निबंध (Earthquake essay in Hindi) के अंतर्गत हम भूकंप से संबंधित पूरी जानकारी को विस्तार से जानेंगे इसलिए इसे अंत तक अवश्य पढ़ें।  

प्रस्तावना (Introduction)

‘भूकंप’ बस नाम ही काफ़ी है। ‘भू का कंपन’ यह विचार मात्र मानव के मन और मस्तिष्क में कंपन ही उत्पन्न नहीं करता वरन् झकझोर कर रख देता है। जब-जब प्रकृति ने अपने इस रूप के दर्शन कराए हैं, मानव की लाचारी और बेबसी ने घुटने टेक दिए हैं। मनुष्य की सारी प्रगति प्रकृति के इस रूप के समक्ष बौनी दिखाई देती है। प्रकृति के महाविनाश का यह भयानक रूप है जिसकी कोई कल्पना भी नहीं करना चाहता। 

लेकिन मनुष्य के कल्पना करने या न करने से प्रकृति के कार्यक्रमों में कोई अन्तर नहीं आता। प्रकृति ही मनुष्य को पालती है, वह आदिकाल से मनुष्य की सहचरी रही है किन्तु उसके अपने क्रियाकलाप भी हैं जिन्हें हम प्राकृतिक परिवर्तन के रूप में समझ सकते हैं। यदि मानव मस्तिष्क इसकी पूर्व जानकारी पा सकता है तो इतना भी मानव जाति के हित में होगा।

भूकंप क्या है? (Earthquake in Hindi)

जब पृथ्वी के भीतर का तरल पदार्थ अत्यधिक गर्म हो जाता है तो इसकी भाप का दबाव बहुत बढ़ जाता है। इस दबाव से धरती की कई सतहों में परिवर्तन होता है, वे इधर-उधर खिसकती हैं, हिलती-डुलती हैं और धरती के गर्भ में उथल-पुथल मचाती हैं। इससे पृथ्वी के ऊपरी स्तर को भी धक्का लगता है और हम इसे भूकंप कहते हैं।

भूकंप से बचाव

हमारे देश की प्रकृति ऐसी नहीं है जहाँ प्रायः भूकंप आते हों, जैसे जापान आदि देशों की है। ऐसे स्थानों पर लोग भूकंप बचाव की क्षमता वाली इमारतों का निर्माण करते हैं तथा लकड़ी आदि का प्रयोग करके छोटे-छोटे निवास स्थान बनाते हैं। वहाँ भूकंप से जान-माल की हानि से बचाव के उपाय किए जाते हैं।

इन्हें भी पढ़ें : सतर्क भारत समृद्ध भारत पर लेख हिंदी में

भूकंप के कारण (Causes of Earthquake)

भूकंप का हल्का-सा झटका बहुत हानिकारक नहीं होता क्योंकि धरती के भीतर रासायनिक प्रक्रिया के कारण हर समय भूगर्भ में हल्के-हल्के झटके लगते रहते हैं जो धरती पर भौतिक रूप में अपने चिह्न प्रकट भी करते हैं। किन्तु जोर के शक्तिशाली झटके महाविनाशी होते हैं। जब पृथ्वी के नीचे स्थित प्लेटो में घर्षण होता है तो वहां दबाव पैदा होता है। जिससे तरल पदार्थ निकलता है जो बहुत ही गर्म होता है। जिसका वाष्प बाहर निकलने का प्रयास करता है।

यही भूकंप का वास्तविक और वैज्ञानिक कारण है। हमारे पुराणों में मान्यता रही है कि धरती शेषनाग के फन पर टिकी है। जब धरती पर पापों का बोझ बढ़ जाता है, तब भगवान शेषनाग ही भूकंप के द्वारा अपना क्रोध प्रकट करते हैं।

essay on recent earthquake in hindi

भूकंप का प्रभाव (Effect of Earthquake)

इस मान्यता का भी यदि यह अर्थ लिया जाए कि पृथ्वी पर प्रकृति के प्रकोपों को कम या शून्य करने के लिए शान्ति बनाए रखना बहुत ज़रूरी है तो इसमें कोई बुराई नहीं है। परिवर्तन तो प्रकृति का नियम है। इसे हम स्वस्थ चिन्तन के साथ लें तो ही अच्छा होगा। भूकंप कुछ सेकंड या मिनट ही रहता है परन्तु इतने कम समय में ही भारी विनाश हो जाता है। 

भूकंप के भारी झटके से धरती पर दरारें पड़ जाती हैं और उनमें से गर्म लावा और विषैली वायु बाहर निकलती है। देखते ही देखते बड़ी-बड़ी इमारतें धराशायी हो जाती हैं। कई बार बड़े-बड़े भवन धरती के गर्भ में फँस जाते हैं। हज़ारों लोग मलबे के नीचे दबकर मर जाते हैं या घायल हो जाते हैं। लाखों लोग बेसहारा तथा बेघर हो जाते हैं। कभी-कभी हरे-भरे गाँव तथा सुन्दर नगर खण्डहरों में बदल जाते हैं।

essay on recent earthquake in hindi

भूकंप के कारण भू-स्खलन भी होता है, जो नदी वाहिकाओं को अवरुद्ध कर जलाशयों में बदल देता है। कई बार नदियाँ अपना रास्ता बदल लेती हैं जिससे प्रभावित क्षेत्र में बाढ़ और दूसरी आपदाएँ आ जाती हैं।

वर्ष 2001 में छब्बीस जनवरी प्रात:काल ऐसा ही महाविनाशकारी भूकंप गुजरात के भुज शहर में आया, जिसने कुछ ही मिनटों में पूरे शहर को एक मलबे के ढेर में बदल दिया। पूरा कच्छ प्रदेश भी काँप गया। सभी सहम गए, कोई कुछ न कर सका। 

वर्ष 1990 में उत्तरकाशी में भी ऐसा ही महाविनाशकारी भूकंप आया था। इस स्थिति में नदियों के प्रवाह, समुद्र और पर्वतों के स्थान भी बदल जाते हैं। कभी-कभी ज़मीन के नीचे दबे हुए प्राचीन संस्कृति तथा सभ्यता के अवशेष भूकंप के कारण बाहर निकल आते हैं। ऊपर की धरती नीचे तथा नीचे की धरती ऊपर आ जाती है।

भूकंप से बचाव के लिये उठाये गए कदम

कच्छ (गुजरात), लाटूर (महाराष्ट्र) में भयंकर भूकंप आए हैं। भूकम्प द्वारा हुई क्षति (हानि) को दृष्टि में रखते हुए अब हमारी सरकार ने इस दिशा में विशेष क़दम उठाए हैं तथा इस तरह के भवन निर्माण करने की योजना है जिससे भूकम्प आने पर कम से कम क्षति हो।

भूकंप के पश्चात् सरकारी और गैर-सरकारी लोगों तथा संस्थाओं द्वारा राहत कार्य शुरू होते हैं। भूकंप पीड़ितों को अन्न, वस्त्र, दवाइयों आदि की सहायता पहुँचाई जाती है। मलबा हटाया जाता है, खुदाई की जाती है। मलबे के नीचे दबे हुए लोगों में से कई जीवित भी पाए जाते हैं। इस समय इस राहत कार्य के साथ-साथ लोगों को सदमे की हालत से बाहर लाने की सबसे अधिक आवश्यकता होती है। 

मनुष्य की मानवता और सेवा भावना भी ऐसे ही समय प्रकट होती है। सरकार के लिए पूरे क्षेत्र की भंग हुई संचार, यातायात, पानी और बिजली की व्यवस्था आदि का कार्य विस्तृत रूप ले लेता है। ऐसे समय में सभी से यथासंभव सहायता और सहयोग की आशा की जाती है। यह संसार एक दूसरे के सहयोग से ही चलता है। 

भूकंप से होने वाले हानि को कम करने के उपाय 

दूसरी आपदाओं की तुलना में भूकंप अधिक विध्वंसकारी हैं। चूँकि यह परिवहन और संचार व्यवस्था भी नष्ट कर देते हैं इसलिए लोगों तक राहत पहुँचाना कठिन होता है। भूकंप को रोका नहीं जा सकता। अतः इसके लिए विकल्प यह है कि इस आपदा से निपटने की तैयारी रखी जाए और इससे होने वाले नुकसान को कम किया जाए। इसके निम्नलिखित तरीके हैं : 

(i) भूकंप नियंत्रण केंद्रों की स्थापना, जिससे भूकंप संभावित क्षेत्रों में लोगों को सूचना पहुँचाई जा सके। GPS (Geographical Positioning System) की मदद से प्लेट हलचल का पता लगाया जा सकता है। 

(ii) देश में भूकंप संभावित क्षेत्रों का सुभेद्यता मानचित्र तैयार करना और संभावित जोखिम की सूचना लोगों तक पहुँचाना तथा उन्हें इसके प्रभाव को कम करने के बारे में शिक्षित करना।। 

(iii) भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में घरों के प्रकार और भवन डिज़ाइन में सुधार लाना। ऐसे क्षेत्रों में ऊँची इमारतें, बड़े औद्योगिक संस्थान और शहरीकरण को बढ़ावा न देना। 

(iv) अंततः भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में भूकंप प्रतिरोधी (resistant) इमारतें बनाना और सुभेद्य क्षेत्रों में हल्के निर्माण सामग्री का इस्तेमाल करना।

भूकंप और मनोबल में संबंध

भूकंप की स्थिति में सबसे अधिक काम आता है व्यक्ति का स्वयं का मनोबल। हमें सुख की भाँति दु:ख लिए भी समान रूप से तैयार रहना चाहिए। सुख और आनन्द की भाँति आपदाएँ, विपदाएँ भी आएँगी परन्तु जो बहादुर हैं, उनका धैर्यपूर्वक मुक़ाबला करते हैं, जीवन का आनन्द बार-बार उनका स्वागत करता है। जो कमज़ोर हैं, धैर्य नहीं रखते हैं, भूकंप के एक-दो झटकों में ही उनकी हृदयगति रुक जाती है। 

जिससे आगे का दृश्य झेलने और देखने का न उनमें साहस होता है, न ही उन्हें अवसर मिलता है। कठिन समय में ही व्यक्ति के धैर्य की परीक्षा होती है। ऐसे समय का जो बहादुरी से सामना कर गए वे जी गए। जीवन जीने के लिए है और यह सिर्फ बहादुरों के लिए है।

Frequently Asked Questions (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

उत्तर: L तिरंगे

उत्तर: सुनामी

उत्तर: भूकंप की तीव्रता

उत्तर: भूकंपीय तरंगों को

उत्तर: भूकंप

उत्तर: टेकटोनिज्म

उत्तर: सीस्मोलॉजी

उत्तर: जॉन मिल

उत्तर: 0 से 10

उत्तर: मरकैली मापनी (Mercalli Scale)

उत्तर: P (प्राथमिक या अनुदैर्ध्य तरंग)

उपसंहार (Conclusion)

दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा लेख भूकंप पर निबंध (Essay on Earthquake in Hindi)  पढ़ कर अच्छा लगा होगा और आपके सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए होगें।

यदि आपको यह लेख अच्छा लगा हो इससे आपको कुछ सीखने को मिला हो तो आप अपनी प्रसन्नता और उत्सुकता को दर्शाने के लिए कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook , Google+, Twitter इत्यादि पर Share कीजिए।

इन्हें भी पढ़ें :

  • मुद्रा क्या है? इसके कार्य,प्रकार और विशेषताएँ क्या है?
  • विश्व बैंक क्या है? इसके उद्देश्य और कार्य क्या-क्या है?
  • साख क्या है? इसके प्रकार तथा लाभ-हानि क्या है?

Share this:

  • Click to share on WhatsApp (Opens in new window)
  • Click to share on Facebook (Opens in new window)
  • Click to share on Telegram (Opens in new window)
  • Click to share on Twitter (Opens in new window)
  • Click to share on LinkedIn (Opens in new window)
  • Click to share on Pinterest (Opens in new window)
  • Click to email a link to a friend (Opens in new window)
  • Click to share on Reddit (Opens in new window)
  • Click to share on Tumblr (Opens in new window)

Related Articles

Leave a comment cancel reply.

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

  • 7 July, 2024

भूकंप के बारे में जानिए सब कुछ, क्या, क्यों और कैसे?

  • अमलेन्दु उपाध्याय
  • Created Date: October 03, 2023, 10:22 AM

Hastakshep.com-देश-earthquakes-earthquakes-Seismology (भूकम्पविज्ञान)-seismology-bhuukmpvijnyaan-पहाड़-phaadd-भूकंप-bhuuknp

भूकंप  पर निबंध हिंदी में | Essay on  earthquake  in hindi

पृथ्वी के भूपटल में उत्पन्न तनाव का, उसकी सतह पर अचानक मुक्त होने के कारण पृथ्वी की सतह का हिलना या कांपना, भूकंप  कहलाता है। भूकंप  प्राकृतिक आपदा ओं में से सबसे  विनाशकारी विपदा  है जिससे मानवीय जीवन की हानि हो सकती है। आमतौर पर  भूकंप का प्रभाव  अत्यंत विस्तृत क्षेत्र में होता है। भूकंप, व्यक्तियों को घायल करने और उनकी मौत का कारण बनने के साथ ही व्यापक स्तर पर तबाही का कारण बनता है।

बीसवीं सदी के अंतिम दो दशकों के दौरान पृथ्वी के विभिन्न स्थानों पर 26 बड़े भूकंप आए, जिससे वैश्विक स्तर पर करीब डेढ़ लाख लोगों की असमय मौत हुई। यह दुर्भाग्य ही है कि भूकंप का परिणाम अत्यंत व्यापक होने के बावजूद अभी तक इसके बारे में सही-सही भविष्यवाणी करने में सफलता नहीं मिली है। इसी कारण से इस आपदा की संभावित प्रतिक्रिया के अनुसार ही कुछ कदम उठाए जाते हैं।

सिस्मोलॉजी क्या है  | Seismology ( भूकम्पविज्ञान)

विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत भूकंप का अध्ययन किया जाता है, भूकंप विज्ञान ( सिस्मोलॉजी ) कहलाती है और भूकंप विज्ञान का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों को भूकंपविज्ञानी कहते हैं। अंग्रेजी शब्द ‘सिस्मोलॉजी’ में ‘सिस्मो’ उपसर्ग ग्रीक शब्द है जिसका अर्थ भूकंप है। भूकंपविज्ञानी भूकंप के परिमाण को आधार मानकर उसकी

भूकंप क्यों आता है  | Why does an earthquake happen

हमारी धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है, इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहते हैं। ये 50 किलोमीटर की मोटी परत, वर्गों में बंटी हुई है, जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं लेकिन जब ये बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप आ जाता है। ये प्लेट्स क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर, दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इसके बाद वे अपनी जगह तलाशती हैं और ऐसे में एक प्लेट दूसरी के नीचे आ जाती है।

भूकम्प की परिभाषा | Definition of earthquake

Essay on earthquake in hindi

भूकंप को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है कि पृथ्वी के भूपटल में उत्पन्न तनाव के आकस्मिक मुक्त होने से धरती की सतह के हिलने की घटना भूकंप कहलाती है। इस तनाव के कारण हल्का सा कंपन उत्पन्न होने पर पृथ्वी में व्यापक स्तर पर उथल-पुथल विस्तृत क्षेत्र में तबाही का कारण बन सकती है।

जस बिंदु पर भूकंप उत्पन्न होता है उसे भूकंपी केंद्रबिंदु और उसके ठीक ऊपर पृथ्वी की सतह पर स्थित बिंदु को अधिकेंद्र अथवा अंत:केंद्र के नाम से जाना जाता है। अधिकेंद्र की स्थिति को उस स्थान के अक्षांशों और देशांतरों के द्वारा व्यक्त किया जाता है।

भूकंप के समय एक हल्का सा झटका महसूस होता है। फिर कुछ अंतराल के बाद एक लहरदार या झटकेदार कंपन महसूस होता है, जो पहले झटके से अधिक प्रबल होता है। छोटे भूकंपों के दौरान भूमि कुछ सेकंड तक कांपती है, लेकिन बड़े भूकंपों में यह अवधि एक मिनट से भी अधिक हो सकती है। सन् 1964 में अलास्का में आए भूकंप के दौरान धरती लगभग तीन मिनट तक कंपित होती रही थी। भूकंप के कारण धरती के कांपने की अवधि विभिन्न कारणों जैसे अधिकेंद्र से दूरी, मिट्टी की स्थिति, इमारतों की ऊंचाई और उनके निर्माण में प्रयुक्त सामग्री पर निर्भर करती है।

भूकंप तीव्रता मापन  | Earthquake intensity measurement unit

भूकंप की तीव्रता मापने के लिए रिक्टर स्केल का पैमाना इस्तेमाल किया जाता है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। भूकंप की तरंगों को रिक्टर स्केल 1 से 9 तक के आधार पर मापता है। रिक्टर स्केल पैमाने को सन 1935 में कैलिफॉर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी में कार्यरत वैज्ञानिक चार्ल्स रिक्टर ने बेनो गुटेनबर्ग के सहयोग से खोजा था।

इस स्केल के अंतर्गत प्रति स्केल भूकंप की तीव्रता 10 गुणा बढ़ जाती है और भूकंप के दौरान जो ऊर्जा निकलती है वह प्रति स्केल 32 गुणा बढ़ जाती है। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि 3 रिक्टर स्केल पर भूकंप की जो तीव्रता थी वह 4 स्केल पर 3 रिक्टर स्केल का 10 गुणा बढ़ जाएगी। रिक्टर स्केल पर भूकंप की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 8 रिक्टर पैमाने पर आया भूकंप 60 लाख टन विस्फोटक से निकलने वाली ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है।

भूकंप को मापने के लिए रिक्टर के अलावा मरकेली स्केल का भी इस्तेमाल किया जाता है। पर इसमें भूकंप को तीव्रता की बजाए ताकत के आधार पर मापते हैं। इसका प्रचलन कम है क्योंकि इसे रिक्टर के मुकाबले कम वैज्ञानिक माना जाता है। भूकंप के कारण होने वाले नुकसान के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं, जैसे घरों की खराब बनावट, खराब संरचना, भूमि का प्रकार, जनसंख्या की बसावट आदि।

कितनी जल्दी आते हैं भूकंप? | How soon do earthquakes come?

earthquakes

भूकंप एक सामान्य घटना है। एक अनुमान के अनुसार विश्व में लगभग प्रत्येक 87 सेकंड में कहीं न कहीं धरती हल्के से कांपती है। इन झटकों को महसूस तो किया जा सकता है लेकिन ये इतने शक्तिशाली नहीं होते कि इनसे किसी प्रकार की क्षति हो सके। प्रति वर्ष धरती पर औसतन 800 भूकंप ऐसे आते हैं जिनसे कोई नुकसान नहीं होता है। इनके अतिरिक्त धरती पर प्रति वर्ष 18 बड़े भूकंप आने के साथ एक अतितीव्र भूकंप भी आता है।

बिरले ही भूकंप की घटना थोड़े ही समय अंतराल के दौरान भूकंपों के विभिन्न समूह रूप में हो सकती है। उदाहरण के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यू मैड्रिड में सात सप्ताह (16 दिसंबर 1811, 7 फरवरी और 23 फरवरी 1812) के दौरान भूकंप की तीन तीव्र घटनाएँ घटित हुई थी। इसी प्रकार ऑस्ट्रेलिया के टेनेट क्रीक में 22 जनवरी, 1988 को 12 घंटे की अवधि के दौरान भूकंप की तीन तीव्र घटनाएँ घटित हुई थीं।

भूकंप के कितने प्रकार के होते हैं | what are the different types of earthquakes | Types of Earthquakes & Faults | major types of earthquakes

भूकंप के मुख्यत: दो प्रकारों हैं -

प्राकृतिक कारणों से आने वाले भूकंप

प्राकृतिक रूप से आने वाले भूकंप विवर्तनिक भूकंप भी कहलाते हैं क्योंकि ये पृथ्वी के विवर्तनिक गुण से संबंधित होते हैं। प्राकृतिक रूप से आने वाले अधिकतर भूकंप भ्रंश (फाल्ट) के साथ आते हैं। भ्रंश भूपटल में हलचल के कारण उत्पन्न होने वाली दरार या टूटन है। ये भ्रंश कुछ मिलीमीटर से कई हजार किलोमीटर तक लंबे हो सकते हैं। भूविज्ञान कालक्रम के दौरान अधिकतर भ्रंश दोहरे विस्थापनों का निर्माण करते हैं।

मानवीय गतिविधियों से प्रेरित भूकंप  | Human activity can trigger earthquakes, but how many? | Can earthquakes be caused by human activity |Human induced earthquakes | Man made earthquake in india

मानवीय गतिविधियाँ भी भूकंप को प्रेरित कर सकती हैं। गहरे कुओं से तेल निकालना, गहरे कुओं में अपशिष्ट पदार्थ या कोई तरल भरना अथवा निकालना, जल की विशाल मात्रा को रखने वाले विशाल बांधों का निर्माण करना और नाभिकीय विस्फोट जैसी विनाशकारी घटना के समान गतिविधियाँ मानव प्रेरित भूकंप का कारण हो सकती हैं।

कृत्रिम जलाशय के कारण आने वाले बड़े भूकंपों में से एक भूकंप सन् 1967 में महाराष्ट्र के कोयना क्षेत्र में आया था। भूकंप का कारण बनी एक और कुख्यात मानवीय गतिविधि संयुक्त राज्य अमेरिका के कोलरेडो स्थित राकी माउटेंन पर डेनवेर क्षेत्र में तरल पदार्थ को गहरे कुओं में प्रवेश कराए जाने से संबंधित रही है।

भूकंप कैसे पैदा होते हैं ?

प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी की बाहरी पर्त या भूपटल की बनावट बड़ी और छोटी कठोर प्लेटों से बनी चौखटी आरी (जिग्सॉ) जैसी होती है। इन प्लेटों की मोटाई सैकड़ों किलोमीटर तक हो सकती है। संभवत: प्रावार के नीचे संवहन धाराओं के प्रभाव से ये प्लेटें एक-दूसरे के सापेक्ष गति करती हैं। पृथ्वी को अनेक भूकंपी प्लेटों में बांटा गया है। इन प्लेटों के अंतर पर, जहां प्लेटें टकराती या एक-दूसरे से दूर जाती हैं वहां बड़े भूमिखंड पाए जाते हैं। इन प्लेटों की गति काफी धीमी होती है। अधिकतर तीव्र भूकंप वहीं आते हैं, जहां ये प्लेटें आपस में मिलती हैं। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि प्लेटों के किनारे आपस में एक दूसरे में फंस जाती हैं जिससे यह गति नहीं कर पाती और इनके मध्य दबाव उत्पन्न होता है। नतीजतन प्लेटें एक-दूसरे को प्रचंड झटका देकर खिसकती है और धरती प्रचंड रूप से कंपित होती है। इस प्रक्रिया में विशाल भ्रंशों के कारण पृथ्वी की भूपटल पर्त फट जाती है।

किसी क्षेत्र में एक बार भ्रंशों के उत्पन्न हो जाने पर वह क्षेत्र कमजोर हो जाता है। भूकंप वस्तुत: पृथ्वी के अंदर संचित तनाव के बाहर निकलने का माध्यम है, जो सामान्यतया इन भ्रंशों के दायरे में ही सीमित होते हैं। जब पृथ्वी के अंदर का तनाव मौजूद भ्रंशों से दूर स्थित किसी अन्य स्थान पर निस्तारित होता है, तब नए भ्रंश उत्पन्न होते हैं।

भूकंप की शक्ति का कैसे पता लगाएं ?

परिमाण और तीव्रता किसी भूकंप की प्रबलता मापने के दो तरीके हैं। भूकंप के परिमाण का मापन भूकंप-लेखी में दर्ज भू-तरंगों के आधार पर किया जाता है। भूकंप-लेखी भूकंप का पता लगाने वाला उपकरण है। किसी भूकंप की प्रबलता भूकंप-लेखी में दर्ज हुए संकेतों के अधिकतम आयाम एवं भूकंप स्थल से उपकरण की दूरी के आधार पर निर्धारित की जाती है।

रिक्टर पैमाने पर तीव्रता प्रभाव

0 से 1.9    सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही पता चलता है।

2 से 2.9    हल्का कंपन।

3 से 3.9    कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए, ऐसा अहसास

4 से 4.9    खिड़कियां टूट सकती हैं। दीवारों पर टंगी फ्रेम गिर सकती हैं।

5 से 5.9    फर्नीचर हिल सकता है।

6 से 6.9    इमारतों की नींव दरक सकती है। ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है।

7 से 7.9    इमारतें गिर जाती हैं। जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं।

8 से 8.9    इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते हैं।

9 और उससे ज्यादा    से पूरी तबाही। कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती लहराते हुए दिखाई देगी। यदि समुद्र नजदीक हो तो सुनामी आने की पूर्ण आशंका।

रिक्टर पैमाना आरंभ तो एक इकाई से होता है लेकिन इसका कोई अंतिम छोर तय नहीं किया गया है, वैसे अब तक ज्ञात सर्वाधिक प्रबल भूकंप की तीव्रता 8.8 से 8.9 के मध्य मापी गई है।

अभी तक भारत में आए सर्वाधिक प्रबलता के भूकंप का परिमाण रिक्टर पैमाने पर 8.7 मापा गया है, यह भूकंप 12 जून, 1897 को शिलांग प्लेट में आया था।

भारत का भूकंपी क्षेत्र

भारत को पांच विभिन्न भूकंपी क्षेत्रों में बांटा गया है।

क्षेत्र I जहां कोई खतरा नहीं है।

क्षेत्र II जहां कम खतरा है।

क्षेत्र III जहां औसत खतरा है।

क्षेत्र Iv जहां अधिक खतरा है।

क्षेत्र v जहां बहुत अधिक खतरा है।

उत्तर-पूर्व के सभी राज्य, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्से जोन-5 में ही आते हैं। उत्तराखंड के कम ऊंचाई वाले हिस्सों से लेकर उत्तर प्रदेश के ज्यादातर हिस्से तथा दिल्ली जोन-4 में आते हैं। मध्य भारत अपेक्षाकृत कम खतरे वाले हिस्से जोन-3 में आता है, जबकि दक्षिण के ज्यादातर हिस्से सीमित खतरे वाले जोन-2 में आते हैं।

हालांकि राजधानी दिल्ली में ऐसे कई इलाके हैं जो जोन-5 की तरह खतरे वाले हो सकते हैं।

एक भूकंप के दौरान होने वाली हानि मुख्यत: निम्न कारकों पर निर्भर करती हैं।

कंपन की शक्ति  : भूकंप के कंपन की शक्ति दूरी के साथ घटती जाती है। किसी भूकंप के दौरान भ्रंश खंड के साथ तीव्र कंपन की प्रबलता इसके विसर्पण या फिसलन के दौरान 13 किलोमीटर दूरी में आधी, 27 किलोमीटर में एक चौथाई, 48 किलोमीटर दूरी में आठवां भाग और 80 किलोमीटर में सोलवां भाग रह जाती है।

कंपन की लंबाई  : कंपन की लंबाई भूकंप के दौरान भ्रंश की टूटन पर निर्भर करती है। इमारतों के लंबे समय तक हिलने से अधिक और स्थायी नुकसान होता है।

मिट्टी का प्रकार  : भुरभुरी, बारीक़ और गीली मिट्टी में कंपन अधिक होता है।

भवन का प्रकार  : कुछ इमारतें भूकंप के दौरान कंपन से पर्याप्त सुरक्षित नहीं होते हैं।

किसी भूकंप के दौरान मानव निर्मित संचनाओं के गिरने और वस्तुओं एवं कांच के हवा में उछलने से जान-माल की हानि अधिक होती है। शिथिल या ढीली मिट्टी में बनने वाली दृढ़ संरचनाओं की अपेक्षा आधारशैल पर बनने वाली लचीली संरचनाओं में भूकंप से क्षति कम होती है। कुछ क्षेत्रों में भूकंप से पहाड़ी ढाल से मृदा की परतों के फिसलने से अनेक लोग दब सकते हैं।

बड़े भूकंपों के कारण धरती की सतह पर प्रचंड हलचल होती है। कभी-कभी इनके कारण समुद्र में विशाल लहरें उत्पन्न होती हैं जो किनारों पर स्थित वस्तुओं को बहा ले जाती हैं। ये लहरें भूकंप के कारण सामान्य तौर पर होने वाले विनाश को और बढ़ा देती हैं। अक्सर प्रशांत महासागर में इस प्रकार की लहरें उत्पन्न होती है। इन विनाशकारी लहरों को सुनामी कहा जाता है।

भूकंप बचाव की तैयारी | भूकंप आने पर क्या करें? |

यदि आप भूकंप के खतरे वाले क्षेत्र रहते हो तब पहले से बनाई गई आपात योजना आपकी सहायता कर सकती है। परिवार के सभी सदस्य को यह जानकारी होनी चाहिए कि किस प्रकार से गैस, पानी और विद्युत के मुख्य तंत्रों को बंद किया जाता है। परिवार में आपातकालीन स्थिति की रिहर्सल करना चाहिए।

आशीष श्रीवास्तव

(यह लेख मूलतः देशबन्धु पर प्रकाशित हुआ था, उसका संपादित अंश साभार)

whatsaplogo

हस्तक्षेप आप जैसे सुधी पाठकों को सहयोग से संचालित होता है। हस्तक्षेप का रोज का डोज के साथ, हमारा उद्देश्य न केवल आपको दिन भर की सुर्खियों से अवगत कराना है, बल्कि ग्राउंड रिपोर्ट और डॉक्यूमेंट्री से लेकर विचार और विश्लेषण तक - हमारी कवरेज को क्यूरेट करना है। देश और दुनिया की खबरों के लिए हस्तक्षेप का डेली न्यूजलेटर पढ़ें। अगर आपको हमारा काम पसंद है, तो मेंबर बनकर हमें सपोर्ट करें.

Related Stories

Hastakshep.com--earthquakes-earthquakes-Seismology (भूकम्पविज्ञान)-seismology-bhuukmpvijnyaan-पहाड़-phaadd-भूकंप-bhuuknp

संवहनी विकृतियाँ (वैस्कुलर मालफॉर्मेशन): लक्षण, उपचार और दृष्टिकोण

Hastakshep.com--earthquakes-earthquakes-Seismology (भूकम्पविज्ञान)-seismology-bhuukmpvijnyaan-पहाड़-phaadd-भूकंप-bhuuknp

आज की दस बड़ी खबरें | 05 जुलाई 2024 आज रात्रि की बड़ी खबरें

Hastakshep.com--earthquakes-earthquakes-Seismology (भूकम्पविज्ञान)-seismology-bhuukmpvijnyaan-पहाड़-phaadd-भूकंप-bhuuknp

आज की दस बड़ी खबरें | 03 जुलाई 2024 आज रात्रि की बड़ी खबरें

Hastakshep.com--earthquakes-earthquakes-Seismology (भूकम्पविज्ञान)-seismology-bhuukmpvijnyaan-पहाड़-phaadd-भूकंप-bhuuknp

क्या आप भी छोड़ना चाहते हैं तंबाकू? जानिए तंबाकू छोड़ने के नुस्खे

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें

भूकंप पर निबंध (प्राकृतिक आपदा)

[प्राकृतिक आपदा] भूकंप (Earthquake) पर छोटे व बड़े निबंध [Long & Short essay Writing on Earthquake in Hindi]

[प्राकृतिक आपदा] भूकंप (Earthquake)

पृथ्वी की सतह के हिलने और कांपने को भूकंप के रूप में जाना जाता है। भूकंप को सबसे खतरनाक प्राकृतिक आपदाओं में से एक माना जाता है क्योंकि वे जीवन और संपत्ति को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। भूकम पे निबंध छोटे बच्चो और कॉलेज छात्रों के लिए निबंध प्रस्तुत किया गया है।

#1. [100-150 Words] भूकंप -भूचाल (Bhukamp)

धरती के अचानक हिलने की घटना भूकंप कहलाती है। जब पृथ्वी के आंतरिक गर्म पदार्थों के कारण हलचल उत्पन्न होती है, तो भूकंप की स्थिति उत्पन्न होती है। कभी भूकंप हल्की तो कभी भारी तीव्रता का होता है। कम तीव्रता वाला भूकंप आने पर क्षेत्र-विशेष में धरती केवल हिलती महसूस होती है लेकिन इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। अधिक तीव्रता वाला भूकंप कभी-कभी भारी क्षति पहुँचाता है। कच्चे और कमज़ोर मकान ढह जाते हैं, चल-अचल संपत्ति का भारी नुकसान होता है। सैंकड़ों मनुष्य मकान के मलबे में दबकर मर जाते हैं। हज़ारों घायल हो जाते हैं। लोग बेघर-बार होकर अस्थायी निवास में रहने के लिए विवश होते हैं। परिस्थितियों के सामान्य बनाने में कई महीने या कई वर्ष लग जाते हैं। भूकंप को रोका नहीं जा सकता परंतु सावधानियाँ बरतने से इससे होने वाली क्षति ज़रूर कम की जा सकती है। इससे बचाव के लिए भूकंपरोधी भवनों का निर्माण करना चाहिए। भूकंप आने पर घबराना नहीं चाहिए बल्कि आवश्यक सावधानियाँ बरतनी चाहिए। भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है, इसका मिल-जुलकर मुकाबला करना चाहिए।

#2. [400-500 Words] भूकंप पर निबंध-essay on earthquake in Hindi

भूमिका : भूकंप पृथ्वी का अपनी धुरी से हिलकर कम्पन करने की स्थिति को भूकम्प या भूचाल कहा जाता है। कभी-कभी तो यह स्थिति बहुत भयावह हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप पृथ्वी के ऊपर स्थित जड़-चेतन हर प्राणी और पदार्थ का या तो विनाश हो जाता है या फिर वह सर्वनाश की-सी स्थिति में पहुंच जाता है। जापान के विषय में तो प्रायः सुना जाता है कि वहां तो अक्सर भूकम्प आकर विनाशलीला प्रस्तुत करते ही रहते हैं। इस कारण लोग वहां लकड़ियों के बने घरों में रहते हैं। इसी प्रकार का एक भयानक भूकम्प बहुत वर्षों पहले अविभाजित भारत के कोटा नामक स्थान पर आया था। उसने शहर के साथ-साथ हजारों घर-परिवारों का नाम तक भी बाकी नहीं रहने दिया था।

अभी कुछ वर्षों पहले गढ़वाल और महाराष्ट्र के कुछ भागों को भूकम्प के दिल दहला देने वाले हादसों का शिकार होना पड़ा था। प्रकृति की यह कैसी लीला है कि वह मानव-शिशुओं के घर-घरौंदों को तथा स्वयं उनको भी कच्ची मिट्टी के खिलौनों की तरह तोड़-मरोड़कर रख देती है। पहले यह भूकम्प गढ़वाल के पहाड़ी इलाकों में आया था, जहां इसने बहुत नुकसान पहुंचाया था। थोड़े दिन पश्चात् महाराष्ट्र के एक भाग में फिर एक भूकम्प आया जिसने वहां सब कुछ मटियामेट कर दिया था। महाराष्ट्र में धरती के जिस भाग पर भूकम्प के राक्षस ने अपने पैर फैला दिए थे वहाँ तो आस-पास के मकानों के खण्डहर बन गए थे। उन मकानों में फंसे लोग कुछ तो काल के असमय ग्रास बन गए थे, कुछ लंगड़े-लूले बन चुके थे। एक दिन बाद समाचार में पढ़ा कि वहां सरकार और गैर-सरकारी स्वयं-सेवी संस्थाओं के स्वयंसेवक दोनों राहत कार्यों में जुटे हुए थे। ये संस्थाएं अपने साधनों के अनुरूप सहृदयता का व्यवहार करती हुई पीड़ितों को वास्तविक राहत पहुंचाने का प्रयास कर रही थीं।

भूकम्प कितना भयानक था यह दूरदर्शन में वहां के दृश्य देखकर अन्दाजा हो गया था। जिन भागों पर भूकम्प का प्रकोप था वहां सब कुछ समाप्त हो चुका था। हल जोतने वाले किसानों के पशु तक नहीं बचे थे। दुधारू पशुओं का अन्त हो चुका था। सैकड़ों लोग मकानों के ढहने और धरती के फटने से मृत्यु को प्राप्त हो गए थे। इस प्रकार हंसता-खेलता संसार वीरान होकर रह जाता है। सब ओर गहरा शून्य तथा मौत का-सा सन्नाटा छा जाता है। कभी-कभी मैं सोचता हूं कि जापान के लोग कैसे रहते होंगे जहां इस प्रकार के भयावह भूकम्प आए दिन आते रहते हैं।

26 जनवरी, 2001 को गुजरात सहित पूरे भारत ने भूकंप का कहर देखा। भुज सहित संपूर्ण गुजरात में भारी जान-माल का नुकसान हुआ। 8 अक्टूबर, 2005 को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और उससे सटे भारतीय कश्मीर में दिल दहला देने वाला जो भूकंप आया उसमें जहाँ एक लाख से अधिक लोंग काल के गाल में समा गए, वहीं लाखों लोग घायल हुए। अरबों रुपए की संपत्ति की हानि हुई।

भूकंप वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी तक ऐसा कोई उपकरण-यंत्र विकसित नहीं हुआ है, जिससे यह बात पता चल सके कि अमुक-अमुक क्षेत्रों में भूकंप आने वाला है। भूकंप के आते समय ‘रिक्टर स्केल’ पर सिर्फ उसकी क्षमता का ही माप लिया जा सकता है। जापान, पेरू व अमेरिका के कुछ राज्यों में जहां भूकंप के झटके अकसर महसूस किए जाते हैं, वहां के वैज्ञानिकों ने भूकंपरोधी मकानों (Earthquake Resistance) का निर्माण किया है। भारत के भूकम्प प्रमाणित क्षेत्रों में भी ‘भूकंपरोधी’ मकानों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू करने के लिए सरकार को कारगर नीति बनानी चाहिए।

#3. [600-700 Words] Bhukamp par nibandh भूकंप निबंध हिंदी में

भूमिका : प्रकृती उस ईशवर की रचना होने के कारण अजय है। मनुष्य आदि काल से प्रकृति की शक्तियों के साथ संघर्ष करता रहा है। उसने अपनी बुद्धि साहस एवं शक्ति के बल पर प्रकृति के अनेक रहस्य का उद्घाटन करने में सफलता प्राप्त की है लेकिन इस प्रकृति की शक्तियों पर पूर्ण अधिकार करने की सामर्थ्य मनुष्य में नहीं है। प्रकृति अनेक रूपो में हमारे सामने आती है। ये कभी अपना कोमल और सुखदायी रूप दिखाती है। तो कभी ऐसा कठोर रूप धारण करती है कि मनुष्य इसके सामने विवश और असहाय हो जाता है। आंधी तूफान, अकाल, अनावृष्टि अतिवृष्टि तथा भूकम्प ऐसे ही प्रकोप है।

भूकम्प क्या है: भूमि के हिलने को भूचाल, भूकंप की संज्ञा दी जाती है। धरती का कोई भी अंग ऐसा नहीं बचा जहां कभी ना कभी भूकंप के झटके ना आए हो, भूकंप के हल्के झटके से तो विशेष हानि नहीं होती है। लेकिन जब कभी जोर के झटके आते हैं तो वे प्रलय कारी दृश्य उपस्थित कर देते हैं। कामायनी के महाकाव्य के रचयिता श्री जयशंकर प्रसाद में प्रकृति का प्रकोप का वर्णन करते हुए लिखा है।

हा – हा – कार हुआ क्रंदनमय कठिन कुलिश होते थे चूर हुए दिगंत वाघेर, भीषण रव बार-बार होता था क्रूर।।

भूकंप का कारण: भूकंप क्यों आते हैं यह एक ऐसा रहस्य है जिसका उद्घाटन आज तक नहीं हो सका वैज्ञानिकों ने प्रकृति को मनुष्य के अनुकूल बनाने का प्रयत्न किया है । वह गर्मी तथा सर्दी में स्वयं को बचाने के लिए वातावरण को अपने अनुकूल बना सकता है। लेकिन भूकंप तथा बाढ़ आदि ऐसे देवी प्रकोप है जिनका समाधान मनुष्य जाति सैकड़ों वर्षों के कठोर प्रयोत्नो के बावजूद भी नहीं कर पाई है।

भूकंप के कारण के विभिन्न मत: भूकम्प को विषय में लोगों के भिन्न-भिन्न मत है, भुगर्भ शास्त्रियों का मत है कि धरती के भीतर तरल पदार्थ है, जब अंदर की गर्मी के कारण तीव्रता से फैलने लगते हैं तो पृथ्वी हिल जाती है। कभी-कभी ज्वालामुखी का फटना भी भूकम्प का कारण बन जाता है। भारत एक धर्म प्रधान देश है, यहां के लोगों का मत है कि जब पृथ्वी के किसी भाग पर अत्याचार और अनाचार बढ़ जाते हैं तो उस भाग में देवी प्रकोप के कारण भूकंप आते है। देहातो में तो यह कथा भी प्रचलित है कि शेषनाग ने पृथ्वी को अपने सिर पर धारण कर रखा है। उसके सात सिर है जब एक सिर पृथ्वी के बोझ के कारण थक जाता है। तो उसे दूसरे सिर पर बदलना है उसकी इस क्रिया से पृथ्वी हिल जाती है। और भूकंप आ जाता है, अर्थशास्त्रियों का तर्क है कि जब पृथ्वी पर जनसंख्या जरूरत से अधिक बढ़ जाती है तब उसे संतुलित करने के लिए भूकम्प उत्पन्न करती हैं।

भूकंप से हानि: भूकंप का कारण कोई भी क्यों ना हो, पर इतना निश्चित है कि यह एक दैवी प्रकोप है जो अधिक विनाश का कारण बनता है यह जान लेवा ही नहीं बनता बल्कि मनुष्य की शताब्दीयो की मेहनत को भी नष्ट कर देता है। बिहार में बड़े विनाशकारी भूकंप देखे हैं हजारों लोग मौत के मुंह में चले गए भूमि में दरारें पड़ गई जिनमें जीवित प्राणी समा गए पृथ्वी के गर्भ से कई प्रकार की विषैली गैस उत्पन्न हूंई जिनमें प्राणियों का दम घुट गया। भूकंप के कारण जो लोग धरती में समा जाते हैं उनके मृत शरीरों को बाहर निकालने के लिए धरती की खुदाई करनी पड़ती है। यातायात के साधन नष्ट हो जाते हैं बड़े-बड़े भवन धराशाई हो जाते हैं लोग बेघर हो जाते हैं धनवान निर्धन बन जाते हैं और निर्धनों को जीने के लाले पड़ जाते हैं।

भूकंप का उल्लेख: सन 1935 में क्वेटा ने भूकंप का प्रलयकारी नृत्य देखा था। भूकंप के तेज झटकों के कारण देखते ही देखते एक सुंदर नगर नष्ट हो गया हजारों स्त्री पुरुष जो रात की सुखद नींद का आनंद ले रहे थे क्षण भर में मौत का ग्रास बन गए। मकान, सड़के ओर व्रक्ष आदि सब नष्ट हो गए सब कुछ बहुत दयनीय हो गया। बहुत से लोग अपंग हो गए। किसी का हाथ टूट गया तो किसी की टॉन्ग, कोई अँधा हो गया तो कोई बहरा। अनेक स्त्रियां विधवा हो गई। बच्चे अनाथ हो गए। भारत देश के गुजरात राज्य में सन 2001 का भूकंप ऐसा रहा कि जिससे हुई बर्बादी अभी तक किसी भी भूकम्प से हुई बर्बादी से अधिक है। आज भी जब उस भूकम्प की करुण कहानी सुनते है।तो ह्रदय कांप उठता है।

भूकंप क्यों आते हैं ? इस संबंध में भिन्न-भिन्न मत प्रचलित हैं। भूगर्भशास्त्रियों की राय है कि पृथ्वी के भीतर की तहों में सभी धातुएँ और पदार्थ आदि तरल रूप में बह रहे हैं। जब वे भीतर की गरमी के कारण अधिक तेजी से बहते और फैलते हैं तो धरती काँप उठती है। कभी-कभी ज्वालामुखी पर्वतों के फटने से भी भूकंप आ जाते हैं। एक अन्य मत यह भी प्रचलित है कि पृथ्वी के भीतर मिट्टी की तहों के बैठने (धसकने) से भी धरती हिल उठती है।

जापान आदि कुछ ऐसे देश है जहां भूकंप की संभावना अधिक रहती है यहां पर मकान पत्थर चुने तथा ईट के ना होकर लकड़ी तथा गत्ते के बनाए जाते हैं। ये साधन भूकम्प के प्रभाव को कम कर सकते हैं पर उसे रोक नहीं सकते है। भूकंप जब भी आता है जान और माल की हानि अवश्य होती है। टर्की में भी एक भीषण भूकंप आया था जिसके परिणाम स्वरूप हजारों मनुष्य दबकर मर गए थे भूकंप के हल्के झटके भी कम भयंकर नही होते उससे भवनों को क्षति पहुंचती है।

उपसंहार : आज का युग विज्ञान का युग कहलाता है। पर विज्ञान देवी प्रकोप के सामने विवश है। भूकम्प के मनुष्य कारण क्षण भर में ही प्रलय का दृश्य उपस्थित हो जाता है। ईश्वर की इच्छा के आगे सब विवश है। मनुष्य को कभी भी अपनी शक्ति और बुद्धि का घमंड नहीं करना चाहिए उसे हमेशा प्रकृति तथा ईश्वर की शक्ति के आगे नतमस्तक रहना चाहिए। ईश्वर की कृपा ही मानव जाति को ऐसे प्रकोप से बचा सकती है।

#4. [800-1000 Words Long essay] प्राकृतिक आपदा भूकंप पर निबंध

प्रस्तावना : मनुष्य अपने स्वार्थ सिद्धि और तरक्की के कारण पर्यावरण को बेहद नुकसान पहुंचा रहा है। पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है। इसके कारण कई प्राकृतिक आपदाओं को इसने जन्म दिया है। भूकंप एक भयंकर प्राकृतिक आपदा है। यह एक भीषण संकट है। भूकंप जैसे ही आता है , यह जीव जंतु , मनुष्य सभी की जान ले लेता है। पेड़ पौधे नष्ट हो जाते है। बड़ी बड़ी इमारतें कुछ ही मिनटों में ताश के पत्तों की तरह ढह जाती है। भूमि पर दरार पड़ जाती है। अचानक धरती पर तीव्र गति से कम्पन होती है कि एक ही झटके में सब कुछ नष्ट हो जाता है। कई परिवार भूकंप की इस भयावह आपदा के शिकार हो जाते है। हर तरफ त्र्याही त्र्याही मच जाती है। भूकंप दो अक्षरों -भू + कम्प से बना है। भू मतलब धरती और कम्प का अर्थ है कम्पन। इस प्रकार भूमि यानी धरती पर अचानक आये कम्पन को भूकंप कहते है।

लोग बेघर हो जाते है और इस विनाशकारी आपदा की वजह से घायल हो जाते है। भूकंप के समक्ष मनुष्य की हालत दयनीय और असहाय हो जाती है। अपने चारो तरफ वह विनाश देखने को बेबस हो जाता है। भूकंप , बड़े उन्नत शहरों को खंडहरों में बदल कर रख देता है। मनुष्य ने हर क्षेत्र में प्रगति कर ली मगर भूकंप पर विजय पाने में असफल रहा है। ज़्यादातर भूंकम्प ज्वालामुखी विस्फोटो से आते है। जब ज्वालामुखी विस्फोट होता है , धरती में कम्पन पैदा हो जाता है। भूंकम्प आने पर चट्टानें टूट जाती है। जहाँ पर यह भूकंप आता है , वहां पर बसे गाँव और शहर नष्ट हो जाते है। जान माल की प्रचुर हानि होती है। कई बार दरारे इतनी गहरी पड़ती है कि लोग जिन्दा दफ़न हो जाते है। संचार और यातायात के सभी साधन भूकंप की वजह से नष्ट हो जाते है।

भूकंप पीड़ित जगहों पर कई वर्षो तक खुशहाली लौटती नहीं है। जीवन सामान्य होने में वक़्त लगता है। धरती को कृषि योग्य बनाने के लिए सैंकड़ो सालों से की गयी परिश्रम एक पल में नष्ट हो जाती है। भूकंप की वजह से सागर में भयानक लहरें उठती है जो वहां के क्षेत्रों में बसे लोगो पर कहर बरसाती है। भूकंप के समय समुद्र में तैर रही जहाजों का बचना नामुमकिन हो जाता है।

भारत में गुजरात के भुज में 7.7 तीव्रता से विनाशकारी भूकंप आया था। इस भूकंप में तीस हज़ार से ज़्यादा लोगो की जान चली गयी थी।

चार परतो से मिलकर धरती का निर्माण होता है। क्रस्टल , मेन्टल , इनर कोर , आउटर कोर इन चार परतो के नाम है। जब घरती के अंदर यह टेकटोनिक प्लेट हिलती है भूंकम्प आता है। धरती पर कभी कभार इतना अधिक दबाव पड़ता है कि पहाड़ खिसकने लगते है। टेकटोनिक प्लेट की तरह पहाड़ो , महासागरों की भी विभिन्न प्लेट होती है। भूकंप तब भी आ सकता , जब ऐसी प्लेट्स एक दूसरे के संग टकराती है।

भूकंप आने के कुछ कारण , मनुष्य का परमाणु परीक्षण , अनियमित प्रदूषण खदानों में विस्फोट , गहरे कुएं से तेल प्राप्त करना , जगह -जगह पर बाँध का निर्माण करवाना है । भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल में मापी जाती है। भूकंप को जिस उपकरण से मापा जाता है , उसे सिस्मोमीटर कहा जाता है। अगर दो से तीन तक की रिक्टर स्केल की भूकंप आती है ,तो यह भूकंप इतनी तीव्र नहीं होती है। अगर भूकंप की तीव्रता सात रिक्टर या उससे ज़्यादा होती है , तो भीषण विनाश ले आती है। ऐसे भूकंप में जान माल का बहुत नुकसान होता है।

जिस जगह में जनसंख्या का घनत्व अधिक होती है , वहां भूकंप से भयानक हानि होती है। शहरों में बड़ी इमारते होती है ,वो ढह जाती है जिसमे कई लोग दब कर मर जाते है। जब भूकंप आता है , तो नदियों और समुन्दरो में लहरें बढ़ जाती है। इससे बाढ़ का भय बढ़ जाता है।

अगर अतिरिक्त कम्पन होता है , धरती का बुरी तरीके से फटना शुरू हो जाता है। भूकंप आने पर चारो तरफ तनाव और भय का माहोल उतपन्न हो जाता है। मनुष्य को ऐसे घरो का निर्माण करना चाहिए ,जो भूकंप की चपेट को झेल सके। भूकंप रोधी घर होने चाहिए। जैसी ही लोगो को भूकंप के झटके महसूस होते है , उन्हें अपने मकान से निकलकर , खुले स्थान पर जाना चाहिए। अगर देर हो रही है , तो किसी सख्त फर्नीचर के नीचे छिप जाए । एक बात का ध्यान रखे , भूकंप के समय लिफ्ट का उपयोग बिलकुल ना करे। बिजली की मैन स्विच बंद कर दे। भूकंप की वजह से बड़े बड़े घरो और पाइपलाइनो में भयंकर आग लग सकती है। इससे और अधिक लोगो की जान जा सकती है। कई तरह के बिजली उपकरणों के कारण और अधिक भयंकर हादसा हो सकता है। इसलिए सावधानी बरतनी ज़रूरी है। समुद्र में जब भूकंप आता है ,तो वहां ऊँची लहरों का निर्माण होता है। यह सब विनाश भूकंप की ही देन है।

भूकंप आने से पूर्व मनुष्य को कोई चेतावनी नहीं मिलती है। लोगो को भूकंप के बारे में पहले से कुछ जानकारी नहीं मिलती है। कभी भूकंप की गति कम होती है , लोग इसे भूल जाते है। जब भूकंप अपने चरम सीमा पर होता है , तो गंभीर घाव दे जाता है। भूकंप अचानक दस्तक देती है और सब कुछ तहस नहस कर देती है।

यह सबसे घातक प्राकृतिक आपदा है। इससे लोगो की जिंदगी और संपत्ति सब लूट जाती है। भूकंप की उत्पत्ति जहां होती है , उसे भूकंप केंद्र कहा जाता है। भूकंप जैसे महाविनाश को रोकना असंभव है। मनुष्य को इसके प्रभाव को कैसे कम किया जाए , इस पर विचार करना चाहिए। मनुष्य भूकंप के कष्टों को कम ज़रूर कर सकता है। सामाजिक संस्थाएं ग्रसित जगहों में जाकर पीड़ित लोगो की मदद करती है। सरकार पीड़ित लोगो के पुनः स्थापना के लिए सरकारी अनुदान देती है। राहत कोष जैसी सुविधाएं प्रदान की जाती है। मनुष्यो के औद्योगीकरण और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में तीव्र गति की उन्नति ने इन भयानक प्राकृतिक आपदाओं को जन्म दिया है। मनुष्य को इस पर नियंत्रण करना बहुत ज़रूरी है।

#सम्बंधित :- Hindi paragraph, Hindi Essay, हिंदी निबंध। 

  • प्राकृतिक आपदाओं पर निबंध
  • बाढ़ का दृश्य पर निबंध
  • प्रकृतिक विपदा: सूखा पर निबंध
  • जीव जंतु हमारे लिए उपकारी पर निबंध
  • अपनी सुरक्षा अपना दायित्व
  • मानव और समाज पर निबंध
  • प्लास्टिक वरदान या अभिशाप
  • ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध, Global warming
  • वृक्षारोपण पर निबंध
  • जल है तो कल है निबंध
  • निबंध- जल प्रदूषण दूर करने की सावधानियां
  • महान व्यक्तियों पर निबंध
  • पर्यावरण पर निबंध
  • सामाजिक मुद्दे पर निबंध
  • स्वास्थ्य पर निबंध
  • महिलाओं पर निबंध

Related Posts

नदी की आत्मकथा पर निबंध (300 और 500 शब्द)

जल शक्ति अभियान पर निबंध

सूर्य ग्रहण पर निबंध

जलवायु परिवर्तन पर निबंध

मिट्टी बचाओ पर निबंध

1 thought on “भूकंप पर निबंध (प्राकृतिक आपदा)”

Well l think u could have posted 200-300 words limitation too. Coz there situation in which we don’t need much words and of course least words.So for that situation 200-300 words is perfect. I just wanted to make u know about it……..

Leave a Comment Cancel reply

भूकंप पर निबंध Earthquake in Hindi

भूकंप पर निबंध Essay on Earthquake in Hindi

इस लेख में हमने भूकंप पर निबंध (Essay on Earthquake in Hindi) आकर्षक रूप से लिखा है। इस लेख में भूकंप क्या है तथा भूकंप आने के कारण साथ ही भूकंप से बचाव के उपाय सरल रूप में दिया गया है।

Table of Contents

प्रस्तावना (भूकंप पर निबंध Essay on Earthquake in Hindi)

प्रकृति समय-समय पर स्वयं में परिवर्तन करती रहती है। जिसे हम भूकंप, बाढ़ तथा चक्रवात के रूप में देख सकते हैं। भूकंप आने के पीछे मनुष्य का पर्यावरण के तरफ उदासीन भाव भी होता है। आज मनुष्य स्वार्थवश प्रकृति का दोहन कर रहा है।

जब मनुष्य द्वारा या प्राकृतिक रूप से पर्यावरण में व्यतिरेक उत्पन्न होता है तब प्रकृति खुद को अपने मूल स्थिति में लाने के लिए भूकंप का सहारा लेती है।

भूकंप के कारण सजीव और निर्जीव दोनों की हानि होती है लेकिन मानव जाति कुछ ही दिनों में प्रकृति का दोहन फिर से शुरू कर देती है।

आज पर्यावरण दोहन अपने चरम पर है। वैज्ञानिकों ने एक स्वर में कहा है की आज के जितना प्रकृति दोहन पहले कभी नहीं हुआ है। जिसके कारण आज तापमान तेजी से बढ़ रहा है। असमय वर्षा और मौसम का बदलाव तथा भूकंप से बड़ी मात्रा में विनाश हो रहा है।

अगर प्रकृति के दोहन को रोक कर फिर से उसे पहले जैसा नहीं किया गया तो वह समय दूर नहीं जब धरती पर जीवन का नामोनिशान नहीं बचेगा।

भूकंप क्या है? What is Earthquake in Hindi?

जब धरती की प्लेटें आपस में टकराती हैं तब उनमें कंपन्न उत्पन्न होता है जिसे भूकंप कहा जाता है। भूकंप को सबसे घातक प्राकृतिक आपदाओं में से एक माना जाता है।

भूकंप के वक़्त होने वाले कंपन्न से बड़ी मात्रा में धन तथा जान माल का नुकसान होता है जिसकी भरपाई करने में काफी समय गुजर जाता है।

इसकी अधिक तीव्रता के कारण जमीन फट सकती है तथा हिमपर्वत भी पिघल सकते हैं जिसके कारण बाढ़ या सुनामी जैसे हालात भी बन जाते हैं।

भूकंप के चार प्रकार होते हैं। विवर्तनिक, ज्वालामुखी, विस्फ़ोट तथा पतन। विवर्तनिक प्रकार के भूकंप को सामान्य भूकंप कहते हैं। जब भूकंप का कंपन्न अधिक होता है तब उसके कंपन्न से ज्वालामुखी की परते खुल जाती है और ज्वालामुखी जागृत हो जाता है। 

कई बार जब भूकंप आने के बाद धरती फट जाती है या किसी जगह से किन्ही गैस या तेल का प्रवाह निकलने लगता है, तो उसे विस्फ़ोटक प्रकार का भूकंप कहते हैं। 

जब भूकंप के कारण समुन्द्र अपने स्तर से ऊँचा उठ जाता है और बड़ी-बड़ी लहरे उत्पन्न करने लगता है और सुनामी की शकल में सब कुछ तहस नहस कर देता है तो उसे पतन प्रकार के भूकंप के नाम से जाना जाता है।

भूकंप आने कारण Reasons of Earthquake in Hindi

पृथ्वी के अंदर कई प्रकार के तरल तथा पत्थर की प्लेटें समाई हुई हैं। जब यह प्लेटें टूटती हैं या अपने स्थान से खिसकती हैं, तो अचानक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ जाता है और फलस्वरूप उन दो चट्टानों के टकराने से एक कंपन्न उत्पन्न होता है जिसे भूकंप के नाम से जाना जाता है।

पृथ्वी एक निश्चित गति से सूर्य का चक्कर लगा रही है, साथ ही अपनी धुरी पर भी घूम रही है। लेकिन किन्हीं कारणवश इसकी प्राकृतिक बनावट में व्यतिरेक उत्पन्न होता है तो भूकंप आते हैं।

आज जिस प्रकार पेड़ों की कटाई हो रही है तथा प्रदूषण का स्तर बढ़ रहे हैं। यह सभी भी भूकंप के कारणों में शामिल हैं। पेड़ पौधे पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखते हैं। पेड़ों की जड़ें जमीन में समाई होती हैं जिसके कारण जमीन एक दूसरे से जकड़ी होती हैं।

वृक्ष वर्षा चक्र को बनाए रखते हैं जिसके कारण धरती पर अनुकूल समय पर बरसात होती है तथा भूगर्भ की गर्मी कम होती है। इसके कारण इंसान को पीने का पानी धरती के ऊपरी स्तर पर ही मिल जाता है और उसे जमीन को गहरा खोदने की जरूरत नहीं पड़ती।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण अम्ल वर्षा तथा ग्लोबल वार्मिंग में बढ़ोतरी हो रही हैं। जिसके कारण पेड़ पौधों तथा जमीन को नुकसान हो रहा हैं। यह सभी कारण हैं जिससे भूकंप आते हैं।

भूकंप के प्रभाव Impact of Earthquake in Hindi

मानव जीवन के लिए भूकंप अथवा कोई भी प्राकृतिक आपदाएं हानिकारक ही साबित होती हैं। भूकंप के प्रभाव से पशु पक्षी तथा इंसान कोई भी नहीं बच पाता।

भूकंप को रिक्टर स्केल के मापक पर मापा जाता है और 4 से ज्यादा रिक्टर स्केल के भूकंप को बहुत ही ज्यादा हानिकारक माना जाता है।

भूकंप के प्रभाव से बड़े-बड़े पेड़ अपनी जड़े खो देते हैं, ज्वालामुखी सक्रिय हो जाते हैं और धन का एक बड़े भाग का यूं ही नाश हो जाता है, जिसमें बड़ी बड़ी बिल्डिंगें, रेलवे ट्रैक, रोड तथा सांस्कृतिक विरासत भी शामिल हैं।

जापान में भूकंप की मात्रा बेहद अधिक होती हैं। जापान पूरी दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जहां पर एक भी प्राकृतिक नदियां नहीं है और जिसने भूकंप बाढ़ सुनामी से सबसे अधिक नुकसान झेला है। जापान में पांच रिक्टर स्केल के भूकंप को बेहद सामान्य माना जाता है।

इतिहास का सबसे खतरनाक भूकंप सन 1935 क्वेटा में आए भूकंप को माना जाता है। क्वेटा जैसे शहर की सुंदरता एक रात में नष्ट हो गई थी।

जिस स्थान को प्रवासियों के लिए स्वर्ग माना जाता था उस पर एक रात में कब्रिस्तान बनने का कलंक लग गया था। हजारों लाखों लोग नींद में ही काल के ग्रास बन गए थे और लाखों लोग घर से बेघर हो गए थे।

भूकंप से बचाव के उपाय (प्रबंधन) Earthquake Prevention Measures in Hindi

आधुनिक विज्ञान ऐसी कोई मशीन नहीं बना पाया है जिससे आने वाले भूकंप की जानकारी पहले से हो सके। लेकिन ऐसे कई बचाव के उपाय पुरानी किताबों में पाए गए हैं जिनसे बचाव मुमकिन हो सकता है। भूकंप से बचाव के रूप में सबसे पहला कदम मनुष्य का पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार होना है।

आज हम प्रकृति के प्रति बिल्कुल भी सचेत नहीं है। इंसानी मस्तिष्क ने ऐसी मशीनें वह हथियार बनाए हैं जिससे प्रकृति का सीधे नाश होता है। अगर प्रकृति के प्रकोप से बचना है तो ऐसी मशीनों को नष्ट करना होगा।

उदाहरण के तौर पर एयर कंडीशनर में से निकलती गैस CFC क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैस को लिया जा सकता है। क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैस का एक अणु ओजोन स्तर के एक लाख परमाणुओं का नाश करता है।

भूकंप से बचाव के लिए हमें वन संरक्षण को बढ़ाना होगा तथा वृक्षारोपण में तेजी लानी होगी। युद्ध के स्थान पर बातचीत को तवज्जो देना होगा क्योंकि पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान हथियारों के प्रयोग से होता है। 

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में अपने भूकंप पर निबंध (Essay on Earthquake in Hindi) बड़ा आशा ही आलेख आपको सरल तथा जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरूर करें।

Leave a Comment Cancel reply

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed .

  • Now Trending:
  • Nepal Earthquake in Hind...
  • Essay on Cancer in Hindi...
  • War and Peace Essay in H...
  • Essay on Yoga Day in Hin...

HindiinHindi

Essay on earthquake in hindi भूकंप पर निबंध.

Today we are going to write essay on earthquake in Hindi. भूकंप पर निबंध (Bhukamp Essay in Hindi). Students will find long and short essay on earthquake in Hindi along with a paragraph on earthquake in Hindi. You will also find effects of earthquake in Hindi and earthquake conclusion essay in Hindi. Essay on earthquake in Hindi for class 10, 9, 8, 7, 6, 5, 4, 3. Now you can write essay on earthquake in Hindi language.

Essay on Earthquake in Hindi

hindiinhindi Essay on Earthquake in Hindi

प्रकृति का स्वभाव बड़ा विचित्र है – कभी कल्याणकारी तो कभी विनाशकारी। प्रकृति कब, कैसे और क्या रूप धारण कर लेगी, इसे समझ पाना अभी तक मनुष्य के बस की बात नहीं है। ज्ञान-विज्ञान की उन्नति के कारण यह कहा जाता है कि आज मनुष्य ने प्रकृति के सभी रहस्यों को जान लिया है और सुलझा लिया है, किन्तु यह बात सच नहीं जान पड़ती। मौसम-विज्ञानी घोषणा करते हैं कि अगले चौबीस घंटों में तेज वर्षा होगी या कड़ाके की ठंड पड़ेगी, किन्तु होता कुछ और ही है। वर्षा और ठंड के स्थान पर चिलचिलाती धूप खिल उठती है। विज्ञान और वैज्ञानिकों की जानकारियों और सफलताओं का सारा दंभ धरा का धरा रह जाता है। सच तो यह है कि प्रकृति अनंत है और उसका स्वभाव अबूझ। बाढ़, सूखा, अकाल, भूकंप प्रकृति के विनाशकारी रूप के ही पर्याय हैं जो असमय मानव जीवन में हाहाकार मचा देते है।

प्राकृतिक आपदाओं में भूकम्प ही सबसे अधिक विनाशकारी होता है। सचमुच भूकंप विनाश का दूसरा नाम है। इसके कारण जहां लाखों मकान धराशायी हो जाते हैं, वहीं बड़ी संख्या में लोग असमय ही मृत्यु का ग्रास बन जाते हैं। कितने अपाहिज और लूले-लँगड़े होकर जीवन जीने को मजबूर हो जाते हैं। कभी-कभी तो पूरा शहर ही धरती के गर्भ में समा जाता है और नदियाँ अपना मार्ग परिवर्तित कर लेती हैं। भूतल पर नए भू-आकार जन्म ले लेते हैं, जैसे कि द्वीप, झील, पठार आदि। कभी-कभी जलाच्छादित भूमि समुद्र से बाहर निकल आती है। भूतल पर आए परिवर्तन मनुष्य के जीवन को भी प्रभावित करते हैं।

भूकंप शब्द का अर्थ होता है – पृथ्वी का हिलना। पृथ्वी के गर्भ में किसी प्रकार की हलचल के कारण जब धरती का कोई भाग हिलने लगता है, कंपित होने लगता है तो उसे भूकंप की संज्ञा दी जाती है। अधिकतर कंपन हल्के होते हैं और उनका पता नहीं चलता, न ही उनका हमारे जीवन पर कोई बुरा प्रभाव पड़ता है। मुख्य रूप से हम पृथ्वी के उन झटकों को ही भूकंप कहते हैं, जिनका हम अनुभव करते हैं। भूकंप के मुख्य कारणों में पृथ्वी के भीतर की चट्टानों का हिलना, ज्वालामुखी का फटना आदि हैं। इनके अतिरिक्त भू-स्खलन, बम फटने तथा भारी वाहनों या रेलगाड़ियों की तीव्र गति से भी कंपन पैदा होते हैं।

देश के इतिहास में सबसे भयानक भूकंप 11 अक्तूबर 1737 में बंगाल में आया था जिसमें लगभग तीन लाख लोग काल के गाल में समा गए थे। महाराष्ट्र के लातूर और उस्मानाबाद जिलों में आए विनाशकारी भूकंप ने करीब 40 गाँवों में भयानक तबाही मचाई। इसी कड़ी में 26 जनवरी, 2001 का दिन भारतीय गणतंत्र में काला दिन बन गया। उस दिन सुबह जब पूरा राष्ट्र गणतंत्र दिवस मना रहा था, प्रकृति के प्रलयंकारी तांडव ने भूकम्प का रूप लेकर गुजरात को धर दबोचा। देखते ही देखते भुज, अंजार और भचाऊ क्षेत्र कब्रिस्तान में बदल गए। गुजरात का वैभव कुछ ही क्षणों में खंडहरों में परिवर्तित हो गया। बहुमंजिली इमारतें देखते ही देखते मलबे के ढेर में बदल गईं। चारों ओर चीख-पुकार, बदहवासी और लाचारी का आलम था। अचानक हुई इस विनाशलीला ने लोगों के कंठ से वाणी और आँख से आंसू ही छीन लिए।

रैक्टर पैमाने पर गुजरात के इस भूकंप की तीव्रता 6.9 थी। इसका केन्द्र भुज से 20 कि-मी उत्तर-पूर्व में था। इस त्रासदी में हजारों की संख्या में लोग काल कवलित हो गए और कई हजार घायल हो गए, और लगभग एक लाख लोग बेघर हो गए। सारा देश इस त्रासदी में गुजरात के साथ था। सर्वप्रथम क्षेत्रीय लोग और स्वयं सेवी संस्थाओं ने राहत और बचाव कार्य आरम्भ किया। मीडिया की अहम भूमिका ने त्रासदी की गंभीरता का सही-सही प्रसारण कर भारत सरकार को झकझोरा और भारत सहित समूचे विश्व को सहायता के लिए उद्वेलित कर दिया। सारा जनमानस सहायता के लिए उमड़ पड़ा। भारत के कोने-कोने तथा विश्व के अनेक देशों से सहायता सामग्री का अंबार लग गया। सहायता के लिए धन-राशि के साथ-साथ अन्य आवश्यक सामग्री भी पहुंचने लगी। देश की तीनों सेनाओं के सैनिक तथा कई समाज सेवी संस्थाओं के कार्यकर्ता भी सहायता-कार्य में जुट गए। इस त्रासदी में करोड़ों रुपए की निजी तथा सार्वजनिक सम्पत्ति के नुकसान होने का अनुमान आंका गया।

क्या मनुष्य सदैव इस विनाशलीला का मूकदर्शक बना रहेगा, इस त्रासदी को भोगता रहेगा ? यद्यपि विज्ञान ने भूकंप की पूर्व सूचना देने के सम्बन्ध में उल्लेखनीय प्रगति की है, उपग्रह भी इस दिशा में काफ़ी सहायक सिद्ध हो रहे हैं। तथापि इन भूकंपों को कैसे रोका जा सकता है इस दिशा में अभी तक कोई निर्णायक सफलता प्राप्त नहीं हुई है। आज तो स्थिति यह है कि विज्ञान जब तक कोई और नया चमत्कार न दिखला दे, तब तक मनुष्य को भूकंप की त्रासदी को किसी न किसी रूप में भोगना ही पड़ेगा। आशा है कि निकट भविष्य में विज्ञान कोई ऐसा चमत्कार दिखाएगा, जिससे मानव जाति इस त्रासदी से मुक्त हो सकेगी।

महाराष्ट्र का विनाशकारी भूकंप

30 सितम्बर, 1993 को रात करीब तीन बजकर छप्पन मिनट पर महाराष्ट्र की भूमि की कोख में भयंकर हलचल शुरू हुई। भूकंप का एक अति तीव्र झटका आया। धरती कांपने लगी। प्रकृति की विनाश लीला आरंभ हो चुकी थी। आप ने किताबों अखबारों या अन्य माध्यमों से इस भयंकर भूकंप के बारे में अवश्य सुना होगा। आपके माता-पिता को तत्कालीन राष्ट्रपति डा। शंकरदयाल शर्मा की वह भावुकता से सराबोर आह्वान अवश्य याद होगा, जिसे उन्होंने जनता के नाम संप्रेषित किया था। उन्होंने नम आँखों से सारे देश के नागरिकों से इस राष्ट्रीय आपदा को सहन करने में सहयोग देने की नैतिक अपील की थी और उसका व्यापक प्रभाव भी देखने को मिला था। लोगों ने भूकपपीड़ितों की तन-मन-धन से सहयता की थी। डॉक्टरों, सेवादारों और बचाव कर्मियों की टोलियां तुरन्त ही महाराष्ट्र के लिए पूरे देश भर से निकलने लगी थीं। सरकारी तौर पर भी इस आपदा से मुक्ति का प्रयास व्यापक पैमाने पर किया जा रहा था।

रात्रि के समय आने वाला यह भूकंप अति विनाशकारी सिद्ध हुआ। उसने निद्रा में डूबे हुए लोगों को सदा-सदा के लिए चिरनिद्रा में सुला दिया। लोग जिस स्थान पर सो रहे थे, इस विनाशकारी भूकंप ने उन्हें उनके स्थान पर दफन कर दिया। जो कभी उनका शयन कक्ष हुआ करता था, वही क्षणभर में उनकी कब्र बन गया। इस भूकंप का प्रभाव अत्यंत व्यापक था। देश-विदेश तक में इस की खबरें आयी और इसे सदी का भयानक भूकंप बताया गया। रेक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 6.4 बताई गयी। जिस गहन रात्रि में यह भूकंप आया था वह रात्रि एक प्रकार से काल की क्रूरता का एक खेल सी बन गयी थी। इस भूकंप का पहला झटका 3.56 मिनट तक महसूस किया गया और दूसरा 4.42 मिनट तक इस विनाशलीला की गति यहीं पर नहीं रुकी। कुछ समय बाद एक तीसरा झटका भी आया, जो करीब 6.40 मिनट तक महसूस किया गया।

एक पाश्चात्य भू-वैज्ञानिक का स्पष्ट मानना था कि इस तीव्रता एवं क्षमता वाला भूकंप एक वृहद क्षेत्र को अतिशीघ्र ध्वस्त कर देने की प्रबल क्षमता रखता है। हुआ भी वही, महाराष्ट्र का एक बड़ा क्षेत्र इसकी चपेट में आया और बुरी तरह से ध्वस्त हो गया। महाराष्ट्र के लातूर से लेकर कर्नाटक के गुलबर्गा तक इसका प्रभाव देखा गया। किन्तु इस भूकंप ने जिस क्षेत्र को भयावह रूप से बर्बाद किया, वह था महाराष्ट्र के लातूर और उस्मानाबाद जिले के उभरेगा और किल्लारी तालुका नामक कस्बे। इन क्षेत्रों में इस रात्रि को मृत्यु का नंगा नाच होता रहा। मानो पृथ्वी अपना स्वाभाविक धर्म छोड़कर मनुष्य का शत्रु हो गयी हो और उसे अपना ग्रास बनाने की भावना से आप्लावित हो रही हो। मनुष्य ही नहीं, पशु-पक्षी, वृक्ष आदि सभी इस विनाशलीला का शिकार हुए। तड़पते हुए मानव, असहाय होकर मृत्यु को अपनी आंखों के सामने खड़ा देख रहे थे। मानों समस्त प्रकृति ही नहीं अपितु ब्रम्हा भी अपनी मानव-संतान से मोह तोड़ चुके हों। बारिस के कहर ने इस विनाशलीला को और भी भयानक बना दिया। तेज बारिस शुरू हो गयी और इसके कारण बचाव कार्य शिथिल होता रहा। जिस शीघ्रता और अनुपात में भूकंप पीड़ितों को सहायता चाहिए थी वह उन्हें सरकार चाहकर भी नहीं दे सकी। किन्तु यह स्थिति बहुत देर तक बनी नहीं रह सकी। भारतीयों की यही विशेषता है कि समय पड़ने पर वह फिर किसी भी प्रकार की प्रतिकूलता को आड़े नहीं आने देते, अपितु ऐसी प्रतिकूलताएं उन्हें अपने कार्य के प्रति और भी जुझारू बना देती हैं।

सरकार ने भी अपने मानवीय सरोकारों को इस मौकेपर भूलाया नहीं। जिस भांति भी संभव हुआ, प्रभावित क्षेत्र को आवश्यक सहायता प्रदान की जाती रही। सहायता राशि के रूप में केन्द्र सरकार ने करोड़ों रुपए प्रदान किए। राज्य सरकारों ने भी अपने निवासियों के दुःख दर्द को पूरी तरह समझा और उनके पुनर्वास के लिए हर संभव सरकारी सहायता प्रदान की। किन्तु जैसे कहा भी जाता है कि भाग्य में जो लिखा होता है वही होता है, करीब 2 लाख लोग इससे प्रभावित हुए, जिसमें मरने वालों की संख्या हजारों में थी।

सरकार को इस प्रकार की आपदाओं से देशवासियों को बचाने के लिए एहतियाती कदम उठाने चाहिए और नयी तकनीक ग्रहण करनी चाहिए ताकि ऐसे प्रकोप के प्रभाव को सीमित किया जा सके।

सन् 1991 का विनाशकारी भूकम्प

20 अक्टूबर सन् 1991 की वह गहरी रात्रि हम भारतीयों के लिए सचमुच एक प्रलयकारी रात्रि सिद्ध हुई। उस दिन करीब 45 सेकन्ड तक की समय अवधि का एक भकंप आया था जिसकी तीव्रता विशेषज्ञों ने रिएक्टर पैमाने के अनुसार 6।1 बतलायी। इसे करीब 330 किलो टन परमाणु विस्फोट के बराबर कहा जा सकता है। इस भूकंप की जो रिर्पोटिंग बी।बी।सी लंदन ने की थी, उसे देखकर ही हम इस भूकंप से प्रभावित क्षेत्र में हुए धन-बल और जन-बल के भयानक विनाश की सहज ही कल्पना कर सकते हैं। उसके अनुसार “भूकंप में मरने वालों की संख्या तीन हजार से उपर पहुँच चुकी है और लगभग दस हजार लोग घायल हुए हैं।” इस भयंकर भूकंप से 175 करोड़ रूपये की धनराशि का नुकसान हुआ।

भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है और यह अन्य प्राकृतिक आपदाओं की तुलना में ज्यादा घातक और विनाशकारी प्राकृतिक आपदा होती है। इसका कारण यह भी है कि इसके कारण मानव-समाज कतिपय अन्य अपदाओं और समस्याओं से घिर जाता है। भौगोलिक-विशिष्टता भी इस भूकंप रूपी प्राकृतिक आपदा की मार को और ज्यादा मारक बना देती है। जैसे 1991 में आया यह भूकंप गढ़वाल और कुमाऊँ मण्डल को बना दिया। यह भू-क्षेत्र भौगोलिक रूप से एक पर्वतीय क्षेत्र है। इस भू-क्षेत्र में अनेक बड़े-बड़े पर्वतों के साथ साथ अनेक गहरी घाटियां भी विद्यमान हैं। साथ ही इनके मध्य में अपने पूरे वेग से प्रवाहित होने वाली अनेक गहरी नदियां भी अवस्थित हैं। यह सब मिलकर इस भू-क्षेत्र को सामान्य रूप से एक अत्यंत विषम स्थल का रूप दे देते हैं। सन् 1991 में जो विनाशकारी भूकंप इस क्षेत्र में आया, उसकी विनाशलीला को और अधिक बढ़ाने में इस भू-क्षेत्र की भौगोलिक-विशिष्टता ने भी अपना पूरा योग दिया।

सन् 1991 का यह विनाशकारी-भूकंप जिस समय आया था वह समय गहन रात्रि का समय था। सारे लोग दिन भर के परिश्रमपूर्ण कार्यों को सम्पन्न करके थकान मिटा रहे थे और अगले दिन के लिए पूर्णत: तैयार होने के लिए आरामदायक मीठी नींद ले रहे थे। कहा भी जाता है कि सोया हुआ आदमी मरे हुए आदमी के सादृश ही होता है। उसे अपने आस-पास के वातावरण का किंचित मात्र भी ज्ञान या बोध नहीं रहता। वह पूर्णत: एक गहरी नींद में डूबा होता है। 20 अकूबर का यह रात्रि भी इसी प्रकार की स्थिति में थी। इस भू-क्षेत्र का प्रत्येक मनुष्य गहरी नींद में डूबा हुआ था। और तभी दुर्भाग्य ने अपना प्रलयंकारी खेल खेलना आरम्भ कर दिया। हजारों की संख्या में लोग इस प्रलयंकारी भूकंप की चपेट में आ गये। वो जहां सो रहे थे वहीं दफन हो गये। उनके कठिन परिश्रम से बनाए गये मकान उन्हीं का मृत्यु का सामान बन गये। वो मकान उन्ही के उपर भरभरा कर आ गिरे और लोग अपने ही घरों के मलवे में दफन होने लगें।

इस भूकंप की तीव्रता अत्यधिक थी। इसके कारण वह समूचा पर्वतीय क्षेत्र व्यापक रूप से आक्रांत हो उठा और पर्वतों में स्खलन उत्पन्न हो गया। भू-स्खलन के कारण यह विनाशलीला और भी बढ़ गयी। पर्वत टूट-टूटकर नीचे बह रही नदियों में आ गिरे जिसके फलस्वरूप नदियों का बहाव भी बाधित हो गया और उसका पानी आस-पास के क्षेत्रों में भर गया। एकदम सी बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गयी। इस प्रकार हम हर तरफ से देखें तो यही कहा जा सकता है कि गढ़वाल और कुमाऊँ मण्डल में आया यह भूकंप अनेक रूपों में दिखलायी पड़ा। यह अपने साथ अन्य अनेक दुश्कर आपदाएं लिए हुए आया था।

इस भूकंप का जो प्रभाव इस क्षेत्र के लोगों के जीवन पर पड़ा था वह अत्यंत व्यापक और विस्तृत था। इससे न केवल जन-हानि और धन हानि ही हुई थी अपितु वहाँ के विकास हेतु कियान्वित की गयी महत्वपूर्ण योजनाएं भी बाधित हो गयी थी। इन्हीं में से एक योजना थी ‘टिहरी बांध’ की महत्वाकांक्षी योजना। इस भूकंप ने इस महत्वपूर्ण योजना को लगभग बर्बाद ही कर दिया था। बाद में, इस योजना को पुन: गतिशील और सुचारू करने में सरकार को अतिरिक्त पर्याप्त धन का व्यय करना पड़ा।

भूकंप ने इस मार्ग के आवागमन के प्राय: हर मार्ग को बाधित कर दिया। अनेक पुलों का नाश हो गया। यह धर्म-भूमि माना जाने वाला क्षेत्र है। पूरे वर्ष इस क्षेत्र में विदेशी पर्यटकों का तांता लगा रहता है। और जिस समय यह भूकंप आया उस समय भी इस क्षेत्र में अनेक विदेशी पर्यटक विद्यमान थे। उनके वहाँ फँस जाने से समस्या और भी ज्यादा गंभीर हो गयी थी।

उस समय कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने इस आपदा से पूर्णत: निपटने के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए। नाना भांति की सहायता वहाँ तत्काल भेजी गयी। केन्द्र सरकार ने भी समस्या की विकरालता को देखते हुए पानी की तरह पैसा बहाया। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि यह एक ऐसी आपदा थी जिसने भारत को हिला कर रख दिया था।

Related Article

Essay on Rainy Day in Hindi

Essay on Art in Hindi

Essay on trees in Hindi

Banyan Tree in Hindi

Vidyalaya Mein Pani Ki samasya Hetu pracharya ko Patra

This was earthquake essay in Hindi in more than 800 words. Let us know if you want earthquake essay in Hindi pdf.

Thank you reading. Don’t for get to give us your feedback.

अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करे।

Share this:

  • Click to share on Facebook (Opens in new window)
  • Click to share on Twitter (Opens in new window)
  • Click to share on LinkedIn (Opens in new window)
  • Click to share on Pinterest (Opens in new window)
  • Click to share on WhatsApp (Opens in new window)

About The Author

essay on recent earthquake in hindi

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Email Address: *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Notify me of follow-up comments by email.

Notify me of new posts by email.

HindiinHindi

  • Cookie Policy
  • Google Adsense

भूकंप पर निबंध – Essay on earthquake in Hindi

हेलो दोस्तों, में आज आपके लिए लेकर आया हूँ भूकंप पर निबंध(Short and long essay on earthquake in Hindi). मनुष्य पृथ्वी पर कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना करता है. इनमें से भूकंप सबसे घातक है. घातक इसलिए क्योंकि भूकंप ने कई लोगों की जान ले ली है. भूकंप के दौरान मनुष्य अपना सब कुछ खो देता है. आज आप इस लेख में भूकंप का कारण, भूकंप से नुकसान और भी बहुत कुछ भूकंप के बारे में जानेंगे. तो चलिए हमारे मुख्य लेख के ओर बढ़ते हैं जो है भूकंप पर निबंध (Essay on earthquake in Hindi) .    

भूकंप पर निबंध – Short essay on earthquake in Hindi

प्रस्तावना     .

तूफान और बाढ़ जैसे भूकंप भी एक प्राकृतिक आपदा है. तूफान और बाढ़ से भूकंप ज्यादा खतरनाक होता है. उपग्रह या रडार द्वारा यह पहले से ही ज्ञात हो जाता है कि तूफान होने वाला है. लेकिन उपग्रहों और रडार द्वारा भूकंप होगा या नहीं पता नहीं चल पाता है. इसलिए भूकंप अचानक आता है. लेकिन क्योंकि लोग भूकंप के बारे में कुछ नहीं जान पाते हैं, इसलिए सुरक्षित क्षेत्र में नहीं जा पाते हैं.

भूकंप का कारण    

पृथ्वी की सतह को कठिन मूर्तिकला और कठोर चट्टान की आवरण के साथ आवृत होकर रहा है. लेप का ऊपरी हिस्सा ठंडा होता है. लेकिन धरती के अंदर हमेशा आग लगी रहती है. परिणाम बहुत अधिक गैस या भाप सृष्टि हो रहा है और बहुत सी धातु पिघल रही है. यह सब जगह की कमी को देखते हुए, वे पृथ्वी पर आने के इरादे से पृथ्वी को अंदर से धकेल रहे हैं, नतीजतन भूकंप सृष्टि हो रहा है.

bhukamp par nibandh

भूकंप का भयानक रूप

भूकंप घरों को नष्ट कर देता है. जल स्तर बढ़ जाता है. उदाहरण के लिए, 6 जनवरी, 2001 की सुबह में, गुजरात के कुछ हिस्सों में भूकंप आया था. जिसमें 20,000 से अधिक लोग मारे गए थे और 40,000 से अधिक लोग घायल हुए थे. इस भूकंप ने बहुत सारे जिंदगियों को तबाह कर दिया था.

सरकार और विभिन्न स्वैच्छिक संगठन लोगों को बचाने के लिए काम करते हैं. सेना भी बचाव अभियान में शामिल होते हैं. राहत सहायता भूकंप से न प्रभावित क्षेत्र से आती है. भारत सरकार ने भूकंप प्रभावित क्षेत्रों को सहायता के लिए करोड़ों रुपये प्रदान किए हैं.

दुनिया के किस हिस्से में भूकंप की संभावना है, यह जानने का एक तरीका है; लेकिन कब और कहां भूकंप आएगा यह पता नहीं चल पाता है. तो उस उस क्षेत्र में छोटे और मध्यम आकार के भूकंप से लोगों को बचाने के तरीकों के बारे में सोचना होगा. ऊंची इमारतों की नींव मजबूत रखने की जरूरत है और उस क्षेत्र में जापानी प्रणाली में घर बनाना बेहतर है. जिससे भूकंप से मरने वालों की संख्या में कमी आएगी.

दूसरी ओर, भूकंप मनुष्य पर भगवान का सबसे बड़ा प्रकोप लगता है. क्योंकि इसको रोकने के लिए कोई पूर्व उपाय नहीं है. इसलिए भूकंप से बचने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करना ही एकमात्र रास्ता है.

सृष्टि की शुरुआत से ही पृथ्वी पर होने वाली अधिकांश प्राकृतिक आपदाएँ अचानक और अप्रत्याशित. प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, तूफान, आदि से पहले इन सब के संबंध में कुछ पूर्वानुमान लगाना संभव है. लेकिन भूकंप के मामले में, यह संभव नहीं है. इसलिए भूकंप सभी प्राकृतिक आपदाओं में सबसे अचानक और अप्रत्याशित हैं. बेशक, पृथ्वी की सतह के कुछ क्षेत्रों में अक्सर भूकंप आते हैं. इसलिए उस इलाके के लोग भूकंप के डर से हमेशा सतर्क रहते हैं. हालांकि, ज्यादातर जगहों पर, बिना किसी पूर्वानुमान के, बहुत अचानक और अप्रत्याशित भूकंप आता है. और परिणामस्वरूप, कई लोगों की जान चली जाती है.

भूकंप का कारण

आज से लाखों साल पहले पृथ्वी का निर्माण हुआ था. प्रारंभ में यह एक जलता हुआ और गर्म निर्जन ग्रह था. हालाँकि इसकी सतह समय के साथ ठंडी और सख्त हो गई है, फिर भी इसका आंतरिक भाग तरल और अर्ध-तरल है. सतह से पृथ्वी की सतह तक तापमान धीरे-धीरे बढ़ता है. इसलिए, तापमान पृथ्वी की सतह के विभिन्न स्तरों पर भिन्न होता है. कभी-कभी तापमान में एक विशेष अंतर पृथ्वी की सतह के एक निश्चित स्तर पर होता है, जो बदले में पृथ्वी की सतह में गड़बड़ी का कारण बनता है. गड़बड़ी जितनी तीव्र होगी, उसका सतह पर उतना ही अधिक प्रभाव पड़ेगा और सतह कांप उठेगी. सतह का यह कंपन होता है भूकंप. इसके अलावा, सतह का संतुलन बदलना, पृथ्वी की सतह पर दरारें बनने के बाद और भू अभ्यंतर से गैस निकलने के बाद भूकंप आते हैं. कुछ मामलों में, भूकंप मानव गतिविधि के कारण भी होते हैं.

भूकंप से नुकसान

भूकंप के परिणामस्वरूप, जमीन पर गरज होने के साथ कंपन होने लगता है. सतह के ऐसे अशांत अवस्था के परिणामस्वरूप, घर, पेड़ और बिजली का खंभा आदि सभी नष्ट हो जाते हैं. एक पल में, सुंदर पृथ्वी एक खंडहर बन जाती है. भूकंप के कारण कई इंसान और जानवर मर जाते हैं. विनाशकारी भूकंप से बचे लोगों का पुनरुत्थान करना एक बड़ी समस्या के रूप में प्रकट होता है. सार्वजनिक आवास के अलावा, कई कार्यशालाएं, सरकारी भवन, शैक्षणिक संस्थान, मंदिर, चर्च, मस्जिद आदि भी भूकंप से विशेष रूप से प्रभावित होते हैं. इसके अलावा, सड़कें, रेलमार्ग, पोल, बांध, आदि बिखर जाते हैं और नष्ट हो जाते हैं. नतीजतन, परिवहन, संचार, बिजली और पानी की आपूर्ति पूरी तरह से बाधित होता है. बड़े भूकंप के कारण समुद्र के तटीय क्षेत्र में भी कुछ बदलाव होता है. कुछ तटीय क्षेत्र भी जलमग्न हो जाते हैं, या समुद्र का पानी सूखी भूमि बन जाता है.

दुनिया के भूकंप-प्रभावित क्षेत्र

भूकंप पृथ्वी की सतह के अपेक्षाकृत कमजोर क्षेत्रों में होते हैं. इस तथ्य के कारण है कि भूमिगत गड़बड़ी कमजोर क्षेत्र को जल्दी से प्रभावित कर सकती है. प्रशांत महासागर के व्यापक तटीय क्षेत्र, उत्तर और दक्षिण अमेरिकी महाद्वीपों के उत्तर-पश्चिमी हिस्से और दक्षिणी यूरोप में अक्सर भूकंप आते हैं. भारत के हिमालय की तलहटी के तल पर और दक्षिण भारतीय  के कुछ हिस्सों को भूकंप संभावित क्षेत्रों के रूप में जाना जाता है.

दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भूकंप

सृष्टि की शुरुआत से कई बार भूकंप आए हैं जिसके वजह से जीवित दुनिया जबरदस्त रूप से पीड़ित हुआ है. अब भी हर दो साल के अंतराल पर विभिन्न स्थानों पर भूकंप आते हैं. 1988 से 2001 के बीच दुनिया में छह भूकंप आए हैं. 1950 और 1975 के बीच चार भूकंप आए हैं. भूकंप कहां आएगा, कब आएगा, कोई भी निश्चित रूप से बोल नहीं सकता. चूंकि यह एक प्राकृतिक आपदा है, यह पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर करता है. मनुष्य के लिए इसे नियंत्रित करना असंभव है.

1908 में इटली में आए भयावह भूकंप में एक लाख बीस हजार लोग मारे गए थे. पेरू में 1960 में आए भूकंप में कम से कम 60,000 लोग मारे गए थे. चीन में 1958 में आए भूकंप ने भी हजारों लोगों की जान ले ली थी. 1934 में बिहार में आए भूकंप में 10,000 से अधिक लोग, 1993 में लातूर में आए भूकंप में 9,000 से अधिक लोग, 2001 में गुजरात में आए भूकंप में 20,000 लोग और 2005 में पाकिस्तान के कब्जे वाले भारत में 40,000 लोग मारे गए थे.

भूकंप की तीव्रता

बाढ़ के दौरान बाढ़ के पानी के बहाव के परिणाम, के साथ-साथ तूफानों के दौरान बहने वाली हवा की गति कम होती है, इसी तरह भूकंप की तीव्रता भिन्न भिन्न प्रकार की होती है. भूकंप की तीव्रता मापक यंत्र को रिक्टर स्केल कहा जाता है. कंपन की तीव्रता के अनुसार, रिक्टर स्केल बढ़ना शुरू हो जाता है. भूकंप की तीव्रता की  मात्रा जितनी अधिक होती है, क्षति की भयावहता भी उतनी ही अधिक होती है. इस पैमाने का नाम कैलिफोर्निया के एक प्रमुख वैज्ञानिक चार्ल्स रिक्टर के नाम पर रखा गया है. भूकंप की आशंका वाले क्षेत्रों में इस पैमाने का उपयोग करके भूकंप की तीव्रता निर्धारित की जाती है.

सहायता और बचाव कार्य 

भूकंप प्रभावित क्षेत्र में कई लोग मारे जाते हैं. यदि मृतकों की लाशों का समय पर दाह संस्कार किया नहीं जाता है, तो वे सड़ जाएंगे और पर्यावरण प्रदूषित हो जाएगा. और बाकी बचे लोगों के बीमार होने का खतरा रहता है. इसी तरह, घायलों को तत्काल उपचार के परिणामस्वरूप, वे ठीक हो जाते हैं. कुछ लोगों को बड़ी मुश्किल से बचाया जाता है. इसलिए इन सभी क्षेत्रों में सेवा और बचाव कार्य आवश्यक है. घायलों और बचे लोगों को उनके जीवन आवश्यक भोजन, पानी, दवाई आदि उपलब्ध कराया जाता है. भूकंप प्रभावित क्षेत्र में, कई घर पूरी तरह या आंशिक रूप से ध्वस्त हो जाते हैं. इसलिए घरों का पुनर्निर्माण और प्रभावित लोगों को स्थानांतरित करना बहुत महत्वपूर्ण है. सरकारी अधिकारी और कई स्वयंसेवक और संगठन इस काम में शामिल होते हैं. भूकंप से प्रभावित क्षेत्र को आर्थिक सहायता भी दिया जाता है.

कैसे सावधान रहें

भूकंप की भविष्यवाणी करना मुश्किल है. फिर भी पृथ्वी पर सबसे अधिक भूकंप वाले क्षेत्रों के लोगों और संबंधित देशों की सरकारों को इस संबंध में अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है. पहले से ही सूखे खाद्य पदार्थ जैसे चूड़ा, चीनी, ब्रेड, बिस्कुट उपलब्ध होने चाहिए. आवास लकड़ी, बांस, पुआल, से बना होना चाहिए. भूकंप होने से हताहतों की संख्या होगा  और मौतों की संख्या भी कम होगा.

भूकंप को बर्दाश्त करना अत्यधिक दुर्भाग्य की पहचान है. वैज्ञानिकों ने आधुनिक तकनीक का उपयोग करके भूकंप की भविष्यवाणियों की गणना करने के लिए काम कर रहे हैं. भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है. इंसानों के लिए इससे पूरी तरह बच निकलना आसान नहीं है.

आपके लिए :-

  • आतंकवाद पर निबंध
  • वायु प्रदूषण पर निबंध
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध
  • दहेज प्रथा पर निबंध
  • मोबाइल फोन पर निबंध

ये था हमारा लेख भूकंप पर निबंध (short and long earthquake essay in Hindi). उम्मीद है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा. अगर पसंद आया है तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें. मिलते है अगले लेख में. धन्यवाद.

Leave a Comment Cancel reply

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

भूकंप पर निबंध (Earthquake Essay In Hindi)

हमारी इस धरती पर कई प्रकार की प्राकृतिक आपदाएं आती हैं, जिनके माध्यम से सामान्य जनजीवन को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। किसी भी प्राकृतिक आपदा से कई प्रकार की हानियां होती हैं, जिनमें मुख्य रूप से भूकंप शामिल है। जो कहीं ना कहीं हमारे अंदर डर और घबराहट के भाव उत्पन्न करता है।

जब कभी खतरनाक भूकंप आता है, तो ऐसे में उनके कारणों को समझना आसान नहीं होता है। लेकिन भूकंप आने का एक विशेष कारण पृथ्वी में विभिन्न प्रकार के बने टेक्निकल प्लेट में आने वाली गति है, जिसके अंतर्गत यह टेक्निकल प्लेट आपस में टकराने लगते हैं और एक अतिरिक्त उर्जा बाहर निकलती है। जिस वजह से भूकंप की तरंगे उत्पन्न होती हैं और भूकंप का रूप लेकर त्रासदी का कारण बन जाती हैं।

आज तक दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कई प्रकार के घातक भूकंप आ चुके हैं, जिनके माध्यम से जनजीवन अस्त व्यस्त हो चुका है। जिनमे से कुछ भूकंप के बारे में निचे दिया गया है। 

4) भारत के गुजरात में 2001 में आया भूकंप भी बहुत ही खतरनाक माना जाता है, जिसमे लगभग 200000 लोगों की मृत्यु हुई और कई हजारों लोग घर से बेघर हो गए थे।

Related Posts

इंद्रधनुष पर निबंध (rainbow essay in hindi), ओणम त्यौहार पर निबंध (onam festival essay in hindi), ध्वनि प्रदूषण पर निबंध (noise pollution essay in hindi).

भूकंप पर निबन्ध | Essay on Earthquake in Hindi

essay on recent earthquake in hindi

भूकंप पर निबन्ध | Essay on Earthquake in Hindi!

भूकंप का नाम लेते ही मन भय से काँप (Shiver) उठता है । जहाँ भूकंप होता है, वहाँ अनेक मकान ध्वस्त (Demolish) हो जाते हैं और मानव के साथ-साथ अनेक जीव-जंतु घरों में दबकर मरजाते हैं चारों-ओर-प्रलय (Total end) का दृश्य (Scene) उपस्थित हो जाता है ।

धरती काँपती है, तो कहीं नदी के बीच से जमीन निकल आती है, तो कहीं धरती फट कर झील (Lake) का रूप ले लेती है । भूकंप आता है और दे जाता है अनेक प्रकार के कष्ट और कई प्रकार की पीड़ा (Pain) ।

जापान को भूकंप का देश कहा जाता है । वहाँ आए दिन धरती डोलती रहती है । ये भूकप ज्वालामुखी (Volcano) के फटने के कारण होते हैं । जापान में ज्वालामुखी पहाड़ अधिक संख्या में है जो धरती के अन्दर गर्मी बढ़ जाने के कारण ज्वालामुखी अचानक फट पड़ता और धरती डोलने लगती है ।

ADVERTISEMENTS:

धरती के भीतर चट्‌टानों (Rocks) के इधर-उधर खिसकने (Move) से भी धरती डोलती है । इसलिए अधिक पहाड़ों वाले स्थानों पर भी भूकंप होता है क्योंकि वहाँ धरती पर दबाव (Pressure) अधिक होता है । यह दबाव अधिक ऊंचे-बड़े मकानों के कारण भी होता है और भूकंप का खतरा बढ़ जाता है । आधुनिक विज्ञान (Modern science) ने भूकंप का एक और कारण (Cause) खोज निकाला है, जिसे प्लेट टेक्टोनिक्स (Plate) कहा जाता है ।

इसके अनुसार भिन्न महाद्वीपों (Continents) और महासागरों (Oceans), पर्वतों (Mountains) तथा मरुभूमियों (Deserts) की अलग-अलग प्लेटें होती हैं, जो निरंतर (Always) खिसकती रहती हैं । उन्हीं प्लेटों के टकराने या अलग होने पर भूकंप आता है ।

भारत में हिमालय के क्षेत्र, पूर्वोत्तर भारत (North-Eastern india) तथा पश्चिम के कुछ क्षेत्रों में अब तक भयंकर भूकंप आ चुके हैं । हाल में ही गुजरात में आये भीषण भूकंप में बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुई थीं । भूकंपों के बाद राहत कार्य (Measures for comfort) चलाये जाते हैं किन्तु इसके आने की सूचना पहले से दिये जाने का कोई तरीका अब तक ज्ञात (Known) नहीं है ।

फिर भी इससे अपनी जान बचाने के लिए लकड़ी के मकानों में रहने और अपने पास मोबाइल फोन, टॉर्च पानी की बोतल और कुछ आवश्यक चीजें हमेशा रखना लाभकारी रहता है । पेड़-पौधे भी भूकंप से हमारी रक्षा करते हैं ।

4. उपसंहार :

भूकंप एक प्राकृतिक आपदा (Natural Calamity) है जिसे रोकना यदि मनुष्य के लिए संभव नहीं है, तो कम-से-कम उससे बचने के लिए आधुनिक विज्ञान (Modern science) की पूरी मदद तो अवश्य ले सकता है ।

Related Articles:

  • भूकंप पर अनुच्छेद | Paragraph on Earthquake in Hindi
  • भूचाल पर निबन्ध | Essay on Earthquake in Hindi
  • रूपये की आत्म – कथा पर निबन्ध |Essay on Autobiography of a Rupee in Hindi
  • अन्तरिक्ष में भारत पर निबन्ध | Essay on India in Space in Hindi

भूकंप पर निबंध

Essay on Earthquake in Hindi: हम यहां पर भूकंप पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में भूकंप के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

Essay-on-Earthquake-in-Hindi-

Read Also:  हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध

भूकंप पर निबंध | Essay on Earthquake in Hindi

भूकंप पर निबंध (250 words).

प्रकृति आपदा भूकंप एक खतरनाक आपदा है । धरती के अचानक हिलने से एक कंपन उत्पन्न होती है, इस घटना को भूकंप कहा जाता है। जब हमारी पृथ्वी की आंतरिक सतह अधिक गर्म हो जाती है, तो एक हलचल सी उत्पन्न होती है। तब उस स्थिति में भूकंप की स्थिति उत्पन्न होती है। भूकंप कभी – कभी बहुत ही धीमी गति से आता है, जिसका सिर्फ हमें आभास होता है कि भूकंप की कम्पन सी उत्पन होती है। कभी -कभी भूकंप अचानक बहुत तेजी से आता है, जिससे काफ़ी मात्रा में नुकसान होता है।

भूचालआने से हमारे जीवन मे बहुत अधिक दुष्प्रभाव पड़ता है, भूकंप आने से हमारा जीवन अस्त – व्यस्त हो जाता है।अभी कुछ सालों पहले गढ़वाल और महाराष्ट्र मे भूकंप आने से लोगों के पर जीवन बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था। भूकंप  के कम्पन उत्पन्न होने से लोगों के मकान गिर गये। पशु,पक्षी आदि भूकंप की चपेट में आकर दबकर लाखों जीव – जंतुओ की मौत हो गई और महाराष्ट्र में आये हुये भूकंप के कारण मकान और पेड़ -पौधों कंपन के कारण गिरते है और उसकी चपेट मे काफ़ी लोग दब कर घायल हो जाते है और कुछ लोगों की मौत हो जाती है और जो लोग घायल होकर ठीक होते वह पैर से, तो कही हाथ से लाचार हो जाते है।

भूकंप ऐसी प्रकृति आपदाएं होती हैं, जिन को रोकना बहुत ही मुश्किल होता है। भूकंप के आने से बहुत सी विकट समस्याएं उत्पन्न होती हैं। भूकंप को आने से रोका तो नहीं जा सकता है, लेकिन जिस कारण से भूकंप आता है। उन कारणों पर तो रोक लगा कर कुछ हद तक प्राकृतिक आपदा को कम किया जा सकता है।

भूकंप पर निबंध (800 Words)

दुनिया के शुरुआत में कई बार भूकंप आ चुका है, जिसके कारण से दुनिया भर में बहुत से लोग इसकी चपेट में आकर पीड़ित हुए हैं। सन 1988 से 2001 के बीच दुनिया भर मे 6 बार भूकंप आ चुका है। 1950 से 1975  के बीच में लगभग दुनिया भर के कई हिस्सों में 4 बार भूकंप आ चुके होते है। भूकंप किस जगह आएगा, कितने समय आएगा भूकंप का अनुमान लगाना किसी के बस की बात नहीं होती है, क्योंकि भूकंप एक प्राकृतिक आपदा होती है, जो प्रकृति पर निर्भर होती है, इसको नियंत्रित करना हमारे बस की बात नहीं होती है।

आज से लाखों वर्षों पहले पृथ्वी का निर्माण हुआ था। उस समय पृथ्वी एक जलता हुआ आग का पिंड या सबसे गर्म ग्रह होता था। समय के साथ पृथ्वी की सतह ठंडी हो गई और पृथ्वी का आंतरिक भाग तरल है, जिसके कारण पृथ्वी की आंतरिक सतह का तापमान बढ़ने लगता है। पृथ्वी की सतह का तापमान विभिन्न स्तरों में बदलता रहता है, पृथ्वी की सतह में गड़बड़ी की वजह से ही पृथ्वी की सतह गर्म हो जाती है और भूकंप आने के खतरा महसूस होने लगता है।

दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आया भूकंप

दुनिया के किन-किन हिस्सों में आया भूकंप आइए जानते हैं,

1908 मे इटली शहर में भूकंप आने से लाखों लोगों की मौत हुई, उनमें से कुछ लोग घायल हुए और लोगों के घर – बार उजाड़ कर नष्ट हो गया, लोगों का काफ़ी नुकसान हुआ।

पेरू में सन 1960 में भूकंप आने के कारण काफ़ी लोग घायल हुये और 60,000 लोग भूकंप की चपेट में आये और उनकी दर्दनाक मौत हो गई।

चीन में सन 1958 मे भूकंप के आने के कारण 1 लाख लोगों की मौत हो गई।

बिहार में सन 1934 मे भूकंप आने से 1 लाख से अधिक लोगों की जान गई।

लातूर में सन 1933 मे भूकंप के आने के कारण 1,50,000 लोग की मृत्यु हुई है।

गुजरात में सन 2001 मे भूकंप आने से 2लाख लोगों की मृत्यु हुई है।

भूकंप के आने से कई देशो में बहुत अधिक संख्या में लोगों की दर्दनाक मौते हुई है।

भूकंप आने के कारण

भूचाल कई कारणों से आता है, कि जैसे कि पृथ्वी में कई छोटे-बड़े टेक्निकल प्लेट्स होते हैं। जिनके कारण भूकंप विवर्तनिक प्लेट् से टकराकर ब्लेट में आ जाती है। ये प्लेट एक -दूसरे के दूर रहकर गति करती है, तो कभी एक – दूसरे के पास रहकर गति करती है। जिसके कारण यह आपस में टकराती है और झटके के साथ मुफ्त ऊर्जा के रूप में बाहर निकलती है और भूकंपी तरंगे उत्पन्न करती हैं। जिसको भूकंप कहा जाता है।

भूकंप आने का एक कारण ज्वालामुखी का विस्फोट भी होता है। ज्वालामुखी का जब किसी क्षेत्र में विस्फोट होता है, तो उसके प्रभाव कई क्षेत्रों में देखने को मिलते हैं। ज्वालामुखी विस्फोट के प्रभाव के कारण कुछ नजदीकी क्षेत्रों की भूमि में कंपन उत्पन्न होता है। जिसको भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट कहते है।

ज्वालामुखी विस्फोट का प्रभाव कुछ क्षेत्रों में अधिक देखने को मिलता है और कुछ क्षेत्रों में इसका प्रभाव कम देखने को मिलता है, यह ज्वालामुखी विस्फोट पर ही निर्भर करता है।

भूकंप के आने से नुकसान

धरती में भूकंप आने से हमें बहुत नुकसान होता है। पृथ्वी में विभिन्न प्रकार के हरे पेड़ -पौधों, जीव जंतुओं के होने से हमारी धरती बहुत ही सुन्दर प्रतीत होती है। लेकिन भूकंप के आने से पल भर में पेड़ -पौधे जीव – जंतु और ससब कुछ तहस – नहस हो जाते है। बड़ी -बड़ी बिल्डिंग, भवन, बिजली के खंभे, मंदिर, मस्जिद, चर्च, सरकारी पाठशालाएं, सरकारी कार्यस्थल आदि सभी भूकंप के कंपन आने से टूट- फूट कर सब कुछ नष्ट हो जाता है।

भूकंप के आने से बहुत से क्षेत्र प्रभावित होते हैं। पृथ्वी के सबसे कमज़ोर सतह पर भूकंप आने का खतरा अधिक होता है, क्योंकि कमजोर भूमिगत में भूकंप जल्दी आते है। वहां की भूमि कमज़ोर और दरार वाली होती है, जहां पर ज्वालामुखी के विस्फोट होने का खतरा अधिक रहता है। भूकंप के साथ कुछ प्राकृतिक आपदाएं भी होती हैं, जैसे -तेज तूफान चलना, बाढ़ का आना ये सभी प्राकृतिक आपदाएं है।

विद्युत लाइन टूट जाती है और आग भी लगने से काफ़ी नुकसान होता है, यदि आग एक बार लग गई तो उसको रोकना काफ़ी मुश्किल होता है और यदि ऐसे में जल का स्रोत विस्फोट हो जाये तो आग को फैलने से रोका जा सकता है और काफ़ी हद तक होने वाले नुकसान को भी रोका जा सकता है।

भूकंप से बचने के उपाय

भूकंप के आने से हमको ऐसा महसूस होता है, कि जैसे हम को कोई हिला रहा हो। अगर भूकंप कम तीव्रता से आता है, तो कुछ व्यक्तियों को पता भी नहीं चलता है और कभी -कभी बहुत तेज झटका देकर भूकंप आता है, जिससे पूरी धरती में कंपन उत्पन्न होने लगती है। जैसे ही भूकंप के झटके आने का खतरा महसूस होने लगे तो खुद के बचाव के लिए मजबूत टेबल, कुर्सी को पकड़कर बैठ जाये।

भूचाल के झटके आने पर हमें एक ही जगह पर रह कर स्वयं का बचाव करना चाहिये, और खिड़की और अलमारियों से दूर रहना चाहिए, ताकि वह हम पर झटके के कारण गिरे नहीं।

यदि आप ऊंची बिल्डिंग में रहते है और भूकंप के झटके आने लगते हैं, तो ऐसे में ऊंची बिल्डिंग का गिराना स्वाभाविक होता है, तो हमें नीचे उतर कर किसी सुरक्षित जगह पर बैठ जाना चाहिए, जब तक भूकंप के झटके आना खत्म नहीं हो जाते है।

अगर आप कही है और कार चलाते है, तो उस समय आपको भूकंप के झटके आने मासूस होने लगते है, तो ऐसे में हमको एक जगह गाड़ी खड़ी करके तुरंत किसी खुले मैदान में बैठे जाना चाहिये, तब तक भूकंप के झटके आना बंद नहीं हो जाते है। और ऐसे में हमें लिफ्ट से ऊपर बिल्डिंग में जाने नहीं सोचना चाहिये, क्योंकि ऐसे में आप को झटके से आपको चोट भी आ सकती है। अगर आप बाजार, स्कूल के बीच मे फंस गये है तो ऐसे में खुले स्थान पर बैठे और बिजली के तार से दूर हो कर बैठे जब तक भूकंप के झटके आने खत्म नहीं हो जाते।

भारत मे भूकंप के आने से  काफ़ी नुकसान हुआ है। सिर्फ भूकंप के कारण लोग लाखों की सम्पति और घर सब कुछ खो देते है। भूकंप के कारण ऊँची बिल्डिंग, कर्मचारी कार्यालय, भवन, जीव -जंतु  और कई व्यक्तियों को काफी नुकसान हुआ है।

भूकंप सभी के जीवन में बहुत बुरा प्रभाव डालता है। यह एक प्राकृतिक आपदा होती है। इस पर कोई नियंत्रण नहीं कर सकता है। प्राकृतिक आपदा में कब क्या हो जाये इसका अनुमान कोई नहीं लगा सकता है।

हमने यहां पर “ भूकंप पर निबंध ( Essay on Earthquake in Hindi )   ” शेयर किया है। उम्मीद करते हैं कि आपको यह निबंध पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। आपको यह निबन्ध कैसा लगा, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

जल का महत्त्व पर निबंध

पृथ्वी बचाओ पर निबंध

बाढ़ पर निबंध

Ripal

Related Posts

Comment (1).

Nice bohut bohut bohut acha

Leave a Comment जवाब रद्द करें

essay on recent earthquake in hindi

45,000+ students realised their study abroad dream with us. Take the first step today

Here’s your new year gift, one app for all your, study abroad needs, start your journey, track your progress, grow with the community and so much more.

essay on recent earthquake in hindi

Verification Code

An OTP has been sent to your registered mobile no. Please verify

essay on recent earthquake in hindi

Thanks for your comment !

Our team will review it before it's shown to our readers.

essay on recent earthquake in hindi

  • Essays in Hindi /

10 Lines On Earthquake: छात्रों के लिए भूकंप के बारे में 10 ज्ञानवर्धक लाइन और बचाव के तरीके 

' src=

  • Updated on  
  • जून 21, 2024

10 Lines On Earthquake in Hindi

धरती के भीतर प्लेटों में हुई हलचल के कारण धरती पर हुए कंपन को भूकंप कहते हैंI भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है जो धरती पर बड़े विनाश का कारण बनती हैI भूकंप का पूर्वानुमान लगाना बहुत कठिन हैI हालांकि भूकंप केवल कुछ सेकण्ड के लिए ही आता है लेकिन इतने समय में ही यह भयंकर तबाही ला सकता हैI जापान लगभग हर दिन भूकंप का सामना करता हैI यहाँ 10 Lines On Earthquake in Hindi दी जा रही हैंI इनकी मदद से स्टूडेंट्स अपना होम असाइनमेंट पूरा कर सकते हैंI 

10 Lines On Earthquake in Hindi: भूकंप के बारे में 10 लाइन 

  • धरती के हिलने को भूकंप कहते हैंI 
  • पृथ्वी के भीतर प्लेटों के आपस में टकराने से भूकंप आते हैंI 
  • भूकंप के झटके कभी कभी इतने मामूली होते हैं, कि पता भी नहीं चलतेI 
  • भूकंपरोधी मकान का निर्माण कराकर, भूकंप से होने वाले खतरों से बचा जा सकता हैI 
  • कुछ भूकंप इतने भयानक होते हैं कि वर्षों तक उनका प्रभाव दिखाई देता हैI 
  • वर्ष 2001 में गुजरात में आए भूकंप ने भारी तबाही मचाई थीI 
  • कुछ भूकंप सुनामी का भी कारण बनते हैंI 
  • विश्व में सबसे अधिक भूकंप जापान देश में आते हैंI 
  • पहाड़ी क्षेत्रों में भूकंप आने की संभावना अधिक होती हैI 
  • भारत भी विश्व के भूकंप संभावित देशों में आता हैI 

यह भी पढ़ें: माउंट एवरेस्ट के बारे में 10 लाइन और 10 रोचक तथ्य 

भूकंप से बचने के 10 तरीके 

भूकंप में बारे में 10 Lines On Earthquake in Hindi के बाद अब जानिए भूकंप से बचने के 10 तरीके: 

  • भूकंप से बचने के लिए भूकंपरोधी मकान बनवाना चाहिएI 
  • भूकंप के समय किसी बेड के नीचे या मजबूत मेज के नीचे घुसकर खुद को बचाया जा सकता हैI 
  • अगर भूकंप प्रभवित क्षेत्र में रहते हैं तो अपने पास भूकंपरोधी किट तैयार रखेंI 
  • भूकंप के समय खुले स्थान पर चले जाना चाहिएI 
  • भूकंप के बाद अक्सर आग लगने का डर बना रहता हैI सोने से पहले सिलेंडर बंद करके सोएंI 
  • भूकंप के बाद बचाव दल के निर्देशों का पालन करेंI 
  • स्कूल, कॉलेज और कार्यस्थल पर लोगों को भूकंप से बचने की ट्रेनिंग देकर भूकंप से बचाव किया जा सकता हैI 
  • अगर आप भूकंप के समय घर से बाहर हैं तो बिजली के खंबों और पेड़ों से दूर रहेंI 
  • यदि आप भूकंप के समय भूकंप के समय कार चला रहे हैं तो तुरंत निकलकर बाहर आ जाएंI 
  • भूकंप के समय बड़ी बड़ी इमारतों से दूर रहेंI 

संबंधित ब्लाॅग्स

आशा है कि आपको 10 Lines On Earthquake in Hindi का यह ब्लॉग ज्ञानवर्द्धक लगा होगा। अन्य निबंध से संबंधित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें। 

' src=

Leverage Edu स्टडी अब्रॉड प्लेटफार्म में बतौर एसोसिएट कंटेंट राइटर के तौर पर कार्यरत हैं। अंशुल को कंटेंट राइटिंग और अनुवाद के क्षेत्र में 7 वर्ष से अधिक का अनुभव है। वह पूर्व में भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए ट्रांसलेशन ऑफिसर के पद पर कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने Testbook और Edubridge जैसे एजुकेशनल संस्थानों के लिए फ्रीलांसर के तौर पर कंटेंट राइटिंग और अनुवाद कार्य भी किया है। उन्होंने डॉ भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी, आगरा से हिंदी में एमए और केंद्रीय हिंदी संस्थान, नई दिल्ली से ट्रांसलेशन स्टडीज़ में पीजी डिप्लोमा किया है। Leverage Edu में काम करते हुए अंशुल ने UPSC और NEET जैसे एग्जाम अपडेट्स पर काम किया है। इसके अलावा उन्होंने विभिन्न कोर्सेज से सम्बंधित ब्लॉग्स भी लिखे हैं।

प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें

अगली बार जब मैं टिप्पणी करूँ, तो इस ब्राउज़र में मेरा नाम, ईमेल और वेबसाइट सहेजें।

Contact no. *

browse success stories

Leaving already?

8 Universities with higher ROI than IITs and IIMs

Grab this one-time opportunity to download this ebook

Connect With Us

45,000+ students realised their study abroad dream with us. take the first step today..

essay on recent earthquake in hindi

Resend OTP in

essay on recent earthquake in hindi

Need help with?

Study abroad.

UK, Canada, US & More

IELTS, GRE, GMAT & More

Scholarship, Loans & Forex

Country Preference

New Zealand

Which English test are you planning to take?

Which academic test are you planning to take.

Not Sure yet

When are you planning to take the exam?

Already booked my exam slot

Within 2 Months

Want to learn about the test

Which Degree do you wish to pursue?

When do you want to start studying abroad.

September 2024

January 2025

What is your budget to study abroad?

essay on recent earthquake in hindi

How would you describe this article ?

Please rate this article

We would like to hear more.

Question and Answer forum for K12 Students

Earthquake Essay In Hindi

भूकंप पर निबंध – Earthquake Essay In Hindi

भूकंप पर निबंध – essay on earthquake in hindi.

यद्यपि प्राकृतिक आपदा जब भी गुस्सा दिखाती है तो कहर ढहाए बिना नहीं मानती है। आकाश तारों को छू लेने वाला विज्ञान प्राकृतिक आपदाओं के समाने विवश है। अनेक प्राकृतिक आपदाओं में कई आपदाएँ मनुष्य की अपनी दैन हैं। कुछ वर्षों में प्रकृति के गुस्से के जो रूप दिखे हैं, उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि प्रकृति के क्षेत्र में मनुष्य जब-जब हस्तक्षेप करता है तो उसका ऐसा ही परिणाम होता है जो सुनामी के रूप में और गुजरात के भयावह भूकंप के रूप में देखने और सुनने में आया।

इन दृश्यों को देखकर अनायास ही लोगों के मुँह से निकल पड़ता है कि जनसंख्या के संतुलन को बनाए रखने के लिए प्रकृति में ऐसी हलचल होती रहती है, जो अनिवार्य रूप में हमेशा से होती रही है। वर्षा का वेग बाढ़ बनकर कहर ढहाता है तो कभी ओला, तूफान, आँधी और सूखा आदि के रूप में प्रकृति मनुष्यों को अपनी चपेट में लेती है। अपनी प्रगति का डींग हाँकने वाला विज्ञान और वैज्ञानिक यहाँ असहाय दिखाई देते हैं अर्थात् प्राकृतिक आपदाओं से संघर्ष करने की मनुष्य में सामथ्र्य नहीं है।

धरती हिलती है, भूचाल आता है। जब यही भूचाल प्रलयंकारी रूप ले लेता है, तो भूकंप कहलाता है। सामान्य भूकंप तो जहाँ-तहाँ आते रहते हैं, जिनसे विशेष हानि नहीं होती है। जब जोर का झटका आता है तो गुजरात के दृश्य की पुनरावृत्ति होती है। ये भूकंप क्यों होता है, कहाँ होगा, कब होगा? वैज्ञानिक इसका सटीक उत्तर अभी तक नहीं दे सके हैं।

हाँ भूकंप की तीव्रता को नापने का यंत्र विज्ञान ने जैसे-तैसे बना लिया है। सर्दी से बचने के लिए हीटर लगाकर, गर्मी से बचने के लिए वातानुकूलित यंत्र लगाकर, प्रकृति को अपने अनुकूल बनाने में सामान्य सफलता प्राप्त कर ली है, पर वर्षों के प्रयास के बावजूद भी इससे निजात पाने की बात तो दूर उसके रहस्यों को भी नहीं जान पाया है। यह उसके लिए चुनौतीपूर्ण कार्य है। कुछ आपदाएँ तो मनुष्य की देन हैं।

अनुमानित वैज्ञानिक घोषणाओं के अनुसार अंधाधुंध प्रकृति को दोहन और पर्यावरण का तापक्रम बढ़ने से धरती के अंदर हलचल होती है और यह हलचल तीव्र हो जाती है तो भूकंप के झटके आने लगते हैं। धरती हिलने या भूकंप के बारे में अनेक किंवदंतियाँ प्रचलित हैं। कुछ धार्मिक व्याख्याओं के कारण यह धरती सप्त-मुँह वाले नाग के सिर पर टिकी है। जब नाग सिर बदलता है तो धरती हिलती है।

दूसरी किंवदंती है कि धरती धर्म की प्रतीक गाय के सींग पर टिकी है और जब गाय सींग बदलती है तो तब धरती हिलती है। कुछ धर्माचार्यों का मानना है कि जब पृथ्वी पर पाप-स्वरूप भार अधिक बढ़ जाता है तो धरती हिलती है और जहाँ पाप अधिक वहाँ धरती कहर ढहा देती है। इसके विपरीत वैज्ञानिक का मानना है कि पृथ्वी की बहुत गहराई में तीव्रतम आग है।

जहाँ आग है वहाँ तरल पदार्थ है। आग के कारण पदार्थ में इस तरह की हलचल होती रहती है। जब यह उथल-पुथल अधिक बढ़ जाती है तब झटके के साथ पृथ्वी की सतह से ज्वालामुखी फूट पड़ता है। पदार्थ निकलने की तीव्रता के अनुसार पृथ्वी हिलने लगती है। इनमें से कोई भी तथ्य हो, परंतु ऐसे दैवीय-प्रकोप से अभी सुरक्षा का कोई साधन नहीं है।

मनुष्य-जाति के अथक प्रयास से निर्मित, संचित सभ्यता एक झटके में मटियामेट हो जाती है। सब-कुछ धराशायी हो जाता है। वहाँ जो बच जाते हैं, उनमें हाहाकार मच जाती है। राजा और रंक लगभग एकसमान हो जाते हैं क्योंकि ऐसे दैवीय प्रकोप बिना किसी संकोच और भेदभाव के समान रूप से पूरी मानवता पर कहर ढहा देती है।

गुजरात में एकाएक, तीव्रगति से भूकंप हुआ। इस भूकंप ने शायद गुस्से से दिन चुना गणतंत्र दिवस 26 जनवरी। संपूर्ण देश गणतंत्र के राष्ट्रीय उत्सव में मग्न था। गुजरात के लोग दूरदर्शन पर गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम को देख रहे थे। तभी एकाएक झटका लगा धरती हिली। ऐसा लगा कि लंबे समय से धरती अपने गुस्से को दबाए हुए थी। आज उसका गुस्सा फूट पड़ा।

ऐसा फूटा कि लोग सोच भी न पाए कि क्या हुआ और थोड़ी ही देर में गगनचुंबी अट्टालिकाएँ, अस्पताल, विद्यालय, फैक्टरी और टेलीविजन के सामने बैठी भीड़ को उसने निगल लिया। शेष रह गई उन लोगों की चीत्कार, जो उसकी चपेट में आने से बच गए थे। बचने वाले लोगों के लिए सरकारी सहायता पहुँचने लगी। यह सहायता कुछ के हाथ लगी और कुछ वंचित रह गए।

वितरण की समुचित व्यवस्था न हो सकी। प्राकृतिक आपदा आकस्मिक रूप से अपना स्वरूप दिखाती है। ऐसे समय में मानवीय चरित्र के भी दर्शन होते हैं।

मानवता के नाते ऐसी आपदाओं में मनुष्य एकजुट होकर आपदा-ग्रसित लोगों का धैर्य बँधते हैं कि हम तुम्हारे साथ हैं। हम यथासंभव और यथासामथ्र्य तुम लोगों की सहायता करने के लिए तत्पर हैं। इस तरह टूटता हुआ धैर्य, ढाढस पाकर पुन: पुनर्जीवित हो उठता है। ऐसे समय में ढाढ़स की आवश्यकता भी होती है। यह मानवीय चरित्र भी है।

किंतु आश्चर्य तो तब होता है जब इस प्रकार के भयावह दृश्य को देखते हुए भी कुछ लोग अमानवीय कृत्य यानी पीड़ित लोगों के यहाँ चोरी, लूट आदि करने में भी संकोच नहीं करते हैं। एक ओर तो देश के कोने-कोने से और दूसरे देशों से सहायता पहुँचती है और दूसरी ओर व्यवस्था के ठेकेदार उसमें भी कंजूसी करते हैं और अपनी व्यवस्था पहले करने लगते हैं। ऐसे लोग ऐसे समय में मानवता को ही कलंकित करते हैं।

गुजरात में भूकंप के समय समाचार-पत्रों ने लिखा कि बहुत सी समाग्रियाँ वितरण की समुचित व्यवस्था न होने से बेकार हो गई। ऐसी प्राकृतिक आपदाएँ मनुष्य को संदेश देती हैं कि जब-तक जिओ, तब-तक परस्पर प्रेम से जिओ। मैं कब कहर बरपा दूँ। उसका मुझे भी पूर्ण ज्ञान नहीं है।

प्राकृतिक आपदा गीता के उस संदेश को दोहराती है कि कर्म करने में तुम्हारा अधिकार है फल में नहीं। यह प्राकृतिक आपदा मनुष्य को सचेत करती है और संदेश देती है कि मैं मौत बनकर सामने खड़ी हूँ। जब तक जी रहे हो तब तक मानवता की सीमा में रहो और जीवन को आनंदित करो. निश्चित और सात्विक रहो।

भूकंप हिंदी निबंध Earthquake Essay in Hindi

Earthquake Essay in Hindi : भूकंप प्रकृति का एक अत्यंत भयंकर रूप है। इसके जोरदार धक्के से पलभर में महाविनाश होता है और हाहाकार मच जाता है।

भूकंप हिंदी निबंध - Earthquake Essay in Hindi

भूकंप हिंदी निबंध – Earthquake Essay in Hindi

जब पृथ्वी के भीतर तरल पदार्थ अधिक गरम हो उठते हैं, तो उनकी भाप का दबाव बढ़ जाता है। यह भाप बाहर आना चाहती है और अपनी पूरी शक्ति से पृथ्वी की ऊपरी सतह को धक्का देती है तब भूकंप होता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार हमारी यह पृथ्वी सहस्र फणवाले भगवान शेषनाग के फण पर टिकी हुई है । जब पृथ्वी पापों से बोझिल हो जाती है तब शेषनाग सिहर उठते हैं, परिणामस्वरूप भूकंप होता है।

भूकंप के करुण दृश्य

भूकंप से धरती में दरार पड़ जाती हैं और उसमें से गर्म लावा तथा जहरीली वायु बाहर निकलती है। भूकंप के रूप में यह जरा-सी हलचल हजारों मनुष्यों को मौत के घाट उतार देती है। कहीं तो परिवार के परिवार नष्ट हो जाते हैं। हजारों लोग निराधार हो जाते हैं । ईंट, पत्थर के सुदृढ भवनों को भी धराशायी होते देर नहीं लगती। भूकंप से सड़कें टूट जाती है, उद्योग-धंदे और जनजीवन छिन्न-भिन्न हो जाता है। देखते ही देखते लाखों की संपत्ति और वर्षों का सृजन मिट्टी में मिल जाते हैं।

भूकंप से परिवर्तन

प्रकृति का यह तांडव हरे-भरे नगरों को शून्य खंडहरों में बदल देता है, नदियों के प्रवाह को उलट देता है, कभी पर्वत की ऊँचाई को सागर की गहराई में छिपा देता है, कभी अतल समुद्र को समतल भूमि में बदल देता है। भूकंप के कारण कभी-कभी मरुस्थल मधुर स्थल बन जाते हैं और गुलशन वीरानों में बदल जाते हैं। भूकंप के कारण प्राचीन संस्कृतियों के सर्वथा मिट्टी में मिल जाने के दृष्टांत भी मिलते हैं। विनाशकारी माना जानेवाला भूकंप कभी-कभी नई संस्कृति और सभ्यता का जन्मदाता भी बनता है !

हमारा कर्तव्य

भूकंप जैसी महाविपत्ति के समय मनुष्य की मानवता की परीक्षा होती है। साहसी मनुष्य जान की बाजी लगाकर दुखियों की सहायता करने के लिए दौड़ पड़ते हैं। वायुयानों के द्वारा भूकंप-पीड़ितों को भी मदद पहुँचाई जाती है। यही समय है, जब इन्सान को हाथ खोलकर अन्न, वस्त्र, औषध आदि से पीड़ितो की सहायता करनी चाहिए। अकेली सरकार इस भीषण दुर्घटना का पूर्णरूप से प्रतिकार नहीं कर सकती।

भारत का यह दुर्भाग्य है कि उसे जब-तब भूकंप का शिकार होना पड़ता है। बिहार, अंजार, कोयना, लातूर में भयंकर भूकंप हुए थे। इस महाविनाशकारी प्राकृतिक प्रकोप को रोकने में विज्ञान को आज तक सफलता नहीं मिली है। ऐसे महासंकट के समय में हमारा यह पहला फर्ज है कि हम भूकंप-पीड़ितों की सहायता करें और अपनी मानवता का परिचय दें।

Rakesh More

इस ब्लॉग पर आपको निबंध, भाषण, अनमोल विचार, कहानी पढ़ने के लिए मिलेगी |अगर आपको भी कोई जानकारी लिखनी है तो आप हमारे ब्लॉग पर लिख सकते हो |

essay on recent earthquake in hindi

Essay on Earthquake in Hindi- भूकंप पर निबंध

In this article, we are providing Essay on Earthquake in Hindi. भूकंप   पर निबंध- भूकंप का अर्थ, भूकंप से ग्रस्त क्षेत्र, भूकंप का तांडव नाच.

Essay on Earthquake in Hindi- भूकंप पर निबंध

मानव आदि युग से प्रकृति के साहचर्य में रहता आया है। प्रकृति के प्रांगण में मानव को कभी माँ की गोद का सुख मिलता। है तो कभी वही प्रकृति उसके जीवन में संकट बनकर भी आती है। बसंत की सुहावनी हवा के स्पर्श से जहाँ मानव पुलकित हो उठता है तो वहीं उसे ग्रीष्म ऋतु की जला देने वाली गर्म हवाओं का सामना भी उसे करना पड़ता है। इसी प्रकार मनुष्य को तेज । ऑधियों, अतिवृष्टि, बाढ़, भूकंप आदि प्राकतिक आपदाओं का सामना भी करना पड़ता है।

“भूकंप’ का अर्थ है भू का काँप उठना अर्थात पृथ्वी का डाँवाडोल होकर अपनी धुरी से हिलकर और फटकर अपने ऊपर । विद्यमान जड़ और चेतन प्रत्येक प्राणी और पदार्थ को विनाश की चपेट में ले लेना तथा सर्वनाश का दृश्य उपस्थित कर देना। जापान में तो  अकसर भकंप आते रहते हैं जिनसे विनाश के दृश्य उपस्थित होते हैं। यही कारण है कि वहाँ लकड़ी के घर बनाए जाते हैं। भारतवर्ष में भी भूकंप के कारण अनेक बार विनाश के दृश्य उपस्थित हुए हैं। पूर्वजों की जबानी सना है कि भारत के कोटा नागत (पश्चिम सीमा प्रांत, अब पाकिस्तान में स्थित एक नगर) स्थान पर विनाशकारी भूकंप आया। यह भकंप इतनी तीव्र गति से आया। कि नगर तथा आस-पास के क्षेत्रों के हजारों घर-परिवारों का नाम तक भी बाकी नहीं रहा था।

विगत वर्षों में गढ़वाल, महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ क्षेत्रों में विनाशकारी भूकंप आया था जिससे वहाँ जन-जीवन तहस-नहस हो गया था। पहले गढ़वाल के क्षेत्र में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। वह एक पहाडी क्षेत्र है, जहाँ भूकंप के अटकों के कारण पहाड़ियाँ खिसक गई थीं, उन पर बने मकान भी नष्ट हो गए थे। हजारों लोगों की जानें गई थीं। वहाँ की विनाशलीला से विश्व भर के लोगों के दिल दहल उठे थे। उस विनाशलीला को देखकर मन में विचार उठते हैं कि प्रकृति की लीला भी कितनी अजीब है। वह मनुष्य को बच्चों की भॉति अपनी गोद में खिलाती हुई एकाएक पतना का रूप धारण कर लेती है। वह मनुष्य के घरों को बच्चों के द्वारा कच्ची मिट्टी के बनाए गए घरौदों की भाँति तोडकर बिखरा देती है और मनुष्यों को मिट्टी के खिलौनों की भॉति कुचल डालती है। गढ़वाल के क्षेत्र में भूकंप के कारण वहाँ का जन-जीवन बिखर गया था। कुछ समय के लिए तो वहां का क्षेत्र भारतवर्ष के अन्य क्षेत्रों से कट-सा गया था।

इसी प्रकार महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों में आए भूकप के समाचार मिले। यह भकप इतना भयंकर और विशाल था कि धरती। में जगह-जगह दरारें पड़ गई। हजारों लोगों की जानें चली गई। चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गई। सरकार की ओर से पहुँचाई जाने । वाली सहायता के अतिरिक्त अनेक सामाजिक संस्थाओं और विश्व के अनेक देशों ने भी संकट की इस घड़ी में वहाँ के लोगों की हर प्रकार से सहायता की, किंतु उनके अपनों के जाने के दुःख को कम न कर सके। धीरे-धीरे समय बीतता गया और समय ने वहाँ के लोगों के घाव भर दिए। वहाँ का जीवन सामान्य हुआ ही था कि 26 जनवरी, 2008 को प्रातः आठ बजे गुजरात में विनाशकारी भूकंप ने फिर विनाश का तांडव नृत्य कर डाला। वहाँ रहने वाले लाखों लोग भवनों के मलबे के नीचे दब गए थे। मकानों के मलबे के नीचे दबे हुए लोगों को निकालने का काम कई दिनों तक चलता रहा। कई लोग तो 36 घंटों के बाद भी जीवित निकाले गए थे। वहाँ भूकंप के झटके कई दिनों तक अनुभव किए गए थे। इस प्राकृतिक प्रकोप की घटना से विश्वभर के लोगों के दिल दहल उठे थे। कई दिनों तक चारों ओर रुदन की आवाजें सुनाई देती रहीं। अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं के सदस्य अपने साधनों के अनुरूप समान रूप से सहानुभूति और सहृदयता दिखा रहे थे तथा पीड़ितों को राहत पहुँचा रहे थे। यह भूकंप कितना भयानक था इसका अनुमान वहाँ पर हुए विनाश से लगाया जा सकता है। वहाँ के लोगों ने बहुत हिम्मत से काम लिया और अपना कारोबार फिर जमाने में जुट गए। लोग अभी प्रकृति की भयंकर आपदा से उभर ही रहे थे कि 8 अक्तूबर, 2005 को कश्मीर और उससे लगते पाकिस्तान के क्षेत्र में भयंकर भूकंप आया। संपूर्ण क्षेत्र की धरती काँप उठी थी। पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण पहाड़ों पर बसे हुए गाँव-के-गाँव तहस-नहस हो गए। साथ ही ठंड सर्दी के प्रकोप ने वहाँ के लोगों को और भी मुसीबत में डाल दिया। कड़कती सदी में वहाँ के लोगों को खुले मैदानों में रहना पड़ा। सरकार ने हैलीकाप्टरों व अन्य साधनों से वहाँ के लोगों की सहायता के लिए सामान पहुँचाया। भारतीय क्षेत्र की अपेक्षा पाकिस्तान क्षेत्र में अत्यधिक हानि हुई। लाखों लोगों को जान से हाथ धोने पड़े। प्राणियों को जन्म देने वाली और उनकी सुरक्षा करने वाली प्रकृति माँ ही उनकी जान की दुश्मन बन गई थी।

प्राकृतिक प्रकोप के कारण पीड़ित मानवता के प्रति हमें सच्ची सहानुभूति रखनी चाहिए और सच्चे मन से हमें उनकी सहायता करनी चाहिए। जिनके प्रियजन चले गए, हमें उनके प्रति सद्व्यवहार एवं सहानुभूति दिखाते हुए उनके दुःख को कम करना चाहिए। उनके साथ खड़े होकर उन्हें धेयं बधाना चाहिए। यही उनके लिए सबसे बड़ी सहायता होगी। ।

कितनी अजीब है यह प्रकृति और कसे अनोखे हैं उसके नियम, यह समझ पाना बहुत कठिन कार्य है। भूकंप । देखकर आज भी एक सनसनी-सी उत्पन्न हो जाती है। किन्तु प्रकृति की अज़ीव-अजीव गतिविधियों के साथ-साथ मानव की हिम्मत और साहस की भी प्रशंसा किए बिना नहीं रहा जा सकता कि वह प्रत्येक प्राकृतिक आपदा का सदा ही साहसपर्वक मुकाबला करता आया है।

Essay on Tsunami

ध्यान दें – प्रिय दर्शकों Essay on Earthquake in Hindi आपको अच्छा लगा तो जरूर शेयर करे ।

Leave a Comment Cancel Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

HindiArise

भूकंप के कारण और प्रभाव (Earthquake: Causes and Effects)

  • भूकंप   पृथ्वी की सतह का हिलना है, जिसके परिणामस्वरूप   पृ थ्वी के  स्थलमंडल में  ऊर्जा  की अचानक रिहाई होती है  जो  भूकंपीय तरंगें पैदा करती है ।
  • भूकंप पृथ्वी की सतह परत के माध्यम से प्रसारित तरंग गति की ऊर्जा का रूप है।
  • यह फॉल्टिंग, वलन, प्लेट मूवमेंट, ज्वालामुखी विस्फोट और बांधों और जलाशयों जैसे मानवजनित कारकों के कारण हो सकता है।
  • भूकंप अब तक की सभी प्राकृतिक आपदाओं में सबसे अप्रत्याशित और अत्यधिक विनाशकारी है।
  • पृथ्वी की पपड़ी के भीतर कंपन की हल्की तरंगों के कारण होने वाले छोटे  भूकंप हर कुछ मिनटों में आते हैं, जबकि  बड़े भूकंप  आमतौर पर दोषों के साथ होने वाली हलचल के कारण होते हैं  , विशेष रूप से घनी आबादी वाले क्षेत्रों में बहुत विनाशकारी हो सकते हैं।

भूकंप के अध्ययन में प्रयुक्त शब्दावली

  • भूकंप तीव्रता
  • भूकंप की तीव्रता
  • रिक्टर पैमाने
  • मर्कल्ली पैमाना
  • भूकंप का झटका
  • भूकंप-सूचक यंत्र

फोकस और उपकेंद्र (Focus and Epicenter)

  • पृथ्वी के भीतर वह बिंदु जहां भ्रंश शुरू होता है ,  फोकस  या  हाइपोसेंटर  है ।
  • सतह पर फोकस के ठीक ऊपर का बिंदु  भूकंप का केंद्र  है । भूकंप की तीव्रता भूकंप के केंद्र पर सबसे अधिक होती है और भूकंप के केंद्र से दूरी के साथ कम होती जाती है।

भूकंपीय तरंगों का फैलाव

रिक्टर पैमाने (Richter scale)

  • रिक्टर परिमाण पैमाना भूकंप से निकलने वाली  ऊर्जा की तीव्रता को मापने  का पैमाना है ।
  • यह पैमाना  चार्ल्स द्वारा तैयार किया गया था।  वर्ष 1935 में  एफ. रिक्टर ।
  • परिमाण दर्शाने वाली संख्या  0 से 9 के बीच होती है
  • एक भूकंप जो रिक्टर पैमाने पर 5.0 दर्ज करता है, उसका कंपन आयाम 4.0 दर्ज किए गए भूकंप की तुलना में 10 गुना अधिक होता है, और इस प्रकार कम तीव्रता वाले भूकंप से 31.6 गुना अधिक ऊर्जा निकलती है।

मर्कल्ली पैमाने (Mercalli scale)

  • मर्कल्ली तीव्रता पैमाना एक भूकंपीय पैमाना है जिसका उपयोग भूकंप की  तीव्रता को मापने के लिए किया जाता है।
  • यह भूकंप के प्रभावों को मापता है
  • तीव्रता दर्शाने वाली संख्या  1 से 12 के बीच होती है

भूकंपीय तरंगे (Seismic Waves)

  • भूकंपीय तरंगें पृथ्वी के भीतर  चट्टान के अचानक टूटने से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा की तरंगें हैं।
  • वे वह  ऊर्जा  हैं जो पृथ्वी के माध्यम से यात्रा करती हैं और  भूकंपमापी पर दर्ज की जाती हैं।
  • तरंगों के दो  मुख्य प्रकार हैं शरीर तरंगें और सतह तरंगें।

शरीर की तरंगें (Body waves)

  • प्राथमिक तरंगें (पी-तरंगें)
  • द्वितीयक तरंगें (एस-तरंगें)

सतही तरंगें (Surface Waves)

  • लव वेव्स (एल-वेव्स)

प्राथमिक तरंगें (अनुदैर्ध्य तरंग) Primary waves (longitudinal wave)

  • पहली प्रकार की शारीरिक तरंग  पी तरंग या प्राथमिक तरंग है।
  • यह  सबसे तेज़ प्रकार की भूकंपीय लहर  है ।
  • पी तरंग  गैसीय, ठोस चट्टान और तरल पदार्थ  , जैसे पानी या पृथ्वी की तरल परतों से होकर गुजर सकती है।
  • यह चट्टान को धकेलता और खींचता है,  यह उसी तरह आगे बढ़ता है जैसे ध्वनि तरंगें  हवा को धक्का और खींचती हैं।

पी-तरंगों

द्वितीयक तरंगें (अनुप्रस्थ तरंग) (Secondary waves (transverse wave))

  • दूसरे प्रकार की शारीरिक तरंग  S तरंग या द्वितीयक तरंग है।
  • S  तरंग, P तरंग की तुलना में धीमी होती है और केवल ठोस चट्टान के माध्यम से ही चल सकती है।
  • यह लहर चट्टान को ऊपर-नीचे, या अगल-बगल ले जाती है।
  • एस-तरंगें कुछ समय अंतराल के साथ सतह पर आती हैं।

एस-तरंगों

लव तरंगे (Love Waves)

  • पहली प्रकार की  सतह तरंग को लव वेव कहा जाता है  , जिसका नाम ब्रिटिश गणितज्ञ एईएच लव के नाम पर रखा गया है।
  • यह  सबसे तेज़ सतही तरंग है और ज़मीन को एक तरफ से दूसरी तरफ ले जाती है।

प्यार की तरंगे

रेले तरंगे (Rayleigh Waves)

  • दूसरी प्रकार की  सतही तरंग रेले तरंग है,  जिसका नाम लॉर्ड रेले के नाम पर रखा गया है।
  • रेले  लहर ज़मीन पर उसी तरह घूमती है जैसे एक लहर किसी झील या समुद्र पर घूमती है।
  • क्योंकि यह लुढ़कता है, यह जमीन को  ऊपर-नीचे और अगल-बगल  उसी दिशा में घुमाता है जिस दिशा में लहर चल रही है।
  • भूकंप से महसूस होने वाले अधिकांश झटके रेले तरंग के कारण होते हैं, जो अन्य तरंगों की तुलना में बहुत बड़ा हो सकता है।

rayleigh_wave

भूकंप की भविष्यवाणी (Earthquake Predicting)

भूकंप का वर्गीकरण (classification of earthquake).

  • आइसोस्टेटिक
  • मध्यम(0-50 किमी)
  • इंटरमीडिएट(50-250 किमी)
  • गहरा फोकस (250-700 किमी)
  • मध्यम (मृत्यु<50,oo)
  • अत्यधिक खतरनाक(51,000-1,00,00)
  • सबसे खतरनाक(>1,00,00)

भूकंपों का विश्व वितरण (World Distribution of Earthquakes)

  • विश्व में भूकंपों का वितरण ज्वालामुखियों के वितरण से बहुत मेल खाता है।
  • सबसे बड़ी भूकंपीयता वाले क्षेत्र  सर्कम-प्रशांत क्षेत्र  हैं , जिनमें भूकंप का केंद्र और ‘प्रशांत रिंग ऑफ फायर’ के साथ सबसे अधिक घटनाएं होती हैं।
  • ऐसा कहा जाता है कि  70% से अधिक भूकंप सर्कम-प्रशांत क्षेत्र में आते हैं।
  • अन्य  20% भूकंप एशिया माइनर, हिमालय और उत्तर-पश्चिम चीन के कुछ हिस्सों सहित भूमध्य-हिमालयी बेल्ट में आते हैं।
  • शेष प्लेटों के अंदरूनी हिस्सों और फैले हुए रिज केंद्रों पर होते हैं।

भूकंप के कारण (Earthquake Causes)

भूकंप मुख्यतः पृथ्वी की परत के किसी भाग में असंतुलन के कारण आते हैं।

पृथ्वी की पपड़ी में असंतुलन या आइसोस्टैटिक असंतुलन के लिए कई कारण बताए गए हैं।

(a)। प्राकृतिक कारण

  • ज्वालामुखी का विस्फोट
  • दोषयुक्त एवं मोड़ना
  • ऊपर की ओर झुकना और नीचे की ओर झुकना
  • पृथ्वी के अन्दर गैसीय विस्तार एवं संकुचन।
  • प्लेट मूवमेंट

(b)। मानव निर्मित/मानवजनित कारण

  • गहरा भूमिगत खनन
  • निर्माण प्रयोजनों के लिए डायनामाइट द्वारा चट्टान को विस्फोटित करना।
  • गहरी भूमिगत सुरंग
  • परमाणु विस्फोट
  • जलाशय प्रेरित भूकंपीयता (आरआईएस) (उदाहरण के लिए  कोयना जलाशय में आरआईएस के कारण 1967 में भूकंप आया था)
  • जलाशयों और झीलों जैसे मानव निर्मित जल निकायों का हाइड्रोस्टेटिक दबाव।

प्लेट टेक्टोनिक्स ज्वालामुखी और भूकंप की सबसे तार्किक व्याख्या प्रदान करता है।

तीन प्रकार की प्लेट सीमाएँ होती हैं जिनके साथ भूकंप आता है

प्लेट की किनारी

भारत में भूकंप संभावित क्षेत्र

  • प्रतिदिन हल्की तीव्रता का भूकंप आता है। हालाँकि, बड़े पैमाने पर विनाश का कारण बनने वाले तेज़ झटके कम आते हैं। प्लेट सीमाओं के क्षेत्रों में, विशेषकर अभिसरण सीमाओं पर, भूकंप अधिक बार आते हैं।
  • भारत में इंडियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट के अभिसरण का क्षेत्र भूकंप के प्रति अधिक संवेदनशील है। जैसे हिमालय क्षेत्र.
  • भारत का प्रायद्वीपीय भाग एक स्थिर खंड माना जाता है। हालाँकि, कभी-कभी, कुछ भूकंप छोटी प्लेटों के किनारों पर महसूस किए जाते हैं। 1967 का कोयना भूकंप और 1993 का लातूर भूकंप प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में आए भूकंप के उदाहरण हैं।
  • भारतीय भूकंप विज्ञान  के विशेषज्ञों ने भारत को  चार भूकंपीय क्षेत्रों  जोन-II,   जोन-III  ,   जोन-IV   और   जोन-V  में विभाजित किया है । यह देखा जा सकता है कि संपूर्ण हिमालयी क्षेत्र, उत्तर-पूर्व भारत के राज्य, पश्चिमी और उत्तरी पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और गुजरात के कुछ हिस्से उच्चतम और उच्च जोखिम वाली श्रेणियों के क्षेत्र में आते हैं, जिन्हें जोन V कहा जाता है। और चतुर्थ.
  • उत्तरी मैदानी इलाकों के शेष हिस्से और पश्चिमी तटीय क्षेत्र मध्यम जोखिम वाले क्षेत्र में आते हैं और प्रायद्वीपीय क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा कम जोखिम वाले क्षेत्र में आता है।

भारत के भूकंपीय क्षेत्र

भूकंप के परिणाम

मानव जीवन और संपत्ति को नुकसान.

  • पृथ्वी की पपड़ी की ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज गति के कारण जमीन की सतह की विकृति मानव प्रतिष्ठानों और संरचनाओं को भारी क्षति और विनाश का कारण बनती है।
  • उदाहरण:- 2015 के नेपाल भूकंप का एक शहरी आपदा केस अध्ययन। यह भूकंप 7.8 तीव्रता का था और 8.2 किमी गहरा था। अनियोजित शहरी निर्माण के कारण नेपाल में आए भूकंप में भारी जनहानि हुई; ख़राब डिज़ाइन वाली इमारतें और अवैज्ञानिक रूप से डिज़ाइन की गई संरचनाएँ।
  • काठमांडू के शहरी इलाकों में भारी क्षति हुई, 8 हजार लोगों की मौत हो गई और 10 अरब अमेरिकी डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ।

भूस्खलन और हिमस्खलन

  • विशेष रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में झटके ढलान अस्थिरता और ढलान विफलता का कारण बन सकते हैं, जिससे ढलान से नीचे मलबा गिर सकता है, जिससे भूस्खलन हो सकता है।
  • भूकंप के कारण हिमस्खलन के कारण बर्फ का विशाल द्रव्यमान बर्फ से ढकी चोटियों से नीचे गिर सकता है।
  • उदाहरण:- 2015 के नेपाल भूकंप के परिणामस्वरूप माउंट एवरेस्ट शिखर पर और उसके आसपास कई हिमस्खलन हुए। 2011 के सिक्किम भूकंप के कारण भूस्खलन हुआ और जीवन और संपत्ति को गंभीर क्षति हुई, विशेषकर सिंगिक और ऊपरी तीस्ता जलविद्युत परियोजनाओं को।

पानी की बाढ़

  • भूकंप से बांधों, जलाशयों में विनाशकारी गड़बड़ी हो सकती है और अचानक बाढ़ आ सकती है। भूस्खलन और हिमस्खलन जो नदी के मार्ग को अवरुद्ध कर सकते हैं, जिससे बाढ़ आ सकती है।
  • उदाहरण:-  1950 के असम भूकंप ने  भारी मलबे के जमा होने के कारण दिहांग नदी में अवरोध पैदा कर दिया, जिससे नदी के ऊपरी हिस्से में अचानक बाढ़ आ गई।
  • सुनामी समुद्री बेसिन के विघटन और पानी की विशाल मात्रा के विस्थापन के कारण उत्पन्न होने वाली लहरें हैं। भूकंप की भूकंपीय लहरें समुद्र तल को विस्थापित कर सकती हैं और सुनामी के रूप में ऊंची समुद्री लहरें उत्पन्न कर सकती हैं।
  • उदाहरण:-  26 दिसंबर 2004 को हिंद महासागर की सुनामी सुमात्रा के तट पर आए भूकंप के कारण आई थी।  ऐसा भारतीय प्लेट के बर्मी प्लेट के नीचे दब जाने के कारण हुआ। इसने हिंद महासागर और उसके आसपास के देशों में लगभग 2.4 लाख लोगों की जान ले ली।
  • फुकुशिमा परमाणु दुर्घटना  –  2011 में जापान के बड़े तोहोकू भूकंप के  परिणामस्वरूप 10 मीटर की सुनामी लहरें उठीं, जो 9 तीव्रता के समुद्र के नीचे भूकंप के कारण हुई थी। इससे रिएक्टरों को ठंडा करने वाले आपातकालीन जनरेटर नष्ट हो गए और परमाणु पिघल गया और रेडियोधर्मी गिरावट आई। फुकुशिमा दाइची दुनिया भर में चिंता का विषय बन गया।

भूकंप प्रबंधन

भूकंप प्रबंधन आपात्कालीन स्थितियों के सभी मानवीय पहलुओं से निपटने के लिए संसाधनों और जिम्मेदारियों का संगठन और प्रबंधन है। इसका उद्देश्य खतरों के हानिकारक प्रभावों को कम करना है। भूकंप प्रबंधन में भूकंप-पूर्व जोखिम में कमी से लेकर भूकंप के बाद पुनर्प्राप्ति तक के चरण शामिल हैं।

  • जोखिम की पहचान  – कुछ क्षेत्र दूसरों की तुलना में भूकंप के प्रति अधिक संवेदनशील हैं, इसलिए जोखिम की पहचान पहला कदम है।
  • इससे आने वाली आपदाओं के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी।
  • उदाहरण:  – जापान में भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली है जो इलेक्ट्रॉनिक संकेतों का उपयोग करती है जो भूकंप तरंगों की तुलना में तेजी से पहुंचते हैं।
  • संरचनात्मक समाधान  – पिछले भूकंपों से पता चलता है कि 95% से अधिक जानें उन इमारतों के ढहने के कारण हुईं जो भूकंप प्रतिरोधी नहीं थीं। लेकिन, ऐसी भूकंपरोधी इमारतों का निर्माण सामान्य इमारतों की तुलना में अधिक महंगा है। इसलिए, लागत प्रभावी समाधान भारत जैसे देश के लिए एक चुनौती बना हुआ है। भूकंपीय सुदृढ़ीकरण संरचनाओं की प्राथमिकता के माध्यम से किया जा सकता है और इसे लागू करने के लिए, संवेदनशीलता के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों के लिए भूकंप खतरा मानचित्र होना महत्वपूर्ण है।

भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली

Similar Posts

भारत में वन संसाधन (forest resources in india), तापमान व्युत्क्रमण: प्रकार एवं मौसम पर प्रभाव (temperature inversion: types & effects on weather), झीलें और झीलों के प्रकार (lakes & types of lakes), विश्व के महत्वपूर्ण सागर (important seas of the world), थॉर्नथ्वेट जलवायु वर्गीकरण (thornthwaite climatic classification), भारत में महत्वपूर्ण ग्लेशियर (important glaciers in india).

guest

  • India Today
  • Business Today
  • RajasthanTak
  • ChhattisgarhTak
  • Cosmopolitan
  • Harper's Bazaar
  • Aaj Tak Campus
  • Brides Today
  • Reader’s Digest

aajtak hindi news

NOTIFICATIONS

loading...

गुजरात के भूकंप में कच्छ था केंद्र, 2001 की तबाही का मंजर याद कर सहम गए लोग

गुजरात में रात 8.13 बजे भूकंप आया. जिसके बाद लोगों में डर का माहौल बन गया और लोग अपने घरों से बाहर निकल गए. भूकंप का केंद्र कच्छ में भचाऊ के पास 10 किलोमीटर अंदर रहा है..

सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)

  • 14 जून 2020,
  • (अपडेटेड 14 जून 2020, 10:20 PM IST)

essay on recent earthquake in hindi

  • गुजरात में महसूस किए भूकंप के झटके
  • कच्छ में भचाऊ के पास भूकंप का केंद्र

गुजरात में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.5 आंकी गई है. भूकंप का केंद्र कच्छ में भचाऊ के पास रहा है. भूकंप के आने से कई घरों में दरारें तक आ गई हैं. राजकोट से 122 किमी उत्तर-पश्चिम में भूकंप का केंद्र रहा है.

यह भी पढ़ें: गुजरात में भूकंप के तेज झटके, 5.5 की तीव्रता, दहशत में घरों से बाहर भागे लोग

गुजरात में रात 8.13 बजे भूकंप आया. जिसके बाद लोगों में डर का माहौल बन गया और लोग अपने घरों से बाहर निकल गए. भूकंप का केंद्र कच्छ में भचाऊ के पास 10 किलोमीटर अंदर रहा है. वहीं इस भूकंप के बाद कच्छ के कई घरों में दरारें तक आ गई हैं.

यह भी पढ़ें: दिल्ली में बड़ा भूकंप आया तो क्या हैं तैयारियां, हाईकोर्ट ने MCD-NDMC से मांगा जवाब

गुजरात में आए भूकंप के कारण लोगों ने अपने घरों को हिलता हुआ महसूस किया. जिसके कारण लोग काफी डर गए. वहीं कच्छ में भूकंप के कारण कई लोगों के घरों मे दरारें आ गई हैं. साथ ही लोगों के जहन में साल 2001 के कच्छ भूकंप की यादें भी ताजा हो गई.

2001 में आया था भूकंप

बता दें कि कच्छ जिले में जनवरी 2001 में विनाशकारी भूकंप आया था, जिसमें हजारों लोग मारे गए थे और लाखों घर क्षतिग्रस्त हो गए थे. 26 जनवरी 2001 को गुजरात के भुज में भूकंप की तीव्रता 7.7 मापी गई. इससे पूरा शहर ही मानो मलबे के ढेर में तब्दील हो गया.

गुजरात में साल 2001 में आया भूकंप काफी विनाशकारी था. इस भूकंप के कारण कच्छ और भुज में 30 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. इसके अलावा इस भूकंप के कारण डेढ़ लाख से ज्यादा लोग जख्मी हुए और करीब 4 लाख मकान जमींदोज हो गए थे.

सबसे तेज़ ख़बरों के लिए आजतक ऐप

logo

An Essay on Earthquake : भूकंप पर हिन्दी निबन्ध

Meena Bisht

  • April 21, 2020
  • Hindi Essay

निबंध हिंदी में हो या अंग्रेजी में , निबंध लिखने का एक खास तरीका होता है। हर निबंध को कुछ बिंदुओं (Points ) पर आधारित कर लिखा जाता है। जिससे परीक्षा में और अच्छे मार्क्स आने की संभावना बढ़ जाती है।

हम भी यहां पर “ भूकंप / An Essay on Earthquake” पर निबंध को कुछ बिंदुओं पर आधारित कर लिख रहे हैं। आप भी अपनी परीक्षाओं में निबंध कुछ इस तरह से लिख सकते हैं। जिससे आपके परीक्षा में अच्छे मार्क्स आयें।

An Essay on Earthquake 

भूकंप पर हिन्दी निबन्ध.

प्रस्तावना (Introduction)

भूकंप क्या हैं (What is Earthquake)

  • भूकंप आने के कारण (Causes of Earthquake)
  • भूकंप की तीब्रता

भूकंप की तीव्रता नापने की इकाई 

  • भूकंप आने में सुरक्षा के उपाय 
  • भूकंप से तबाही 

भूकंप , बाढ़  प्रकृति के सबसे रौद्र रूप है। भूकंप का एक जोरदार झटका पलक झपकते ही महा विनाश का कारण बन जाता है। भूकंप की अवधि होती तो कुछ सेकेंड या मिनट की ही है। लेकिन इतने समय में ही पूरी पृथ्वी में हाहाकार मच जाता है। 

पृथ्वी जब अचानक ही डोलने या हिलने लगती है। उसे आम भाषा में भूकंप कहा जाता है।भूकंप की अवधि तो कुछ सेकेंड की ही होती है। पर इतने कम समय में ही मानो प्रलय आ जाता हैं। ये भूकंप भी अलग अलग तीव्रता वाले होते हैं।

हालाँकि कम तीव्रता वाले भूकंप ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। लेकिन ज्यादा तीव्रता वाले भूकंप पल भर में वर्षों की अथाह मेहनत से बनायी हर चीज को पलभर में ही नेस्तनाबूद कर देती हैं। 

क्यों आते हैं भूकंप (An Essay on Earthquake)

भूकंप आने के दो कारण प्रमुख हैं। प्राकृतिक कारण और मानव निर्मित कारण। 

1 . प्राकृतिक कारण

वैज्ञानिकों के अनुसार हमारी धरती चार परतों से बनी है। इनर कोर , आउटर कोर , मैन्टल और क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहा जाता है। लिथोस्फेयर करीब करीब 50 किलोमीटर की एक मोटी परत होती है।

लेकिन यह परत कई वर्गों में विभाजित रहती है।इन वर्गों को टेक्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है। वैसे ये प्लेटें धरती से करीबन 45 से 50 किलोमीटर नीचे स्थित होती हैं।

लेकिन ये प्लेट्स अपनी जगह पर स्थिर नहीं होती हैं। ये अक्सर क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर दोनों दिशाओं में खिसकती रहती हैं। इस वजह से इनमें से कुछ प्लेटों कभी एक दूसरे के करीब आ जाती है , तो कुछ एक दूसरे से दूर भी चली जाती हैं।

जब ये प्लेटों एक दूसरे के करीब आती हैं , तो कभी-कभी ये प्लेट्स आपस में टकरा भी जाती हैं। जिससे भूकंप की स्थिति पैदा हो जाती हैं। भूकंप का केंद्र जितनी गहराई में होगा उसका प्रभाव पृथ्वी के ऊपर उतना कम होगा। 

जब भी भूकंप आता है। पृथ्वी के नीचे उसका एक निश्चित केंद्र होता है। लेकिन केंद्र से कई किलोमीटर दूर तक भूकंप के उस कंपन को महसूस किया जा सकता है। 

एक अन्य मत के अनुसार जब पृथ्वी के अन्दर तरल पदार्थ अधिक मात्रा में गर्म हो जाते हैं। उस वक्त तरल पदार्थों के गर्म होने से अत्यधिक भाप बन जाती हैं। जब पृथ्वी के अन्दर इस भाप का दबाव बहुत अधिक बढ़ जाता है। तो यही भाप अपनी पूरी शक्ति के साथ पृथ्वी की ऊपरी सतह को धक्का देती है। तब भूकंप आता है।और पृथ्वी हिलने लगती है। 

यह भी पढ़ें। …Essay on My Favorite Book in Hindi

2 . मानव निर्मित कारण

भूकंप आने के मानव निर्मित कारण भी होते हैं। जैसे ज्वालामुखी के फटना या बड़ी मात्रा में भूस्खलन का होना , माइनिंग टेस्टिंग , विशाल बांधों का निर्माण , नाभिकीय खदानों में विस्फोट का होना और नाभिकीय परीक्षण करने से भी भूकंप आने की संभावनाएं रहती हैं। 

पौराणिक धर्मग्रंथों की मान्यता के अनुसार हमारी यह पृथ्वी सहस्त्र फन वाले भगवान शेषनाग के सिर पर टिकी हुई है। जब जब पृथ्वी में पाप में अत्यधिक वृद्धि हो जाती है।तब शेषनाग सिहिर उठते हैं। और उसका परिणाम भूकंप के रूप में आता है। 

भूकंप की तीब्रता 

वैसे तो पूरी दुनिया में हर साल हजारों भूकंप आते हैं। उनमें से कुछ ही ऐसे होते हैं जो ज्यादा नुकसान हो जाते हैं। क्योंकि भूकंप भी अलग-अलग तीव्रता वाले होते हैं। 

कम तीव्रता वाले भूकंप (जैसे 2 से 3 मेग्नीट्यूड ) को भूकंप के केंद्र के आसपास के क्षेत्र विशेष में ही महसूस किया जाता है। इससे अधिक नुकसान भी नहीं होता लेकिन अगर यही भूकंप ज्यादा तीव्रता वाला जैसे 5 मेग्नीट्यूड या उससे ज्यादा हो तो , भूकंप के केंद्र से कई हजार किलोमीटर दूर तक इसे महसूस किया जा सकता है। 

भूकंप की तीव्रता नापने के लिए सीसमोमीटर/ सीसमोग्राफ का प्रयोग किया जाता है।भूकंप की गणना रिएक्टर स्केल में होती है। रिएक्टर स्केल में 2 से 3 मेग्नीट्यूड तक की तीव्रता वाले भूकंप को सामान्य माना जाता है। 5 या उससे ज्यादा वाले को विनाशकारी माना जाता है। और इसी में सबसे ज्यादा नुकसान होता है।

भूकंप की तीव्रता मापने वाले रिएक्टर स्केल को अमेरिकी वैज्ञानिक चार्ल्स रिएक्टर ने 1935 में बनाया था।

भूकंप से होने वाली तबाही (An Essay on Earthquake)

  • भूकंप इतना शक्तिशाली होता है कि हमारी धरती का सीना ही फाड़ देता है।प्रकृति का यह तांडव बसे बसाये नगरों को खंडहर में बदल देता है।
  • नदियों के प्रवाह को उलट देता है। कहीं पर्वत की ऊंचाई को सागर की गहराई में छुपा देता है।तो कहीं सबसे गहरे समुद्र को समतल भूमि में बदल देता है।
  • भूकंप के कारण ही बेजान मरुस्थल भी सुन्दर रमणीय स्थल में बदल जाते हैं।तो कही स्वर्ग से सुन्दर जगह सुनसान वीरानों में बदल जाती हैं।
  • कहीं-कहीं पर भूकंप से धरती में दरारें पड़ जाती हैं। सीमेंट , ईट , लोहे की मजबूत बुनियादों से बनी हुई इमारतों भी पल भर में चकनाचूर हो जाती हैं। छोटे और कच्चे मकान ताश के पत्तों की तरह ढह जाते हैं। 
  • भूकंप के रूप में पृथ्वी में होने वाली जरा सी हलचल भी हजारों मनुष्यों , जीजन्तुओं की जान की दुश्मन बन जाती है। कहीं हजारों परिवार एक क्षण में खत्म हो जाते हैं। तो कहीं हजारों लोग पलक झपकते ही बेघर हो जाते हैं। भूकंप की चपेट में आकर पूरे गांव के गांव या शहर के शहर देखते खंडहर में बदल जाते हैं। 
  • भूकंप आने से मजबूत सड़कों टूट जाती हैं। उद्योग धंधे , कल कारखाने , जनजीवन सब अस्त व्यस्त व नष्ट हो जाता है। देखते ही देखते लाखों की संपत्ति मिट्टी में मिल जाती हैं।
  • भूकंप के आने से बड़े बड़े पुल , बांध आदि क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।
  • भूकंप के कारण कई पहाड़ों में भूस्खलन और हिमस्खलन भी होता है।
  • भूकंप मैदानी क्षेत्रों की अपेक्षा पर्वतीय क्षेत्रों में यह ज्यादा नुकसान पहुंचाता है
  • भूकंप समुद्र के अंदर हो तो सुनामी भी आ सकती है।

कई प्राचीन संस्कृतियों खत्म , नई संस्कृतियों का जन्म

भूकंप के कारण कई समृद्ध व शक्तिशाली प्राचीन संस्कृतियों मिट्टी में मिल गई। इतिहास इस बात का साक्षी हैं। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो जैसे उन्नत व समृद्ध प्राचीन संस्कृति किसी भारी भूकंप का शिकार होने के कारण ही भूगर्भ में समा गई थी। लेकिन इन्हीं विनाशकारी भूकंपों ने इस धरती पर कई नई संस्कृति और सभ्यता व नये खूबसूरत स्थानों को भी जन्म दिया है।

यह भी पढ़ें … Essay on Forest Conservation in Hindi

विज्ञान के पास नहीं कोई विकल्प (An Essay on Earthquake)

 हालांकि आज विज्ञान ने काफी तरक्की कर ली है। कुछ क्षेत्रों में जैसे मौसम , तूफान या वर्षा या   बर्फवारी से संबंधित सटीक भविष्यवाणियां के लिए यंत्रों का आविष्कार कर लिया गया है। जिसके द्वारा आने वाले संकट का पहले ही पता चल जाता है।

ले किन विज्ञान की इतनी तरक्की के बाबजूद आज भी भूकंप के आने से संबंधित जानकारी के लिए कोई पुख्ता उपकरण तैयार नहीं हो पाया है।यानि भूकंप से संबंधित ऐसा कोई भी उपकरण या यंत्र अभी तक विकसित नहीं हुआ है जिससे भूकंप आने से पहले ही पता चल सके कि किन-किन क्षेत्रों में भूकंप आ सकता है।

वैज्ञानिकों के पास इसका कोई जवाब नहीं है। अगर ऐसा कोई उपकरण बना लिया जाता , जिससे भूकंप आने से पहले ही उसका पता चल पाता , तो हजारों जानों को समय रहते बचाया जा सकता हैं।लेकिन इस क्षेत्र में अभी विज्ञान के हाथ खाली के खाली ही हैं। 

 लेकिन भूकंप आने के बाद तो रिक्टर स्केल पर सिर्फ भूकंप की तीव्रता को नापा जाता है।लेकिन तब तक वह तबाही मचा चुका होता है। 

  भूकंप आने में सुरक्षा के उपाय (An Essay on Earthquake)

भूकंप कब आ जाए , किसी को इसका पता नहीं होता है।ऐसे में जब भूकंप आ जाए। तो अपनी सुरक्षा के लिए कुछ बातों में ध्यान देना आवश्यक हैं। 

  • हालांकि भूकंप को रोकना इंसानों की बस की बात नहीं है। लेकिन समय के साथ-साथ अब ऐसी आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल कर भवन या इमारतों का निर्माण किया जा रहा है। जो भूकंप रोधी हो या अधिक तीव्रता वाले भूकंप के झटकों को सहन कर सके। सबसे पहले भूकंप रोधी मकानों का निर्माण होना चाहिए किया जाना अति आवश्यक है। और यह समय की मांग भी है। 
  • भूकंप का पता चलते ही घरों से बाहर निकलकर तुरंत खुले मैदानों या सड़कों में आ जाना चाहिए। 
  • भूकंप आने पर किसी ऊंची इमारत या बिजली के खम्भों के आसपास न खड़े हों।
  • काँच से बनी वस्तुओं , खिड़कियों , कमजोर दीवारों से दूर रहें।
  • किसी मजबूत फर्नीचर से नीचे बैठ जाएँ।  
  • भूकंप के समय लिफ्ट के बजाय सीढ़ियों का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • बिजली आदि से संबंधित किसी भी उपकरण का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।बिजली का मैन स्विच बन्द कर देना चाहिए।
  • घर के गैस सिलेंडर को बंद कर देना चाहिए।
  • भूकंप आने वक्त वाहन ना चलाएं। अगर वाहन चला भी रहे हो तो , तुरंत वाहन बंद कर वाहन से बाहर निकल आए। 
  • किसी भी कच्चे मकान , पहाड़ी , नदी , तालाब , समुद्र के आसपास खड़े ना होए। 

भारत में भूकंप की स्थिति  

भूकंप एक भयंकर प्राकृतिक आपदा है। जो दुनिया के किसी भी हिस्से में कभी भी आ सकती हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है। भारत को भूकंप की संवेदनशीलता के लिहाज से चार जोन में बांटा गया है। जोन-2 में दक्षिण भारतीय क्षेत्र को रखा गया है , जो भूकंप के लिहाज से सबसे कम संवेदनशील है। 

उसके बाद जोन – 3 में मध्य भारत को रखा गया है। जोन – 4 में दिल्ली व एनसीआर के इलाकोे और उत्तर भारत के कुछ मैदानी क्षेत्रों को रखा गया है। और जोन- 5 में हिमालई क्षेत्र व पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ क्षेत्रों को शामिल किया गया है।यही इलाका भूकंप के लिहाज से सबसे ज्यादा खतरनाक व संवेदनशील माना गया है।

भारत की यह भूमि भी कई दिल दहला देने वाले भूकंपों को झेल चुकी है।कोलकाता , असम , बिहार अंजार , अंडमान निकोबार , हिमाचल प्रदेश में आये भूकंप तो भुलाए नहीं भूलते।

26 जनवरी 2001 में भूकंप ने पूरे गुजरात में कहर ढाया था , जिसमें भारी जानमाल का नुकसान हुआ था। कुछ वर्ष पूर्व उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के पहाड़ी इलाके उत्तरकाशी को भूकंप ने दहला कर रख दिया था।  जिसमें हजारों लोग असमय ही मृत्यु के मुंह में समा गए। 

सैकड़ों लोग घायल हुए और कुछ लोग मलबे के नीचे कई दिनों तक दबे रहे।चल अचल संपत्ति का नुकसान हुआ सो अलग। 

यह भी पढ़ें। … Essay on Teacher’s Day in Hindi

Some More Information About  Earthquake

  • दुनिया के कुछ हिस्सों में भूकंप अक्सर आते रहते हैं।अलास्का उन्हीं में से एक है।अलास्का एक ऐसा राज्य है जहां पर सबसे ज्यादा भूकंप आते हैं। इसको भूकंप के लिहाज से “सिस्मीकली एक्टिव क्षेत्र” भी माना जाता है। इस क्षेत्र में 5 से 7 मेग्नीट्यूड के भूकंप आना आम बात है। और हर 12 से 14 साल में करीब एक बार 8 मेग्नीट्यूड या उससे ज्यादा का भूकंप भी आता है। 
  • इसके अलावा जापान में भी बहुत अधिक भूकंप आते हैं। लेकिन यहाँ ज्यादातर भूकंप ज्वालामुखी के फटने से आते हैं। इसीलिए वहां पर अधिकतर भूकंप रोधी या लकड़ियों के घरों का निर्माण किया जाता है। 
  • वैसे हमेशा भूकंप कुछ सेकंड के लिए आता है। लेकिन 2004 में हिंद महासागर में भूकंप की अवधि लगभग 10 मिनट रही।
  • भूकंप के आने से पहले पानी के स्रोतों जैसे नहरों , नालों , तालाबों और नदियों आदि में से एक विचित्र किस्म की खुशबू आने लगती है। इसका कारण पृथ्वी के अन्दर की गैस का बाहर आना बताया जाता है। और जमीन के नीचे स्थित पानी के स्रोतों का तापमान भी अचानक से बढ़ जाता है। 
  • वैज्ञानिकों के अनुसार हर साल लाखों भूकंप आते हैं।लेकिन इन सब की तीव्रता बहुत कम होती है। जिस वजह से लोगों को इसका पता ही नहीं चलता।
  • एक सर्वे के अनुसार नेशनल अर्थक्वेक इनफॉरमेशन सेंटर हर साल करीब 20,000 से ज्यादा भूकंप की रिकॉर्डिंग करता है। लेकिन इनमें से लगभग 100 के करीब ही ऐसे भूकंप होते हैं जिनसे कम या ज्यादा नुकसान होता है। 
  • ऐसा माना जाता है कि ज्यादा तीव्रता वाला भूकंप आने से जो ऊर्जा निकलती है , वह 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी में डाले गए परमाणु बम से निकली उर्जा से करीब 100 गुना ज्यादा होती है। 

भूकंप पीड़ितों की सहायता पुण्य कार्य 

भूकंप के विनाश के बाद राहत कार्य शुरू हो जाते हैं। कुछ सामाजिक स्वयंसेवी संस्थाएं और कुछ परोपकारी लोग अपनी जान की बाजी लगाकर दूसरों की सहायता करने को दौड़ पड़ते हैं। अनेक तरीकों से भूकंप पीड़ितों को मदद पहुंचाई जाती है।

सरकार भी इस भीषण दुर्घटना के बाद हर संभव सहायता में जुटी रहती हैं। लेकिन यही वह समय होता हैं जब इंसान को हाथ खोलकर अन्न , वस्त्र , औषधि आदि से पीड़ितों की सहायता करनी चाहिए।

  उपसंहार (An Essay on Earthquake)

भूकंप जैसी महा विपत्ति के समय मनुष्य की मानवता की परीक्षा भी होती है।ज्यादा तीब्रता वाले भूकंप सब कुछ पल भर में विनाश कर देते हैं। लेकिन यह मानव स्वभाव है कि वह अंत के बाद भी आरंभ की तरफ चल पड़ता है। और जीवन की नई शुरुवात करने लगता हैं।

लोग उसी विनाश में बचे हुए चीजों को फिर से समेट कर अपना नया जीवन आरंभ करना शुरू कर देते हैं। यह जीवन सदा चलायमान है।यह कथन उस वक्त सत्य होता हुआ दिखता है। हम भूकंप पीड़ितों की सहायता करें और मानवता का परिचय दें। बस हम इतना ही कर सकते हैं।  

You are most welcome to share your comments.If you like this post.Then please share it.Thanks for visiting.

यह भी पढ़ें……

Essay on Tree Plantation in Hindi

Essay on Soldiers in hindi

Essay on My Favorite Book in hindi

Essay on Gandhi Jayanti in hindi

Essay on साँच बराबर तप नहीं ,झूठ बराबर पाप ” in hindi

Essay On Dussehra in Hindi

Essay on Independence Day in hindi

Essay on Republic Day in hindi

Essay on Farmers in hindi

Related Posts

मजदूरों का पलायन एक गंभीर सामाजिक समस्या   .

  • August 19, 2021

भारत में ऊर्जा सुरक्षा : चुनौतियों और अवसर 

  • June 2, 2021

हरित ऊर्जा : जलवायु परिवर्तन का समाधान पर हिन्दी निबंध

  • May 30, 2021
  • Privacy Policy

Hindi Essay | निबंध

  • Hindi Essays | निबंध
  • _Upto 100 Words
  • _100-200 Words
  • _200-400 Words
  • _More than 400 Words
  • Letter & Application
  • Other Resources
  • _All Essay | English Essays
  • _Fact TV India
  • _Stories N Books
  • Animals and Birds (23)
  • Articles (57)
  • Authors and Poets of India (42)
  • Authors and Poets of World (1)
  • Awards and Prizes (2)
  • Biographies (122)
  • Chief Justices of India (1)
  • Debates (1)
  • Famous Personalities of India (75)
  • Famous Personalities of World (2)
  • Famous Places of India (6)
  • Festivals of India (57)
  • Festivals of World (7)
  • Flowers and Fruits (5)
  • Freedom Fighters of India (31)
  • History of India (6)
  • History of World (1)
  • Important Days of India (62)
  • Important Days of World (52)
  • Letters and Forms (19)
  • Miscellaneous (110)
  • Monuments of India (9)
  • Organizations and Institutions (1)
  • Presidents of India (17)
  • Prime Ministers of India (16)
  • Religious (4)
  • Rivers and Mountains (2)
  • Social Issues (53)
  • Sports and Games (2)
  • Stories & Vrat Katha (9)
  • Symbols of India (12)

Short Essay on 'Earthquake' in Hindi | 'Bhukamp' par Nibandh (400 Words)

essay on recent earthquake in hindi

Connect with Us!

Subscribe us, popular posts, short essay on 'peacock' in hindi | 'mor' par nibandh (120 words), short essay on 'dr. a.p.j. abdul kalam' in hindi | 'a.p.j. abdul kalam' par nibandh (230 words), short essay on 'mahatma gandhi' in hindi | 'mahatma gandhi' par nibandh (150 words), short essay on 'diwali' or 'deepawali' in hindi | 'diwali' par nibandh (150 words), short essay on 'jawaharlal nehru' in hindi | 'jawaharlal nehru' par nibandh (200 words), short essay on 'importance of water' in hindi | 'jal ka mahatva' par nibandh (245 words), short essay on 'independence day: 15 august' of india in hindi | 'swatantrata diwas' par nibandh (125 words), short essay on 'christmas' in hindi | 'christmas' par nibandh (170 words), short essay on 'dr sarvepalli radhakrishnan' in hindi | 'dr s. radhakrishnan' par nibandh (230 words), short essay on 'national flag of india' in hindi | 'bharat ka rashtriiya dhwaj' par nibandh (130 words), total pageviews, footer menu widget.

IMAGES

  1. भूकंप पर निबंध

    essay on recent earthquake in hindi

  2. Hindi essay on earthquake

    essay on recent earthquake in hindi

  3. Essay On Earthquake A Natural Disaster In Hindi

    essay on recent earthquake in hindi

  4. Hindi Essay on 'Earthquake'

    essay on recent earthquake in hindi

  5. Essay on Earthquake in Hindi Language भूकंप पर निबंध

    essay on recent earthquake in hindi

  6. भूकम्प : एक भयानक प्राकृतिक प्रकोप पर निबंध

    essay on recent earthquake in hindi

VIDEO

  1. Earthquake In India: भारत में आए भूकंप में किसी के हताहत होने की खबर नहीं, Afghanistan में था केंद्र

  2. Essay On Earthquake In Urdu

  3. Earthquake in India: Turkey में भूकंप की भविष्यवाणी करने वाले ने दी थी चेतावनी, जानें Predication

  4. PROJECT ON EARTHQUAKE||DISASTER MANAGEMENT||NATURAL DISASTER||#shorts #viral #earthquake #disaster

  5. भूकंप : एक प्राकृतिक आपदा पर हिंदी में निबंध लिखिए

  6. NDMA INDIA Earthquake (Dost Appu

COMMENTS

  1. भूंकप पर निबंध

    Essay on Earthquake. भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जो कि जीव-जन्तु, जलवायु, पेड़-पौधे, वनस्पति, पर्यावरण समेत समस्त मानव जीवन के लिए किसी बड़े संकट से कम नहीं है ...

  2. भूकंप पर निबंध

    भूकंप पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay on Earthquake in Hindi) भूकंप दुनिया में कहीं भी आ सकते हैं, और हालांकि उनकी घटना का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है ...

  3. भूकंप पर निबंध

    Categories Essay Tags about earthquake, bhukamp par nibandh, earthquake information in hindi, eassy on earthquake in 1000 words, short note on earthquake, भूकंप का वर्णन करे, भूकंप की परिभाषा

  4. भूकंप के बारे में जानिए सब कुछ, क्या, क्यों और कैसे?

    भूकंप पर निबंध हिंदी में | Essay on earthquake in hindi. पृथ्वी के भूपटल में उत्पन्न तनाव का, उसकी सतह पर अचानक मुक्त होने के कारण पृथ्वी की सतह का हिलना या कांपना, भूकंप ...

  5. Earthquake

    भूकंप (Earthquake) पर छोटे व बड़े निबंध. [प्राकृतिक आपदा] भूकंप (Earthquake) पर छोटे व बड़े निबंध [Long & Short essay Writing on Earthquake in Hindi] [प्राकृतिक आपदा] भूकंप (Earthquake) पृथ्वी की सतह के हिलने ...

  6. भूकंप पर निबंध Essay on Earthquake in Hindi (1000 Words)

    प्रस्तावना (भूकंप पर निबंध Essay on Earthquake in Hindi) प्रकृति समय-समय पर स्वयं में परिवर्तन करती रहती है। जिसे हम भूकंप, बाढ़ तथा चक्रवात के रूप में ...

  7. Essay on Earthquake in Hindi भूकंप पर निबंध

    भूकंप पर निबंध (Bhukamp Essay in Hindi). Students will find long and short essay on earthquake in Hindi along with a paragraph on earthquake in Hindi. You will also find effects of earthquake in Hindi and earthquake conclusion essay in Hindi. Essay on earthquake in Hindi for class 10, 9, 8, 7, 6, 5, 4, 3. Now you can ...

  8. भूकंप पर निबंध

    भूकंप पर निबंध, Short and long essay on earthquake in Hindi. मनुष्य पृथ्वी पर कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना करता है. इनमें से भूकंप सबसे घातक है.

  9. Earthquake Explained: क्या होता है भूकंप, कैसे आता है... क्या फायदे

    तीसरा होता है कोलैप्स अर्थक्वेक (Collapse Earthquake) यानी छोटे भूकंप के झटके जो जमीन के अंदर मौजूद गुफाओं और सुरंगों के टूटने से बनते हैं.

  10. भूकंप पर निबंध

    भूकंप पर निबंध | Essay on Earthquake in Hindi! Essay # 1. भूकम्प का प्रारम्भ (Origin of Earthquake): भूकम्प भू-पृष्ठ पर होने वाला आकस्मिक कंपन है जो भूगर्भ में चट्‌टानों के लचीलेपन या ...

  11. भूकंप पर अनुच्छेद

    भूकंप पर अनुच्छेद | Paragraph on Earthquake in Hindi! धरती के अचानक हिलने की घटना भूकंप कहलती है । जब पृथवि के आंतरिक गर्म पदार्थों के कारण हलचल उत्पन्न होती है तो भूकंप की ...

  12. भूकंप पर निबंध (Earthquake Essay In Hindi Language)

    भूकंप पर निबंध (Earthquake Essay In Hindi) प्रस्तावना. हमारी इस धरती पर कई प्रकार की प्राकृतिक आपदाएं आती हैं, जिनके माध्यम से सामान्य जनजीवन को काफी परेशानी का सामना ...

  13. भूकंप पर निबन्ध

    भूकंप पर निबन्ध | Essay on Earthquake in Hindi! 1. भूमिका: भूकंप का नाम लेते ही मन भय से काँप (Shiver) उठता है । जहाँ भूकंप होता है, वहाँ अनेक मकान ध्वस्त (Demolish) हो जाते हैं और मानव के ...

  14. भूकंप पर निबंध

    Essay on Earthquake in Hindi: हम यहां पर भूकंप पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में भूकंप के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के ...

  15. 10 Lines On Earthquake in Hindi: भूकंप के ...

    10 Lines On Earthquake in Hindi: भूकंप के बारे में 10 लाइन. धरती के हिलने को भूकंप कहते हैंI. पृथ्वी के भीतर प्लेटों के आपस में टकराने से भूकंप आते हैंI ...

  16. भूकंप पर निबंध

    भूकंप पर निबंध - Essay On Earthquake In Hindi. यद्यपि प्राकृतिक आपदा जब भी गुस्सा दिखाती है तो कहर ढहाए बिना नहीं मानती है। आकाश तारों को छू लेने वाला विज्ञान प्राकृतिक ...

  17. भूकंप हिंदी निबंध Earthquake Essay in Hindi

    Earthquake Essay in Hindi : भूकंप प्रकृति का एक अत्यंत भयंकर रूप है। इसके जोरदार धक्के से पलभर में महाविनाश होता

  18. Essay on Earthquake in Hindi- भूकंप पर निबंध

    भूकंप पर निबंध- Essay on Earthquake in Hindi, मानव आदि युग से प्रकृति के साहचर्य में रहता आया है। प्रकृति के प्रांगण में मानव को कभी माँ की गोद का सुख मिलता। है तो कभी वही ...

  19. भूकंप के कारण और प्रभाव (Earthquake: Causes and Effects)

    भूकंप के कारण (Earthquake Causes) भूकंप मुख्यतः पृथ्वी की परत के किसी भाग में असंतुलन के कारण आते हैं।. पृथ्वी की पपड़ी में असंतुलन या ...

  20. गुजरात के भूकंप में कच्छ था केंद्र, 2001 की तबाही का मंजर याद कर सहम गए

    गुजरात में रात 8.13 बजे भूकंप आया. जिसके बाद लोगों में डर का माहौल बन गया और लोग अपने घरों से बाहर निकल गए. भूकंप का केंद्र कच्छ में भचाऊ के पास 10 किलोमीटर ...

  21. An Essay on Earthquake : भूकंप पर हिन्दी निबन्ध

    An Essay on Earthquake : भूकंप पर हिन्दी निबन्ध. निबंध हिंदी में हो या अंग्रेजी में , निबंध लिखने का एक खास तरीका होता है। हर निबंध को कुछ बिंदुओं (Points ) पर आधारित कर लिखा ...

  22. भूकंप पर निबंध

    Essay On Earthquake In Hindi : भूकंप पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटों के हिलने का परिणाम है। जब वे किसी प्रकार की हलचल करते हैं |

  23. Short Essay on 'Earthquake' in Hindi

    Hindi Essay | निबंध Home; Hindi Essays | निबंध ; _Upto 100 Words _100-200 Words _200-400 Words; _More than 400 Words; Letter & Application; Videos; Other Resources; ... Home Miscellaneous Short Essay on 'Earthquake' in Hindi | 'Bhukamp' par Nibandh (400 Words)